हरियाणा

भिवानी जिला को 100 प्रतिशत ऑर्गेनिक जिला बनाने के लिए केवाईसी ने अपनी कवायद की तेज

केवाईसी संस्थापक अधिवक्ता बबीता यादव ने की हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण के सीईओ से मुलाकात

भिवानी, (ब्यूरो): किसान युवा क्लब के संस्थापक राकेश बेनिवाल, सुधीर तंवर, विनीत पिलानिया व अधिवक्ता बबीता यादव ने भिवानी जिला को 100 प्रतिशत आर्गेनिक जिला बनाने की दिशा में विशेष अभियान चलाया हुआ है। जिसके तहत उच्च अधिकारियों से मुलाकात कर आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में अहम कदम उठाए जाने की मांग उनसे की जा रही है। इसी कड़ी में किसान युवा क्लब ने भिवानी जिले को पूरी तरह से ऑर्गेनिक बनाने के अपने लक्ष्य को तेजी से आगे बढ़ाया है। क्लब की संस्थापक अधिवक्ता बबीता यादव ने इस दिशा में महत्वपूर्ण पहल करते हुए हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण के सीईओ आरएस चौहान से मुलाकात की। इस मुलाकात का मुख्य उद्देश्य पायलट प्रोजेक्ट के तहत किसानों को ऑर्गेनिक खेती के लिए प्रशिक्षण, जागरूकता और मुफ्त लैब टेस्टिंग जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग करना था।
केवाईसी की संस्थापक अधिवक्ता बबीता यादव ने प्राधिकरण के सीईओ के समक्ष कई महत्वपूर्ण मांगे रखीं, जिनमें ऑर्गेनिक उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने और जिला स्तर पर ऑर्गेनिक उत्पादों के लिए अलग से मंडियों की व्यवस्था करना शामिल है। उनका मानना है कि ये कदम भिवानी को एक पूर्ण ऑर्गेनिक जिले में बदलने के लिए आवश्यक हैं।
इस बारे में किसान युवा क्लब के संस्थापक राकेश बेनिवाल, सुधीर तंवर, विनीत पिलानिया व अधिवक्ता बबीता यादव ने कहा कि ऑर्गेनिक खेती पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए बेहद फायदेमंद है। यह रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग से बचती है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और पानी व हवा का प्रदूषण कम होता है। साथ ही, ऑर्गेनिक उत्पादों का सेवन करने से उपभोक्ताओं को सुरक्षित और पौष्टिक भोजन मिलता है। उन्होंने कहा कि ऑर्गेनिक खेती की तकनीकों को सीखने और अपनाने के लिए किसानों को सही ज्ञान और कौशल की आवश्यकता होती है। प्रशिक्षण कार्यक्रम उन्हें जैविक खाद बनाने, कीट नियंत्रण के प्राकृतिक तरीके अपनाने और फसल चक्र प्रबंधन समझने में मदद करेंगे। लैब टैस्टिंग की सुविधा मुफ्त होने से छोटे किसान भी अपनी उपज की प्रमाणिकता सुनिश्चित कर पाएंगे। एमएसपी निर्धारित होने से किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिलेगा और वे ऑर्गेनिक खेती अपनाने के लिए प्रोत्साहित होंगे। उन्होंने कहा कि ऑर्गेनिक उत्पादों के लिए अलग मंडियां होने से किसानों को अपने उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में आसानी होगी, जिससे उन्हें बेहतर दाम मिल सकेंगे और बिचौलियों की भूमिका कम होगी। यह उपभोक्ताओं को भी विश्वसनीय ऑर्गेनिक उत्पाद प्राप्त करने में मदद करेगा।

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