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कहानी 22 साल की नेहा की, जो स्टेशन पर माता-पिता से बिछड़ गई, 15 साल घर से दूर रही; कहां-कैसे गुजारे दिन?

हरियाणा पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिक यूनिट ने सालों से लापता एक बेटी को उसके परिवार से मिलाया. लड़की 7 साल की उम्र में अपने परिवार से बिछड़ गई थी. अब जब वह 22 साल की हुई, तब वह अपने माता-पिता से मिली. ये मामला तब शुरू हुआ, जब एंटी ह्यूमन ट्रैफिक यूनिट के ASI एक आश्रम पहुंचे. वहां एक लड़की ने उनसे रोते हुए कहा कि उसे उसके माता-पिता से मिला दीजिए. इसके बाद ASI ने मामले में जांच शुरू की और बेटी को 15 साल बाद उसके परिवार से मिला दिया.

दरअसल महाराष्ट्र के वर्धा में रहने वाली नेहा, जब 7 साल की थी. तब लापता हुई थी. साल 2010 में वह अपनी मां के साथ ट्रेन से पानीपत गई. यही वह दिन था, जब नेहा 15 सालों के लिए अपने माता-पिता से अलग हो गई. रेलवे स्टेशन पर ही नेहा अपनी मां से अलग हो गई. इसके बाद वह एक कॉलोनी में पहुंच गई, जहां वह पुलिस को मिली. पुलिस ने उससे उसके घर का पता पूछा, लेकिन छोटी बच्ची होने की वजह से कुछ ठीक से नहीं बता पाई.

आश्रम पहुंचने पर अपील की

इसके बाद पुलिस ने पानीपत के एक आश्रम में नेहा को छोड़ दिया. दो साल पानीपत के आश्रम में रही, लेकिन पानीपत का भी आश्रम बंद हो गया. फिर नेहा सोनीपत के बालग्राम के आश्रम में पहुंची. वहां रहकर वह पढ़ाई करने लगी. इधर नेहा के माता पिता ने भी पुलिस में बेटी के लापता होने का केस दर्ज करा दिया था. हाल ही में बालाग्राम के आश्रम में जब एक लापता बच्ची को उसके माता-पिता से मिलाने के लिए एंटी ह्यूमन ट्रैफिक यूनिट के ASI पहुंचे, तो नेता ASI से उसके माता-पिता से मिलाने की अपील की.

पुलिस को मिली नेहा की फाइल

इसके बाद ASI राजेश कुमार मामले की छानबीन में जुटे. नेहा से उसके घर-परिवार के बारे में पूछताछ की गई, तो उसने याद करते हुए बताया कि बचपन में उसे छबीली कहते थे. उसके यहां पर बुजुर्ग एख अलग तरह की टोपी पहनते हैं और महाराष्ट्र की खाने-पीने की चीजों के बारे में बताया. इस आधार पर पुलिस ने महाराष्ट्र में अलग-अलग इस तरह के मामलों की जांच शुरू की और आखिरकार पुलिस को नेहा की फाइल मिल गई, जो साल 2010 में दर्ज की गई थी.

परिवार को 15 साल बाद मिली बेटी

इसके बाद परिवार का पता लगाया गया. वीडियो कॉल के जरिए माता-पिता को बेटी की पहचान कराई गई. नेहा के माता-पिता और मामा-मामी ने उसकी पहचान कर ली. इसके बाद परिवार अपनी बेटी को आश्रम लेने पहुंचा. कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद नेहा अपने परिवार के पास वापस लौट गई. नेहा का असल नाम जो उसके माता-पिता ने उसे दिया था, वह ईशा था. ईशा अब नेहा बन गई थी और 7 साल की लापता ईशा अब 22 की हो गई. वह बीए कर रही है. इस तरह एंटी ह्यूमन ट्रैफिक यूनिट की कड़ी मशक्कत से एक बेटी 15 साल बाद अपने परिवार से वापस मिल गई. हैरानी वाली बात ये है कि नेहा और उसका परिवार एक ही शहर में रहते हुए भी 15 सालों तक अलग रहे.

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