छांगुर बाबा का क्या है पनामा कनेक्शन…UP से लेकर मुंबई तक मनी लॉन्ड्रिंग का जाल, शेल कंपनियों के जरिए कैसे की हेराफेरी?

छांगुर बाबा और उसके करीबी साथियों पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ED) को अब एक ऐसी चौंकाने वाली कड़ी मिली है, जो सीधे पनामा से जुड़ी है. जांच में खुलासा हुआ है कि पनामा में कई शेल कंपनियां बनाई गईं, जिनका इस्तेमाल करोड़ों की अवैध कमाई को छिपाने और उसके असली मालिक का पता छुपाने के लिए किया गया. ED ने छांगुर बाबा के खास सहयोगी, रोहरा दंपति की संदिग्ध प्रॉपर्टी डील्स से जुड़े कई दस्तावेज भी जब्त किए हैं. यह सब एक ऐसी बड़ी वित्तीय साजिश की ओर इशारा कर रहा है, जहां धार्मिक और सामाजिक कामों की आड़ में अपराध से कमाए गए पैसों को ठिकाने लगाया गया.
सरकारी रिकॉर्ड्स के मुताबिक, 17 जुलाई को सुभाष नगर, उतरौला में बाबा ताजुद्दीन आशवी बुटीक पर छापेमारी के दौरान कुछ खास कंपनी के कागजात हाथ लगे. इनमें पनामा में रजिस्टर्ड एक विदेशी कंपनी, ‘लोगोस् मरीन, एस.ए.’ के दस्तावेज भी शामिल हैं. 14 पन्नों की इस फाइल में एक जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (GPA) भी मिली है, जो एरियल रिकार्डो पाडिला गॉर्डन ने छांगुर बाबा के सहयोगी नवीन रोहरा को दी थी. यह GPA नवीन रोहरा को इस विदेशी कंपनी को चलाने का पूरा अधिकार देता है.
अवैध धर्मांतरण से लिंक का शक
ED को संदेह है कि ‘लोगोस् मरीन, एस.ए.’ का इस्तेमाल अवैध धार्मिक धर्मांतरण अभियानों से हासिल बेहिसाब पैसे को घुमाने या जमा करने के लिए किया गया. पनामा जैसी जगह पर कंपनी बनाना कई सवाल खड़े करता है. क्योंकि पनामा को लंबे समय से वित्तीय गोपनीयता, मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी के लिए जाना जाता है. जांच में यह भी सामने आया है कि नवीन रोहरा पनामा में रजिस्टर्ड एक और फर्म ‘कृष्णा ग्रुप एस.ए.’ का अध्यक्ष और निदेशक भी है. अधिकारियों का मानना है कि इन दो विदेशी कंपनियों का एक साथ सामने आना बताता है कि यह पैसों के लेनदेन और असली मालिकों को छुपाने के लिए जानबूझकर बनाया गया. एक जाल है.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “आरोपी से जुड़ी पनामा की कई कंपनियों की मौजूदगी दर्शाती है कि वित्तीय लेनदेन के निशान और संपत्तियों के असली मालिकों को छिपाने की एक सोची-समझी कोशिश की गई.”
जांच के दायरे में प्रॉपर्टी डील्स
विदेशी लिंक के अलावा, एजेंसी ने आरोपी नीतू नवीन रोहरा, नवीन रोहरा और ‘ए.जी. कंस्ट्रक्शन’ के बीच साइन किया गया 18 पन्नों का एक कंस्ट्रक्शन एग्रीमेंट भी बरामद किया है. माना जा रहा है कि यह एग्रीमेंट उन प्रॉपर्टी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स से जुड़ा है, जिन्हें अपराध से कमाए गए पैसों से फंड किया गया था. इसमें वह पैसे भी शामिल हैं, जिनका संबंध उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में अभी जांच के दायरे में चल रहे धार्मिक धर्मांतरण नेटवर्क से होने का शक है.
