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दादा-दादी बच्चों के प्रथम संस्कारदाता होते हैं: डा.अहलावत

राष्ट्रीय सेवा योजना के अंतर्गत विद्यालय में आयोजित हुआ संस्कार संगम कार्यक्रम

भिवानी, (ब्यूरो): हलवासिया विद्या विहार के वरिष्ठ विभाग में राष्ट्रीय सेवा योजना प्रभारी आचार्या कविता तंवर के निर्देशन में पारिवारिक मूल्यों एवं सांस्कृतिक विरासत को संजोने हेतु संस्कार संगम कार्यक्रम का आयोजन दादा-दादी उत्सव के रूप मे बड़े ही हर्षोल्लास से किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अनूप कुमार (डीएसपी भिवानी) ने शिरकत की। प्रवेश द्वार पर सी. टी. ओ. सव्य सचिन भारद्वाज के मार्गदर्शन में एन.सी.सी कैडेट्स द्वारा उनको एस्कॉर्ट किया गया । तदुपरांत संगीताचार्य गोविंद प्रताप मिश्रा के नेतृत्व में छात्रों के द्वारा बैंड बाजे व घोष की मधुर मंगल ध्वनि के साथ उनका स्वागत किया गया । कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुई। तदुपरांत प्राचार्य विमलेश आर्य ने आए हुए अतिथियों के परिचय से अवगत करवाते हुए उनका अभिनंदन व सत्कार किया। उन्होंने बताया कि हलवासिया विद्यालय शुरू से ही संस्कारवान विद्यालय रहा है। विद्यालय निरंतर विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास की ओर अग्रसर है।उन्होंने विद्यालय में समय-समय पर आयोजित होने वाली गतिविधियों व उपलब्धियों के बारे में भी जानकारी दी । इसके पश्चात कक्षा बारहवीं ‘डी’ की छात्रा वैशाली ने अपनी सुमधुर आवाज में सुंदर कविता ‘ बुजुर्गों की आंखों में कभी पानी न आने देना ‘ की शानदार प्रस्तुति देते हुए दादा-दादी के प्रति अपने प्रेम और कृतज्ञता को व्यक्त किया। कक्षा बारहवीं ‘इ’ की छात्रा देवांशी ने हरियाणवी गीत ‘हरियाणा तो बदल गया पर हँसी मजाक अभी भी है’ पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत कर पारंपरिक चलन की महत्ता को प्रदर्शित किया। इस अवसर पर आमंत्रित दादा यशपाल सिंह व राजकुमार सिंह परमार ने विद्यार्थियों के साथ अपने जीवन के अनुभव और प्रेरक कहानियांँ साझा की जिससे वातावरण भावनाओं और स्नेह से भर गया। उन्होंने विद्यार्थियों को जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण और जीवन में कुछ भी मुश्किल नहीं है’ जैसी सोच रख कर आगे बढऩे के लिए प्रेरित भी किया। मुख्य अतिथि ने बताया कि बुजुर्ग हमारे जीवन के अनुभवों का खजाना है, जिनसे हम जीवन के वास्तविक मूल्य सीखते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को नैतिक मूल्य ,अनुशासन, देशभक्ति एवं सेवा भावना को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने की प्रेरणा भी दी। साथ ही उन्होंने विद्यालय प्रशासन की इस अनूठी पहल को सराहनीय कदम बताया। विद्यालय प्रशासक डॉ. शमशेर सिंह अहलावत ने बताया कि दादा-दादी बच्चों के प्रथम संस्कारदाता होते हैं और उनके आशीर्वाद से ही परिवार का आधार मजबूत होता है। साथ ही उन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए विशेष तौर पर राष्ट्रीय सेवा योजना प्रभारी आचार्या कविता तंवर व सहयोग देने वाले सभी शिक्षकों का आभार व्यक्त किया। विद्यालय प्रशासन द्वारा मुख्य अतिथि को शाल व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया। इस अवसर पर विशेष रूप से विद्यार्थियों के दादा-दादी को ओम पट्टिका व विद्यालय की स्नेह रूपी भेंट देकर सम्मानित भी किया गया। साथ ही कार्यक्रम में प्रतिभागिता करने वाले छात्रों को भी पुरस्कृत किया गया। मंच का कुशलतापूर्वक संचालन कक्षा बारहवीं ‘इ’ की छात्रा मुस्कान यादव के द्वारा किया गया। कार्यक्रम के दौरान बड़े- बुजुर्गों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले पारंपरिक उपकरणों चक्की के पाट, उखल- मुसल, लालटेन, स्टोव , मधानी व सिलबट्टा इत्यादि की शानदार प्रदर्शनी भी लगाई गई जिनके वर्तमान में नाम बदल गए हैं परंतु भारतीय लोग उन्हें अभी भी प्रयोग कर रहे हैं। विद्यालय प्रशासन के द्वारा आए हुए मुख्य अतिथि व आमंत्रित दादा-दादी के कर कमलों से वृक्षारोपण भी करवाया गया। इस अवसर पर उपप्राचार्य दीपक वशिष्ठ , वरिष्ठ विभाग प्रमुख एलेग्जेंडर दास, अमरेंद्र कुमार ,माध्यमिक विभाग प्रमुख सुवीरा गर्ग, प्राथमिक विभाग इंचार्ज वीणापाणि, मनोज शर्मा, रमेश बंसल , नरेश मेहता, मोनिका महता, अनीता कुमारी, रितु शर्मा , बिजय लक्ष्मी, सोनिया व किरण मखीजा इत्यादि समस्त स्टाफ उपस्थित रहा।
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छात्रों व उनके अभिभावकों को सम्मानित करते हुए प्राचार्य विमलेश आर्य व प्रशासक डा.शमशेर सिंह अहलावत।

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