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ईरान को मुश्किल में छोड़ भागा पाकिस्तान, तेहरान में खाली कर दी अपनी ‘दुकान’

अजरबैजान और तुर्किए के बाद अब ईरान में पाकिस्तान भी पीछे हटने लगा है. पाकिस्तान ने तेहरान से आनन-फानन में अपने उन राजनयिकों को वापस बुलाने का फैसला किया है, जो बड़े फैसले में शामिल नहीं हो सकते हैं. पाकिस्तान ईरान का पड़ोसी मुल्क है और दोनों देशों की सीमा 909 किलोमीटर की है.

एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक पाकिस्तान की सरकार ने तेहरान में हो रहे हमले को देखते हुए अपने राजनयिकों को तुरंत पाकिस्तान आने के लिए कहा है. पाकिस्तान सरकार का कहना है कि यह फैसला सुरक्षा को देखते हुए लिया गया है.

खुलकर समर्थन कर रहा था पाकिस्तान

ईरान पर इजराइली हमले के बाद पाकिस्तान ईरान का खुलकर समर्थन कर रहा था. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस्लामाबाद में ईरानी दूतावास से मिलकर ईरान को समर्थन देने की बात कही थी.

पाकिस्तान उन 21 मुस्लिम देशों में भी शामिल था, जिसने इजराइल के खिलाफ एक बयान जारी किया था. इस बयान में इजराइल के हमले की निंदा की गई थी और इसे तुरंक रोकने की मांग की गई थी.

सवाल- फिर पाकिस्तान ने ये फैसला क्यों किया?

मई 2025 में भारत और पाकिस्तान में जब तनाव काफी ज्यादा बढ़ गए थे, तब ईरान ने पाकिस्तान को बचाने के लिए भारत से बात की थी. ईरान ने उस वक्त अपना दूतावास खाली नहीं किया था, लेकिन अब ईरान में जिस तरीके से पाकिस्तान ने अपना दूतावास खाली करने का फैसला किया है, वो सवालों के घेरे में है.

ईरान में पाकिस्तान के दूतावास को खाली करने की 2 मुख्य वजहें बताई जा रही है-

1. जंग में अमेरिका ने सीधे तौर पर ईरान के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है. अब तक अमेरिका पर्दे के पीछे खेल खेल रहा था, जिसमें पाकिस्तान स्टैंड आसानी से ले पा रहा था. अमेरिका के एंट्री होते ही पाकिस्तान की दुविधा बढ़ गई है. अमेरिका से पाकिस्तान बागी रूख नहीं अख्तियार कर पाएगा.

2. तेहरान में लगातार इजराइल का हमला जारी है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी तेहरान के लोगों को शहर छोड़ने के लिए कहा है. ऐसे में पाकिस्तान की सरकार रिस्क नहीं लेना चाहती है.

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