इसके अलावा, एजेंसी ने रोहरा दंपति और ‘ए.जी. कंस्ट्रक्शन’ के बीच निर्माण और कानूनी विवादों से जुड़े कई दस्तावेज भी जब्त किए, जिसमें प्रॉपर्टी के मालिकाना हक पर मुकदमेबाजी का विस्तृत 20 पन्नों का एक अलग समझौता भी है. जांचकर्ताओं का मानना है कि ये दस्तावेज पैसों के प्रवाह, बेनामी संपत्तियों की पहचान और छिपे हुए मालिकाना हक की परतों को खोलने में बेहद अहम साबित होंगे.
ED की जांच लगातार जारी
हालांकि ED ने अभी तक इन जब्तियों पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है. सूत्रों ने पुष्टि की है कि यह सब एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट की जांच का हिस्सा है. इस रैकेट में शेल कंपनियों, अवैध प्रॉपर्टी निवेश और विदेशी दान शामिल हैं, जिन्हें धार्मिक प्रचार और मानवीय कार्यों की आड़ में चैनल किया गया था. जांच अब सिर्फ पनामा की कंपनियों तक ही सीमित नहीं है. बल्कि रोहरा परिवार की देश के अंदर की संपत्तियों पर भी नजर है. खासकर मुंबई और आसपास के इलाकों में रोहरा दंपति से जुड़ी कई महंगी प्रॉपर्टीज की बेनामी होल्डिंग्स और उनकी फंडिंग के अज्ञात स्रोतों की भी बारीकी से जांच की जा रही है.
धर्मांतरण के दस्तावेज मिले
खास बात यह है कि ED को ऐसे दस्तावेज भी मिले हैं, जो पुष्टि करते हैं कि नवीन रोहरा और नीतू रोहरा ने औपचारिक रूप से इस्लाम धर्म अपना लिया था. इनमें घोषणाएं, शपथ पत्र और धर्मांतरण प्रमाण पत्र शामिल हैं. अधिकारियों का मानना है कि ये रिकॉर्ड जांच के तहत आ रहे कई वित्तीय सौदों के लिए संदर्भ दे सकते हैं. खासकर जो धार्मिक संस्थाओं और चैरिटी से जुड़े हैं.
संपत्ति छिपाने की प्लानिंग
ED सूत्रों ने बताया कि वे फंड लेयरिंग (पैसों को कई स्तरों से घुमाना), मालिकाना हक के निशान और बेनामी संस्थाओं का इस्तेमाल करके महंगी संपत्तियों को खरीदने की गहनता से जांच कर रहे .हैं ये दस्तावेज एक कथित मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क की व्यापक जांच का हिस्सा है, जिसमें शेल कंपनियां, संदिग्ध प्रॉपर्टी लेनदेन और विदेशी होल्डिंग्स शामिल हैं. इनमें से कई को विदेशी दान और वित्तीय चैनलों के जरिए से फंड किए जाने का संदेह है, जिन्हें धार्मिक प्रचार और मानवीय कार्य के रूप में दिखाया गया था.
जांच सिर्फ पनामा-आधारित कंपनियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आरोपी रोहरा परिवार के देश के अंदर की संपत्तियों को भी कवर करती है, जिसमें मुंबई और भारत के अन्य स्थानों में कई प्रॉपर्टीज़ शामिल हैं. एजेंसी ने एक नो-ऑब्जेक्शन एफिडेविट भी बरामद किया है, जिसमें नीतू रोहरा ने औपचारिक रूप से ‘आशवी बुटीक’ नाम के एक कमर्शियल प्रतिष्ठान का मालिकाना हक छांगुर बाबा को ट्रांसफर कर दिया था.
वाहन बिक्री समझौता
एक अलग जांच में एक वाहन बिक्री समझौता भी मिला है, जिसमें एक गाड़ी नासिर वाडीलाल से छांगुर को बेची गई थी. अधिकारियों को शक है कि ऐसे लेनदेन संपत्ति को घुमाने की एक खास रणनीति का हिस्सा थे. जहां चल और अचल संपत्तियों को कई लोगों के जरिए बदला गया. ताकि पैसों के असली स्रोत और असल मालिक को छिपाया जा सके.