कालाष्टमी के दिन काल भैरव को ऐसे करें प्रसन्न, जीवन में नहीं आएंगे कष्ट!

कालाष्टमी का दिन भगवान शिव के रौद्र स्वरूप, काल भैरव को समर्पित है. इस दिन काल भैरव की पूजा करने से भक्तों के जीवन के सभी कष्ट, भय और नकारात्मकता दूर होती है. काल भैरव को तंत्र-मंत्र के देवता और दंडपाणि (न्यायकर्ता) भी कहा जाता है, जो भक्तों को बुरी शक्तियों से बचाते हैं और उन्हें शत्रुओं पर विजय दिलाते हैं. काल भैरव की विधि-विधान से पूजा करने पर लोगों की सभी मनोकामनाएं जल्द पूरी होती हैं और जीवन में आने वाले कष्टों से छुटकारा मिलता है. इसके अलावा काल भैरव की पूजा करने से भक्तों को सभी प्रकार के भय, कष्ट, रोग, शोक और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है और जादू-टोने और बुरी नजर के प्रभाव भी दूर होते हैं.
द्रिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की 18 जून को दोपहर 01 बजकर 34 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 19 जून को सुबह 11 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में मासिक कालाष्टमी का का व्रत 18 मई को रखा जाएगा. क्योंकि कालाष्टमी की पूजा प्रदोष काल यानि शाम के समय में की जाती है.
कालाष्टमी पर ऐसे करें पूजा
- कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. काले या गहरे नीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है, क्योंकि ये रंग भैरव बाबा को प्रिय हैं.
- घर के पूजा स्थल को साफ करें. यदि घर में काल भैरव की तस्वीर या मूर्ति नहीं है, तो एक चित्र स्थापित करें. आप भगवान शिव की तस्वीर भी रख सकते हैं.
- हाथ में जल और फूल लेकर व्रत और पूजा का संकल्प लें. अपनी मनोकामना कहें, जैसे जीवन के कष्टों से मुक्ति, शत्रुओं पर विजय, भय का नाश आदि.
- काल भैरव की पूजा प्रदोष काल यानि सूर्यास्त के बाद करना अधिक शुभ माना जाता है. आप घर पर या किसी भैरव मंदिर में जाकर पूजा कर सकते हैं.
- तेल का दीपक जलाएं. सरसों के तेल का दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि सरसों का तेल काल भैरव को प्रिय है.
- शुद्ध जल, दूध और गंगाजल मिलाकर काल भैरव को अर्घ्य दें. काल भैरव को सिंदूर या कुमकुम का तिलक लगाएं. उन्हें लाल या काले रंग के फूल (जैसे गुड़हल, कनेर) अर्पित करें.
- काल भैरव को जलेबी, इमरती, दही-वड़ा और पूरी-सब्जी (विशेषकर कढ़ी-चावल) का भोग अत्यंत प्रिय है. नारियल, गुड़, चना, उड़द की दाल से बनी चीजें, हलवा आदि भी अर्पित कर सकते हैं.
इन मंत्रों का करें जाप
- पूजा के दौरान और बाद में काल भैरव के मंत्रों का जाप करें. यह मंत्र जाप आपको सभी कष्टों से मुक्ति दिलाएगा.
- भैरव मूल मंत्र: “ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरुकुरु बटुकाय ह्रीं।”
- भैरव गायत्री मंत्र: “ॐ कालभैरवाय नमः”, “ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं”
- सामान्य मंत्र: “ॐ भैरवाय नमः” या “ॐ श्री भैरवाय नमः” (जितनी अधिक बार हो सके, उतनी बार जाप करें).
- आप ‘बटुक भैरव अष्टक’ या ‘काल भैरव अष्टक’ का पाठ भी कर सकते हैं.
इन बातों का रखें खास ध्यान
कालाष्टमी के दिन काले कुत्ते को भोजन कराना (दूध, रोटी या मिठाई) अत्यंत शुभ माना जाता है. काल भैरव का वाहन कुत्ता है, और काले कुत्ते को भोजन कराने से काल भैरव प्रसन्न होते हैं और आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. काले तिल का दान करने से शनि दोष और राहु-केतु के अशुभ प्रभाव कम होते हैं. उड़द दाल से बनी चीजों का दान करने से भी काल भैरव प्रसन्न होते हैं. यदि संभव हो, तो किसी भैरव मंदिर में जाकर दर्शन करें और वहां दीप जलाएं. इन उपायों को करने से काल भैरव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को सभी प्रकार के भय, कष्ट, रोग और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है, जिससे जीवन में खुशहाली बनी रहती है.