आजम खान साइकिल पर करेंगे यात्रा, जानें क्यों नहीं छोड़ रहे अखिलेश यादव का साथ

समाजवादी पार्टी (सपा) के दिग्गज नेता आजम खान आजाद होने वाले हैं. 23 महीने बाद जेल से उनकी रिहाई हो रही है. लंबे समय बाद खुली हवा में सांस लेने जा रहे आजम को लेकर सियासी गलियारे में कयासबाजी भी शुरू हो गई है. कहा तो ये तक जा रहा है कि आजम खान बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में शामिल हो सकते हैं. इन अटकलों को बल मायावती के विधायक उमाशंकर सिंह के बयान के बाद मिला.
बलिया के रसड़ा से विधायक उमाशंकर ने कहा, अगर आजम खान बसपा में शामिल होते हैं तो उनका पार्टी में स्वागत किया जाएगा, क्योंकि इससे संगठन को राजनीतिक रूप से मजबूती मिलेगी. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें आजम खान की पत्नी तजीन फातिमा और बसपा नेताओं के बीच किसी भी बैठक की कोई जानकारी नहीं है. आजम खान के सियासी भविष्य को लेकर चल रहीं अटकलें अखिलेश के कान तक भी पहुंची, जिसका उन्होंने जवाब भी दिया.
2016 में भी किया गया था दावा
आजम खान के बसपा से जुड़ने की अटकलें पहली बार नहीं उड़ी हैं. 2016 में भारतीय जनता पार्टी के नेता आईपी सिंह ने दावा किया था आजम खान ने बसपा सुप्रीमो मायावती से मुलाकात की है. उनके मुताबिक, आजम की मायावती से दो बार मुलाकात हुई. आईपी सिंह का दावा दावा ही रह गया और उसक 9 साल बाद आजम आज भी सपा में बने हुए हैं. लेकिन इसी साल आजम ने अपने बयान से मायावती को गहरी चोट पहुंचाई थी. उन्होंने बाबासाहेब आंबेडकर पर विवादित बयान दिया था.
आजम खान ने कहा था पूरे सूबे में एक व्यक्ति की प्रतिमा लगी पड़ी है. वह आगे हाथ का इशारा करके खड़े हैं. मतलब यह है कि जहां मैं खड़ा हूं वह तो मेरी जमीन है ही, सामने का खाली पड़ा प्लॉट भी मेरा है. आजम के बयान पर बीएसपी ने पलटवार करते हुए कहा था कि आजम ने बाबासाहेब का अपमान किया है. मायावती ने तो उनसे माफी की मांग भी की थी.
उन्होंने कहा, हम बाबासाहेब पर आजम खान की विवादास्पद टिप्पणी की कड़ी निंदा करते हैं. उम्मीद करते हैं कि अगर वह अपनी पार्टी की जातिवादी नीतियों के कारण महान नेता को उचित सम्मान नहीं दे सकते, तो उन्हें झूठे बयान देकर उन्हें अपमानित करने की कोशिश भी नहीं करनी चाहिए.
आजम के सपोर्ट में मायावती का बयान
हालांकि इसके बाद बीच-बीच में आजम को मायावती का साथ मिलता रहा है. 2022 में मायावती ने खुलकर आजम खान के समर्थन में बयान दिया था. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार गरीबों, दलितों, आदिवासियों और मुसलमानों को कथित तौर पर निशाना बना रही है. मायावती ने कहा था कि यूपी सरकार अपने विरोधियों पर लगातार कार्रवाई कर रही है. आजम खान का मामला सुर्खियों में है. जनता की नजर में ये न्याय का गला घोंटना नहीं तो और क्या है.
इसी साल (2025) जुलाई में भी सियासी गलियारे में आजम खान के बसपा से जुड़ने की खूब चर्चा थी. उस वक्त भी कहा जा रहा था कि आजम खान बसपा में शामिल हो सकते हैं. तब आजम जेल में थे. अब सितंबर का महीना खत्म होने को है. समय आगे बढ़ चुका है, लेकिन आजम आज भी वहीं कायम हैं. वो अखिलेश थे और हैं भी.
अखिलेश का साथ नहीं छोड़ेंगे आजम?
आजम खान अब आजाद हैं. उनके सियासी करियर की फिर से शुरुआत होगी. वह ना तो सांसद हैं और ना ही विधायक हैं. बसपा के नेता जो भी दावा करें, लेकिन सियासी तौर पर अपनी एक अलग पहचान रखने वाले आजम खान ऐसी पार्टी से क्यों जुड़ेंगे जो खुद यूपी में अपना सियासी जमीन तलाश रही है.
आजम सपा के बड़े मुस्लिम चेहरे हैं. खासतौर से पश्चिमी यूपी में उनका दबदबा है. रामपुर के आसपास के जिलों में आजम का असर है. आजम के बहाने अखिलेश मुस्लिम वोट को अपने साथ जोड़ना रखना चाहते हैं. आजम जब जेल में थे तब कई बातें कही गईं. कहा गया कि सपा का कोई बड़ा नेता आजम से मिलने जेल नहीं पहुंचा. लेकिन राजनीकिर जानकार कहते हैं कि अखिलेश और आजम का रिश्ता कभी नीम तो कभी शहद वाला है. जानकार कहते हैं आजम खान सपा नहीं छोड़ सकते हैं, क्योंकि यादव परिवार के साथ उनके रिश्ते बेहद मजबूत हैं. आजम की नाराजगी से इनकार तो नहीं किया जा सकता है, लेकिन ये अभी उस स्तर की नहीं है कि आजम पार्टी छोड़ दें.
अखिलेश ने 12 सितंबर, 2025 को कहा था कि वह आजम खान को जेल से बाहर लाने के लिए पूरा दम लगाएंगे. सपा प्रमुख ने कहा था कि हम इस प्रयास में हैं कि आजम को न्याय मिले. उनके सभी मुकदमे खत्म हो. सपा की सरकार बनेगी तो एक-एक मुकदमा वापस ले लिया जाएगा. अखिलेश ने कहा था साजिश के तहत आजम खान के साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है. अखिलेश ने कहा कि आजम बड़े नेता हैं. इसीलिए उन्हें सजा मिल रही है. धर्म के कारण भी उनके खिलाफ अन्याय हो रहा है.
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आजम खान के बसपा से जुड़ने की अटकलों पर अखिलेश से सवाल किया गया था, जिसका सपा प्रमुख ने मजाकिया अंदाज में जवाब दिया. इसके बाद सपा की ओर से एक वीडियो जारी किया गया जिसमें अखिलेश और आजम साथ दिख रहे हैं. यहां से एक बात साफ है कि सपा आजम खान को लेकर क्लीयर है. अखिलेश और पार्टी को भरोसा है कि आजम खान सपा में ही रहने वाले हैं.




