किसी का भाई मरा तो किसी का मामा… बर्गर किंग रेस्टोरेंट में मर्डर के पीछे बदले की कहानी
दिल्ली के राजौरी गार्डन इलाके में बर्गर किंग रेस्टोरेंट (Burger King Restaurant) में एक व्यक्ति की सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई. रेस्टोरेंट के अंदर करीब 15 राउंड फायरिंग हुई. पुलिस के अनुसार, एक औरत भी उस वक्त मृतक के साथ मौजूद थी. बताया जा रहा है कि यह औरत मृतक का पर्स, आईडी कार्ड्स और मोबाइल फोन अपने साथ ले गई है. पुलिस अब इस औरत की पहचान करने में भी लगी है. इस हत्याकांड के बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया गया, जिसमें गैंगस्टर हिमांशु भाऊ के नाम से पोस्ट किया गया है. इसमें हिमांशु भाऊ इस मर्डर की जिम्मेदारी लेता है.
हिमांशु भाऊ भारत में नहीं बल्कि पुर्तगाल में छुपा हुआ बैठा है. हिमांशु ने सोशल मीडिया पर जिम्मेदारी ली है कि राजौरी गार्डन में जो कत्ल हुआ है, वह उसने और उसके भाई नवीन बाली ने मिलकर करवाया है. इसके पीछे उन्होंने शक्ति दादा के मर्डर को वजह बताया है और मारे गए शख्स को शक्ति के मर्डर का मुखबीर बताया गया है. पुलिस की टीम उन शूटर्स की तलाश कर रही है कि वह कौन हैं और हिमांशु के संपर्क में कैसे आए, इसके लिए तमाम जो सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहा हैं.
कौन था शक्ति दादा
नीरज बवाना दिल्ली-एनसीआर का बहुत बड़ा गैंगस्टर है. दिल्ली-एनसीआर में उसे अपराध की दुनिया में नंबर वन की उपाधि मिली हुई है. शक्ति दादा का जन्म झज्जर के छोछी गांव में 1995 में एक जाट किसान परिवार में उसका जन्म हुआ. उसके मामा रामबीर शौकीन दिल्ली से पूर्व विधायक रहे हैं. शक्ति नीरज बवाना की मौसी का लड़का था. वह खेलने और पढ़ने का शौकीन था.
15 साल की उम्र में शक्ति का अपराध की दुनिया से नाम जोड़ा जाने लगा. पहली बार नीरज बवाना के साथ फरारी काटने दौरान शक्ति दादा कोलकाता में रहा. इसके बाद वो कुछ छोटी-मोटी वारदातों में शक्ति के नाम आने लगा और फिर बड़ी वारदातों में जुड़ने लगा. आखिर में अमन धनंजय और शक्ति दादा ही नीरज बवाना की पूरी गैंग को बाहर से संभालते थे.
जब शक्ति के ऊपर 1 करोड़ फिरौती मांगने का आरोप लगा तो दिल्ली पुलिस उसकी तलाश में लग गई. 14 फरवरी 2020 में नीरज बवाना को जब पेशी पर लाया जा रहा था, तब शक्ति दादा उससे मिलने पहुंचा और वहां पर उसको अरेस्ट कर लिया गया था. हालांकि, उसके कुछ दिन बाद वह छूट गया था और घर आ गया. वह रोज शाम को पास के स्टेडियम में बॉलीबाल खेलने जाता था.
7 अक्टूबर 2020 को रोजाना की तरह वह बॉलीबाल खेलने जा रहा था. तभी दो बाइक पर आए दो बदमाशों ने शक्ति दादा को करीब 7:00 बजे घेर लिया और ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. बदमाशों ने शक्ति पर करीब एक दर्जन से ज्यादा फायरिंग की थी, जिसमें शक्ति दादा घायल हो गया था. इसके बाद उसको रोहतक के एक हॉस्पिटल में ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया. जब उसका पोस्टमार्टम किया गया था तो बॉडी से पांच गोलियां निकलीं.
