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जमानत पर आए आरोपी का गांव में हुआ सेलिब्रिटी जैसा स्वागत, निकाला जुलूस, बांटी मिठाई… क्या था गुनाह?

राजस्थान के झुंझुनूं के कुमावास गांव में एक शख्स जब जेल से जमानत के बाद बाहर आया तो गांव वालों ने उसका जोरदार स्वागत किया. उसे आवारा कुत्तों को गोली मारने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. आरोपी श्योचंद बावरिया डूमरा का रहने वाला है. उस पर आरोप है कि उसने 2 अगस्त 2025 को टोपीदार बंदूक से फायर कर 3 से 4 आवारा कुत्तों की जान ले ली थी. इस मामले में झुंझुनूं पुलिस ने 19 अगस्त को उसे गिरफ्तार किया था.

गिरफ्तारी के कुछ ही दिनों बाद आरोपी को जमानत मिल गई और जैसे ही वह गांव पहुंचा माहौल कुछ अलग ही नजर आया. कुमावास गांव में उसे एक पिकअप गाड़ी में बैठाकर घुमाया गया. गले में माला डालकर उसका अभिनंदन किया गया और मिठाई बांटकर स्वागत किया गया. ये नजारा ऐसा लग रहा था मानों किसी ने कोई बड़ी उपलब्धि हासिल की हो.

25 से ज्यादा आवारा कुत्तों को गोली मारी

झुंझुनूं जिले के कुमावास गांव का सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें 25 से ज्यादा आवारा कुत्तों को गोली मारकर मौत के घाट उतारते हुए दिखाया गया. वीडियो में एक व्यक्ति राइफल से फायर करता नज़र आ रहा है और गांव में जगह-जगह खून से लथपथ कुत्तों के शव पड़े नजर आ रहे हैं. इस मामले पर नवलगढ़ पुलिस ने खुद संज्ञान लेते हुए 5 अगस्त को आरोपी श्योचंद बावरिया निवासी डुमरा के खिलाफ आईपीसी की धारा 325 और आर्म्स एक्ट की धारा 27 में मामला दर्ज किया.

प्लानिंग के साथ की थी कुत्तों की हत्या

इस घटना पर हमीरी की पूर्व सरपंच सरोज झाझड़िया ने भी पुलिस अधीक्षक से मुलाकात कर शिकायत पत्र सौंपा था. उन्होंने आरोप लगाया कि श्योचंद और उसके 5 से 7 साथियों ने मिलकर प्लानिंग के साथ हत्या की है. पूर्व सरपंच ने कहा कि आरोपी झूठे बहाने से “बकरियां मरने” का दावा कर मुआवजे की मांग कर रहे हैं. सरोज झाझड़िया ने मांग उठाई थी कि इस सामूहिक हत्या में शामिल सभी आरोपियों पर कड़ी धाराओं में मुकदमा दर्ज हो, ताकि भविष्य में कोई भी बेजुबानों के साथ ऐसी क्रूरता करने की हिम्मत न कर सके.

अब इस मामले के बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं, जिस व्यक्ति पर निर्दोष आवारा कुत्तों को मारने का गंभीर आरोप है. उसका इस तरह स्वागत करना समाज में क्या संदेश देता है. पशु क्रूरता जैसे मामलों में जहां समाज को संवेदनशीलता दिखाने की जरूरत होती है. वहां आरोपी को सम्मानित करना कई स्तर पर चिंताजनक है. यह न सिर्फ कानून-व्यवस्था के लिए चुनौतीपूर्ण है. बल्कि, समाज में गलत उदाहरण भी पेश करता है.

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