सऊदी, तुर्की और पाकिस्तान के कदमों से फिलिस्तीन को कितना हुआ नुकसान?

पिछले दो साल से जारी इजराइल-गाजा युद्ध को खत्म करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ मिलकर 20 प्वाइंट शांति प्रस्ताव पेश किया. इस पहल का सऊदी अरब से लेकर पाकिस्तान और तुर्किए तक कई मुस्लिम देशों ने खुले दिल से स्वागत किया.
मगर इस पूरे प्रस्ताव की सबसे बड़ी खामी यही है कि इसमें फिलिस्तीनी राज्य यानी स्टेटहुड की कोई ठोस गारंटी नहीं है. ऐसे में जब फिलिस्तीन के सबसे करीबी मुस्लिम मुल्क भी इस प्लान की तारीफ कर रहे हैं, तो सवाल उठना लाजमी है कि क्या सऊदी, तुर्किए और पाकिस्तान ने मिलकर फिलिस्तीन का असली मुद्दा कमजोर कर दिया है?
ट्रंप के प्लान में फिलिस्तीन का जिक्र, लेकिन गारंटी नहीं
ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन देशों पर निशाना साधा जिन्होंने हाल ही में फिलिस्तीन को मान्यता दी है. ट्रंप ने कहा कि कई देशों ने गलती से फिलिस्तीन को मान्यता दी. उनके 20 पॉइंट वाले प्लान में फिलिस्तीन के राज्य बनने की संभावना का जिक्र तो है, लेकिन बेहद धुंधले शब्दों में.
प्रस्ताव कहता है कि जब गाजा में पुनर्निर्माण आगे बढ़ेगा और जब फिलिस्तीनी अथॉरिटी (PA) का सुधार कार्यक्रम ईमानदारी से लागू होगा, तभी राज्य बनने के हालात बन सकते हैं. यानी, गाजा विकास और PA सुधार को शर्तों के रूप में जोड़ा गया है. इसके बाद भी राज्य बनने की बात हो भी सकती है और नहीं भी. नेतन्याहू ने भी कहा कि उनकी ट्रंप के साथ हुई मुलाकात में फिलिस्तीनी राज्य का मुद्दा नहीं उठा. ट्रंप ने भी इस पर कोई जोर नहीं दिया. यही वजह है कि ये प्लान फिलिस्तीन के असली सवाल स्टेटहुड को नजरअंदाज करता हुआ दिखता है.
अरब और मुस्लिम देशों का समर्थन
दिलचस्प बात यह है कि इस प्लान को कई क्षेत्रीय देश, जो फिलिस्तीन के परंपरागत समर्थक माने जाते हैं, उन्होंने भी सराहा है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ने कहा कि मुझे यकीन है कि फिलिस्तीन और इजराइल के बीच स्थायी शांति से राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक विकास आएगा.
तुर्किए के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोआन ने भी ट्रंप की कोशिशों को सराहा. सऊदी अरब और अन्य देशों के विदेश मंत्रियों ने एक संयुक्त बयान जारी कर ट्रंप की ईमानदार कोशिशों की तारीफ की और भरोसा जताया कि वह शांति का रास्ता निकाल सकते हैं..
फिलिस्तीन के मुद्दे को कमजोर कर रहें दोस्त देश?
विशेषज्ञों का मानना है कि इन देशों की कूटनीतिक रणनीति अब आर्थिक स्थिरता और अमेरिका के साथ रिश्तों पर ज्यादा टिकी है. ऐसे में फिलिस्तीन का मूल मुद्दा हाशिए पर चला जाता है. तो कुलजमा बात ये है कि ट्रंप का गाजा में शांति लाने का ये प्लान हिंसा रोकने के लिहाज से अस्थाई राहत तो ला सकता है लेकिन फिलिस्तीनियों के राज्य के सपने को ठोस आधार नहीं देता.
ट्रंप के शांति प्रस्ताव में क्या है?
ट्रंप की योजना में गाजा में तुरंत युद्धविराम, सभी बंधकों की रिहाई, और एक अंतरराष्ट्रीय शांति बोर्ड का गठन शामिल है. इस बोर्ड की अध्यक्षता ट्रंप करेंगे, जिसमें पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर भी शामिल होंगे.
- इजराइल और हमास के बीच तुरंत युद्धविराम होगा.
- हमास 72 घंटे के भीतर सभी इजराइली बंधकों को रिहा करेगा.
- इजराइल, गाजा के उम्रकैद की सजा काट रहे 250 लोगों और अन्य 1700 कैदियों को छोड़ देगा.
- गाजा के विकास और सुधार की योजना बनाई जाएगी और उसका खर्च उठाया जाएगा.
- गाजा में सुरक्षा बनाए रखने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बल तैनात किया जाएगा.
- इजराइल और मिस्र की सीमाओं पर सुरक्षा मजबूत होगी.
- अंतरराष्ट्रीय संगठन गाजा में मदद और सुरक्षा की निगरानी करेंगे.
- इजराइल और फिलिस्तीन के बीच शांति के लिए बातचीत शुरू होगी.