किसने कराई हत्या
इसके बाद पुलिस आरोपियों को ढूंढने में लग गई थी. पुलिस की छानबीन के बाद पता चला कि शक्ति का मर्डर गैंगस्टर नीरज बवाना के विरोधी अशोक प्रधान गैंग ने किया है. कई महीनों बाद अशोक प्रधान गैंग के मेंबर गौरव उर्फ मोंटी को गिरफ्तार किया था. गौरव उर्फ मोंटी शक्ति के मर्डर का मुख्य आरोपी था और बाकी तीन इसके साथ थे.
नीरज बवाना और अशोक प्रधान गैंग के बीच काफी लंबे समय से अदावत चल रही थी. नीरज को सबक सिखाने के लिए प्रधान गैंग ने मोंटी को तैयार किया. मोंटी बवाना थाने का कुख्यात बदमाश है और इसके ऊपर करीब दर्जन भर से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं. मोंटी पर हत्या, हत्या की कोशिश, जबरन वसूली और रंगदारी जैसे मामलों में 12 से ज्यादा केस दर्ज है.
मोंटी जब प्रधान गैंग में आया था तो उससे काफी जुर्म कराए गए. जब अशोक प्रधान को पूरा यकीन हो गया कि मोंटी बड़े अपराधों को अंजाम दे सकता है, तब उसे गैंग में डिप्टी कमांडर बना दिया गया. इसके बाद इससे दिल्ली के अंदर एक बर्तन व्यापारी से 50 लाख रुपए की रंगदारी मांगने के लिए जिम्मेदारी सौंपी गई.
मोंटी ने व्यापारी की दुकान में फेंकी चिट्ठी
मोंटी ने बाकायदा चिट्ठी लिखकर उस बर्तन व्यापारी की दुकान में फेंकी और कहा कि ₹50 लाख रुपये हमें चाहिए और नहीं दोगे तो जान से जाओगे. जब व्यापारी पैसे नहीं देता है तो गोलीबारी होती है और उसमें एक व्यक्ति की जान ले जाती है. अशोक प्रधान की तरफ से जब मोंटी को यह ऑर्डर मिला कि नीरज बवाना के भाई शक्ति दादा की हत्या करनी है तो वह अपने एक साथी अभिषेक के साथ शक्ति दादा के गांव जाता है और ताबड़तोड़ करीब एक दर्जन से ज्यादा गोलियां मारकर उसकी हत्या कर देता है. फिलहाल मोंटी जेल में बंद है. इस पर मकोका के तहत कार्रवाई की गई है.
अशोक और नीरज की दुश्मनी का कारण
अशोक प्रधान हरियाणा के झज्जर के निलौटी गांव लौटने का रहने वाला है. उसने साल 2001 में क्राइम की दुनिया में एंट्री की और उसका कारण गलत संगत थी. दिल्ली के गैंगस्टर नीतू दाबोदिया से उसकी दोस्ती हो गई थी. वह पहले नीतू से इंप्रेस हुआ और फिर उसके नक्शे कदम पर चलने लगा.
साल 2001 में अशोक प्रधान ने बहादुरगढ़ में ग्राम प्रधान और डॉक्टर को मार दिया. इसके बाद वह कॉन्ट्रैक्ट किलिंग और अपहरण करने लगा. साल 2004 में दाबोदिया गैंग के विरोधी राजीव काला उर्फ काला असोदिया ने अशोक प्रधान के भाई को मार दिया. यहीं से नीरज बवाना और अशोक प्रधान का टकराव होने लगा, क्योंकि काला असोदिया नीरज बवाना का मामा था.
2013 में पुलिस एनकाउंटर में मारे गए गिरोह सरगना नीतू दाबोदिया के बाद अशोक प्रधान ने नीतू गैंग को चला रहा है. नीतू गैंग और नीरज बवाना गैंग में सालों से गैंगवार चली जा रही है, जिसमें अब तक दोनों ओर से कई जानें जा चुकी है. मार्च 2017 में झज्जर कोर्ट में अशोक प्रधान ने अपने साथियों रोहित और गौरव के साथ मिलकर नीरज बवाना के मामा गैंगस्टर काला असोदिया की गोली मारकर हत्या कर दी थी.