संतो की बानी में जीवन का सार छिपा है: संत कंवर हुजूर

भिवानी, (ब्यूरो): गुरु जो करता है वो कभी मत करो गुरु जो कहता है वो हमेशा करो क्योंकि गुरु वचन की पालना भक्ति का प्रथम पड़ाव है।संतो के वचन को सुनो फिर उनको गुणों।संतो की संगत आपको भटकाव से बचाती है।सतगुरु का अनुभव जगत का सार है जो आपके अगत को संवारेगा।यह सत्संग वचन परमसंत सतगुरु कंवर साहेब जी महाराज ने दिनोद गांव में स्थित राधास्वामी आश्रम में साध संगत को फरमाए।हुजूर कंवर साहेब ने कहा कि अपनी आंख कान और मुख का उपयोग सद्गुण ग्रहण के लिए करो।शरीर के ये तीन अंग ही आपकी संगति तय करते हैं।उन्होंने कहा कि महापुरुषों की बानी जीव के कल्याण और लाभ की होती है। संतो की बानी में जीवन का सार छिपा है इसलिए संतों की संगत हृदय के कपाट खोल कर करो।क्या पता उनका कौन सा वचन कब आपका जीवन बदल दे।गुरु महाराज ने फरमाया कि इंसान पर जड़ चेतन की अनेकों गांठे हैं जो उसे माया में जकड़े रखती हैं।संसार के वो सारे पदार्थ जिनके लिए हम भागदौड़ और अभिमान करते हैं भक्ति के लिए कोई मायने नहीं रखते।उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि घट अंतर में भरे अमीरस कुंड की अनदेखी करके हम दुनियादारी के फीके पानी से अपनी भक्ति रूपी प्यास बुझाने का प्रयास कर रहे हैं।गुरु महाराज ने कहा कि जिस प्रकार टिकट लेकर स्टेशन पर खड़े रहने मात्र से हमारी यात्रा पूर्ण नहीं होती वैसे ही सतगुरु से नाम लेकर उसकी कमाई किए बिना भक्ति यात्रा भी पूर्ण नहीं होती।भक्ति के लिए सांसारिक बंधनों से मुक्त होना पड़ेगा।इस मुक्ति के अनेकों साधन हैं।मनसा वाचा कर्मणा शुद्ध होना पड़ेगा। तन -मन- धन का अर्पण करना पड़ेगा।इंसान के पास तन और धन बेशक ना हो लेकिन मन हर एक के पास है।मन को साध कर हम तन और धन की कमी को भी पूरा कर सकते हैं।हुजूर महाराज ने कहा कि अपने जीवन को सात्विक बनाओ।अपने सुख की खातिर किसी दूसरे को दुख मत दो।माता पिता बड़े बुजुर्ग की सेवा करो।बच्चो को अच्छी व आदर्श शिक्षा दो।
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प्रवचन करते हुए संत कंवर हुजूर महाराज।