हरियाणा

वन-राजस्व विभाग में फर्जीवाड़ा, पेड़ों की संख्या बढ़ाकर 15.36 लाख का घोटाला

फरीदाबाद : जिला वन विभाग और राजस्व विभाग के अधिकारियों का फर्जीवाड़ा सामने आया है। जिले में बाईपास पर 2021 में दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे निर्माण का कार्य शुरू किया गया था। इसके लिए दाएं-बाएं सड़कें चौड़ी की गई थीं जिसकी वजह से काफी पेड़ काटे गए थे। पेड़ों को काटने से पहले वन विभाग को मूल्यांकन की जिम्मेदारी दी गई थी। वन विभाग के दायरे में सिर्फ 93 पेड़ आ रहे थे।

आरोप है कि वन मंडल में कार्यरत लिपिक उमर मोहम्मद, ड्राइवर नवीन, सेवानिवृत सेवादार गजराज सिंह, वन मंडल श्रमिक मदनपाल, गोपाल, कम्प्यूटर आप्रेटर आनंद कुमार और पटवारी बिजेंद्र सिंह ने मिलकर कागजों में पेड़ों की संख्या 768 कर दी जिससे मुआवजा राशि अधिक हो जाए। वैसे 93 पेड़ों की राशि करीब पौने 2 लाख रुपए बनती थी जो इसके मालिकों को अदा कर दी गई। इसके साथ ही मूल्यांकन रिपोर्ट पर तत्कालीन जिला वन अधिकारी के हस्ताक्षर भी कर दिए और जमींदार रविंद्र सिंघाल के नाम 15.36 लाख का भुगतान करवा दिया तथा आपस में बांट लिए।

हालांकि अन्य पेड़ों के मूल्यांकन की जिम्मेदारी बागवानी विभाग की थी लेकिन उक्त अधिकारियों ने इस संबंध में बागवानी विभाग को सूचित करने की बजाय फर्जीवाड़ा कर दिया। फर्जीवाड़े की भनक लगने पर जिला वन अधिकारी ने 24 अगस्त 2022 को मामले की जांच शुरू करवाई। मामला हाईकोर्ट पहुंचा। संबंधित फर्जी पत्र को जारी करवाने में बिजेंद्र पटवारी, सुभाष पटवारी, निरीक्षक हेमराज, उमर मोहम्मद लिपिक और रविंद्र सिंघाल की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। इनके खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज हो गया है।

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