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डिपोर्ट का प्रोसेस नया नहीं, सालों से जारी…जयशंकर ने बताया किस साल कितने भारतीय वापस भेजे गए

अमेरिका से डिपोर्ट किए गए 104 भारतीयों पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को राज्यसभा में बयान दिया है. उन्होंने सदन को बताया कि डिपोर्ट करने का प्रोसेस नया नहीं है. ये वर्षों से चलता आ रहा है. किस साल में कितने भारतीय डिपोर्ट किए गए, विदेश मंत्री ने इसकी भी जानकारी दी.

एस जयशंकर ने कहा, अमेरिका की ओर निर्वासन की प्रक्रिया और क्रियान्वयन आव्रजन तथा सीमा शुल्क प्रवर्तन द्वारा किया जाता है. यह 2012 से ही प्रभावी है. ICE (Immigration and Customs Enforcement) द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले विमानों द्वारा निर्वासन के लिए मानक संचालन प्रक्रिया में प्रतिबंधों के उपयोग का प्रावधान है. उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं और बच्चों को प्रतिबंधित नहीं किया गया था.

विदेश मंत्री ने कहा, भारतीय प्रवासी अमानवीय हालात में फंसे थे. अवैध रूप में रह रहे लोगों को वापस स्वदेश भेजा जाता है. हमारे कई नागरिक गलत तरीके से अमेरिका पहुंचे थे. अवैध प्रवासियों को वापस लाना ही था. उन्हें पहले बार नहीं लाया गया है.

उन्होंने आगे कहा कि यह सभी देशों का दायित्व है कि यदि उनके नागरिक विदेश में अवैध रूप से रहते हुए पाए जाते हैं तो उन्हें वापस बुला लें. एस जयशंकर ने कहा, हम अमेरिकी सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वापस लौटने वाले निर्वासितों के साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार न हो.

विदेश मंत्री ने ये भी बताया कि किस साल में कितने भारतीय डिपोर्ट किए गए…

  • 2009: 734
  • 2010: 799
  • 2011: 597
  • 2012: 530
  • 2013: 550
  • 2014: 591
  • 2015: 708
  • 2016: 1303
  • 2017: 1,024
  • 2018: 1,180
  • 2019: 2,042
  • 2020: 1,889
  • 2021: 805
  • 2022: 862
  • 2023: 670
  • 2024: 1,368
  • 2025: 104

विपक्ष ने क्या कहा?

आप के सांसद संजय सिंह ने कहा, पीएम अमेरिका से दोस्ती का बखान करते हैं. हाथ में हथकडी-पैरों में बेड़ी…अमानवीय तरीके से लाया गया और हरियाणा की कैदी वैन में लाया गया. छोटे-छोटे देश अपना जहाज भेज कर अपने लोगों को ला रहे हैं. आपकी धरती पर अमेरिका का सेना का जहाज आ गया. एक टॉयलेट में 104 लोग लाए गए.

वहीं, आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा, क्या भारत सरकार को अमेरिका सरकार ने पहले बताया कि हम ये प्रक्रिया शुरू कर रहे हैं. ये हमारे नागरिक हैं. क्या भारत सरकार इस इनह्यूमैनिटी को अमेरिका के आगे उठाएगी.

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