भारत के प्रथम संग्राम के एक प्रमुख सेनानायक थे तात्या टोपे: महेन्द्र पाल यादव

भिवानी (ब्यूरो): मराठा सरसेनापती श्रीमंत तात्या टोपे भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के एक प्रमुख सेनानायक थे। सन 1857 के महान विद्रोह में उनकी भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण, प्रेरणादायक और बेजोड़ थी। यह बात स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी कल्याण संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेन्द्र पाल यादव ने महान स्वतंत्रता सेनानी अमर शहीद तात्या टोपे के 167वें बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कही। उन्होंने बताया कि रणबाँकुरे तात्या को कोई जागते हुए नहीं पकड़ सका। विद्रोह और अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध लडऩे के आरोप में 15 अप्रैल, 1859 को शिवपुरी में तात्या का कोर्ट मार्शल किया गया। कोर्ट मार्शल के सब सदस्य अंग्रेज थे। परिणाम जाहिर था, उन्हें मौत की सजा दी गयी। शिवपुरी के किले में उन्हें तीन दिन बंद रखा गया। 18 अप्रैल को शाम चार बजे तात्या को अंग्रेज कंपनी की सुरक्षा में बाहर लाया गया और हजारों लोगों की उपस्थिति में खुले मैदान में फाँसी पर लटका दिया गया। कहते हैं तात्या फाँसी के चबूतरे पर दृढ कदमों से ऊपर चढे और फाँसी के फंदे में स्वयं अपना जीवन देश के लिए बलिदान कर दिया। इस अवसर पर बिजेन्द्र कोट, रणबीर सांगवान, रामअवतार, सुरजभान बमला, प्रकाश धनाना, धर्मपाल ग्रेवाल, रामपाल यादव, सुभाष बामला, सतबीर भैणी, चत्तर जीता खेड़ी आदि उपस्थित रहे।