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घर बनाना होगा सस्ता, लेकिन महंगे फ्लैट्स की EMI तोड़ेगी कमर?

केंद्र सरकार की ओर से जीएसटी को लेकर किए जाने वाले बदलाव का समर्थन राज्यों ने भी किया है. इसके तहत जीएसटी में सिर्फ 2 स्लैब रखने की सहमति बन गई है. जिसमें 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत के टैक्स शामिल हैं. इसके अलावा सिन प्रोडक्ट्स पर आगे भी 40 प्रतिशत का टैक्स बना रहेगा. जीएसटी में सुधार के बाद कई सारी चीजें सस्ती होंगी. इसका असर रियल एस्टेट सेक्टर पर भी देखने को मिलेगा. इससे सीमेंट और स्टील के सस्ते होने की संभावना है. लेकिन घरों की कीमत में इजाफा हो सकता है. महंगे घर की ईएमआई बढ़ सकती है.

अभी के समय में रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स पर अलग-अलग निर्माण सामग्री पर अलग-अलग जीएसटी दरें लागू हैं. जैसे, सीमेंट और पेंट पर 28% और स्टील, टाइल्स, सैनिटरीवेयर पर 18% टैक्स लगता है. ये अलग-अलग रेट्स प्रोजेक्ट की लागत और घरों की कीमतों को सीधे प्रभावित करते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इन दरों को एकसमान कर दिया जाए, तो डेवलपर्स की लागत काफी कम हो सकती है.

बढ़ती लागत, कम मुनाफा

पिछले कुछ सालों में निर्माण लागत बहुत बढ़ गई है. 2019 से 2024 के बीच ये लागत 40% तक बढ़ी, जिसमें से 27.3% की बढ़ोतरी सिर्फ तीन साल में हुई. टियर-1 शहरों में ग्रेड A प्रोजेक्ट्स की लागत 2021 में 2,200 रुपये प्रति वर्ग फुट थी, जो 2024 में बढ़कर 2,800 रुपये हो गई. ऐसे में सीमेंट और स्टील जैसी चीजों पर टैक्स में छूट से कुछ राहत मिल सकती है.

बिजनेस टुडे रिपोर्ट में टीआरजी ग्रुप के एमडी पवन शर्मा ने कहा कि किफायती घरों की मांग बढ़ी है, लेकिन आईटीसी हटने से प्रोजेक्ट्स की लागत पर बोझ पड़ता है. खासकर सीमेंट और स्टील जैसी सामग्रियों की कीमत की वजह से. उन्होंने कहा कि समय के साथ ये बढ़ी हुई लागत खरीदारों तक पहुंचती है. अगर आंशिक आईटीसी फिर से लागू हो, तो खरीदारों और डेवलपर्स दोनों को फायदा होगा.

लक्जरी घरों की चुनौतियां

एकसमान जीएसटी सिस्टम सभी तरह के घरों को एक जैसा फायदा नहीं देगा. लक्जरी प्रोजेक्ट्स, जो महंगी सामग्री पर निर्भर हैं, अगर 40% टैक्स स्लैब में आए, तो उनकी लागत बढ़ सकती है. एआईएल डेवलपर के एमडी संदीप अग्रवाल ने कहा कि सीमेंट और स्टील पर 18% टैक्स स्लैब लागू करने से लागत कम होगी. इससे टैक्स का बोझ 10-20% तक कम हो सकता है, जिससे बड़े और छोटे शहरों में घरों की कीमतें सुधर सकती हैं. लेकिन लक्जरी घरों के लिए 40% टैक्स नुकसानदायक हो सकता है. उन्होंने कहा कि गोवा जैसे बाजारों में, जहां लाइफस्टाइल घरों की मांग बढ़ रही है, सरल जीएसटी स्लैब पारदर्शिता बढ़ा सकते हैं और निवेश आकर्षित कर सकते हैं. वहीं एक एक्सपर्ट ने कहा कि लक्जरी प्रोजेक्ट्स महंगी और आयातित सामग्री पर निर्भर हैं. अगर ये 40% टैक्स स्लैब में आती हैं, तो लागत बहुत बढ़ जाएगी. फिर भी, उनका मानना है कि एनसीआर में लक्जरी घरों की मजबूत मांग बढ़ोतरी को सपोर्ट करेगी.

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