त्रिभाषी सूत्र लागू होने पर श्रीहरियाणा शेखावटी ब्रह्मचार्याश्रम संस्कृत महाविद्यालय में मनाई खुशी
त्रिभाषी सूत्र लागू होने पर संस्कृत के प्रचार के साथ-साथ बढ़ेंगे रोजगार के अवसर : प्राचार्या सुमन शर्मा
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भिवानी,(ब्यूरो): संस्कृत देश की प्राचीनतम भाषा है, जिसमें वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत, योगसूत्र, आयुर्वेद, ज्योतिष और अन्य शास्त्रों का ज्ञान संचित है। इसका संवर्धन हमारी जड़ों को समझने और संस्कृति को संरक्षित करने में सहायक होगा। ऐसे में हरियाणा हरियाणा व शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश में त्रिभाषी सूत्र लागू करने से अब बच्चें संस्कृत भाषा को पढ़ पाएंगे, जिससे ना केवल संस्कृत, बल्कि संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। हरियाणा सरकार व शिक्षा विभाग द्वारा प्रदेश में त्रिभाषी सूत्र लागू करने पर सोमवार को महम गेट स्थित श्रीहरियाणा शेखावटी ब्रह्मचार्याश्रम संस्कृत महाविद्यालय में एक-दूसरे को मिठाई बांटकर खुशी मनाई तथा सरकार के इस कदम को बेहद सराहनीय बताया। इस मौके पर प्राचार्या सुमन शर्मा ने कहा कि हरियाणा प्रदेश में 9वीं व 10वीं कक्षा के लिए पहले 6 विषय अनिवार्य थे, लेकिन अब त्रिभाषी सूत्र लागू होने से संस्कृत, उर्दू या पंजाबी विषय में विद्यार्थियों को एक का चयन करना ही होगा। उन्होंने कहा कि त्रिभाषी सूत्र लागू होने से अब 9वीं व 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों को भी संस्कृत भाषा पढऩे का मौका मिलेगा। वही दूसरी तरफ संस्कृत के ज्ञान से शिक्षक, अनुवादक, शोधकर्ता, पुरातत्ववेत्ता और योगाचार्य जैसे क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। साथ ही विदेशी विश्वविद्यालयों में संस्कृत अध्ययन की बढ़ती रुचि से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसके जानकारों की मांग भी बढ़ेगी। इस मौके पर सुनील शास्त्री ने कहा कि संस्कृत ना केवल भारत की प्राचीन संस्कृति और ज्ञान का स्रोत है, बल्कि यह विज्ञान, दर्शन, साहित्य और व्याकरण की दृष्टि से भी अत्यंत समृद्ध भाषा है। संस्कृत का अध्ययन मस्तिष्क की स्मरण शक्ति और विश्लेषण क्षमता को बढ़ाता है। उन्होंने प्रदेश में त्रिभाषी सूत्र लागू करने पर हरियाणा सरकार व शिक्षा विभाग का आभार जताया। इस मौके पर सुमन शर्मा, हिमांशु सेमवाल, डा. ललिता शर्मा, मीरा शर्मा, प्रतिभा शर्मा, पारूल, बृजलाल शास्त्री, तन्नु शर्मा, पवन भारद्वाज राहुल यादव, जितेंद्र सहित अन्य समस्त स्टाफ सदस्य एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।