फरीदाबाद: दशहरा की तैयारियां पूरे देश भर में की जा रही है. इस बीच फरीदाबाद में रावण का पुतले बनाने वाले कलाकारों के चेहरों पर मायूसी छाई हुई है. दरअसल, जिला प्रशासन द्वारा सार्वजनिक स्थलों पर पुतला दहन पर रोक लगाई गई है, जिससे इन कलाकारों की मेहनत और लागत पर पानी फिरता नजर आ रहा है. फरीदाबाद में पिछले कई सालों से यूपी से आए कलाकार रावण का पुतला बनाते आ रहे हैं. ये पुतले 2 फीट से लेकर 40 फीट तक के बनाए जाते हैं. यदि कोई ग्राहक विशेष आर्डर दे तो उससे बड़े पुतले भी ये कलाकार तैयार करते हैं.
प्रशासन के आदेश के बाद मायूस कलाकार: पिछले साल इन कलाकारों को रावण का पुतला बनाने पर अच्छी खासी इनकम हुई थी. हालांकि इस बार फरीदाबाद जिला प्रशासन द्वारा आदेश जारी किया गया है कि किसी भी सार्वजनिक जगह, पार्कों में पुतला दहन नहीं किया जाएगा. अगर कोई इन जगहों पर पुतला दहन करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. प्रशासन के आदेश के बाद से ही पुतला बनाने वाले कलाकारों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है.
पुतला कलाकार का छलका दर्द: संवाददाता ने फरीदाबाद के पुलता कलाकार राजीव से बातचीत की. पुतला कलाकार राजीव ने बताया कि, “हम पिछले 10 सालों से फरीदाबाद आकर रावण का पुतला बना रहे हैं. उनके पूर्वज भी यही काम किया करते थे. अब हमारा पूरा परिवार इसी काम पर निर्भर है. इस काम के अलावा हमारे पास कोई और हुनर नहीं है. दशहरे के समय हम पुतला बनाते हैं और इसके बाद बाकी महीनों में बांस से झोपड़ी, चटाई आदि बनाकर रोजगार चलाते हैं.”
लागत निकालना भी मुश्किल: राजीव ने आगे बताया कि, “इस बार शुरुआत में हमें कुछ ऑर्डर मिले थे, जिनमें से कई लोगों ने 40-40 हजार रुपये तक के पुतले बनवाने का ऑर्डर दिया था, लेकिन एडवांस में सिर्फ 1,000 रुपये ही दिए. अब जब फरीदाबाद प्रशासन ने सार्वजनिक जगहों और पार्कों में रावण दहन पर रोक लगा दी है, तो वे ग्राहक फोन भी नहीं उठा रहे हैं. अगर प्रशासन पहले ही यह आदेश दे देता, तो हम यहां आते ही नहीं. अब स्थिति यह है कि पुतले बनाने में जो खर्च हुआ है, वह भी नहीं निकल पा रहा है.हमारे उनके पास 2 फीट से लेकर 40 फीट तक के रावण के पुतले हैं, जिनकी कीमत 600 रुपये से लेकर 40,000 रुपये तक है. पिछली बार का बाजार बेहतर था, लेकिन इस बार हालत यह है कि लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है.”
प्रशासन से मदद की गुहार: पुतला बनाने वाले कलाकार राजीव ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाते हुए कहा कि, ” हम पूरे परिवार के साथ यहां आए हैं. यहां आने-जाने, खाने-पीने में हमें काफी खर्च हो चुका है. ऐसे में हम प्रशासन से गुहार लगाते हैं कि कम से कम हमारी लागत निकालने में मदद करें.
दशहरा में रावण दहन का महत्व: हर साल दशहरे के दिन रावण दहन किया जाता है. रावण दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व मनाया जाता है. रामायण के अनुसार दशहरा के दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था, इसलिए इस पर्व को विजयदशमी भी कहा जाता है. हालांकि इस बार फरीदाबाद में न तो विजयादशमी की धूम है, न ही दहन की अनुमति, जिससे इस सांस्कृतिक परंपरा और उससे जुड़ी रोजी-रोटी दोनों पर असर पड़ा है. साथ ही पुतला तैयार करने वाले कलाकार मायूस हैं.