राष्ट्रीयव्यापार

रुपया-डॉलर खेलते रहे लुका-छिपी! इधर हो गया ‘तेल में खेल’

रुपया और डॉलर के बीच इन दिनों उतार-चढ़ाव का दौर देखा जा रहा है. एक तरह से कहें तो दोनों के बीच ‘लुका-छिपी’ चल रही है. ज्यादातर समय रुपया ही डॉलर को मात देता आ रहा है. इस बीच असली खेल तेल में हुआ है, जहां भारत का इंपोर्ट लगातार बढ़ रहा है.

रुपया की दहाड़

इस समय डॉलर रुपया के आगे कमजोर स्थिति में बना हुआ है. जबकि रुपया की दहाड़ मजबूत हो रही है. इस हफ्ते के 6 दिन में रुपया लगातार स्ट्रॉन्ग बना रहा है और इसमें 1.5 प्रतिशत की तेजी देखने को मिली है. शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 36 पैसे बढ़कर करीब 86 रुपये पर बंद हुआ. गुरुवार को भी रुपया तगड़ी स्थिति में रहा था.

जनवरी से अब तक डॉलर की स्थिति को देखें, तब डॉलर इंडेक्स 110 के लेवल पर पहुंच गया था, जिसमें तब से अब तक 5 से 6 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिल चुकी है. डॉलर का कमजोर होना एक तरह से अमेरिका के लिए भी बेहतर स्थिति होगी. इससे अमेरिका को अपना ट्रेड डेफिसिट कम करने में मदद मिलेगी, जो बीते 4 साल से लगातार एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक बना हुआ है.

तेल में ऐसे हुआ खेल

बढ़ती इकोनॉमी के साथ भारत की ऊर्जा जरूरतें भी बढ़ रही है. ऐसे में देश के अंदर तेल का इंपोर्ट भी बढ़ रहा है. भारत में कच्चे तेल का उत्पादन पहले से बढ़ा है, इसके बावजूद तेल आयात पर उसकी निर्भरता बढ़ रही है. वित्त वर्ष 2024-25 के शुरुआती 11 महीनों में ही भारत की तेल आयात पर निर्भरता बढ़कर 88.2 प्रतिशत पर पहुंच गई है. इसका मतलब ये है कि भारत ने अपनी जरूरत का इतना तेल आयात किया है.

पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में अप्रैल-फरवरी के बीच तेल की आयात पर निर्भरता 87.7 प्रतिशत था. ऐसे में जब चालू वित्त वर्ष खत्म होगा यानी मार्च के खत्म होने तक भारत की तेल आयात पर निर्भरता अपने अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच सकती है. भारत का कच्चा तेल आयात फरवरी तक 21.99 करोड़ टन रहा है, जो वित्त वर्ष 2023-24 की अप्रैल-फरवरी अवधि यानी 11 महीने के दौरान 21.34 करोड़ टन था.

Related Articles

Back to top button