बिहार में 3.66 लाख मतदाताओं की स्थिति पर SC ने EC से मांगा ब्योरा

बिहार एसआईआर प्रक्रिया मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश आया है. कोर्ट ने चुनाव आयोग से एसआईआर प्रक्रिया के तहत तैयार अंतिम मतदाता सूची से बाहर रखे गए 3.66 लाख मतदाताओं का ब्योरा मांगा है. चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एसआईआर की अंतिम मतदाता सूची में जोड़े गए अधिकांश नाम नए मतदाताओं के हैं, कुछ पुराने मतदाता हैं. अब तक किसी भी बहिष्कृत मतदाता द्वारा कोई शिकायत या अपील दायर नहीं की गई है. मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को दोपहर 3:45 बजे होगी.
बिहार SIR मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकीलों से पूछा कि SIR से प्रभावित लोग कहां हैं? प्रशांत भूषण ने कहा कि मैं 100 ऐसे लोगों को ला सकता हूं. आपको कितने लोग चाहिए? मैं पहले भी ऐसा कर चुका हूं. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति वास्तव में पीड़ित है और वह आता है तो हम चुनाव आयोग को निर्देश दे सकते हैं.
चुनाव आयोग को बदनाम करना बंद करना चाहिए
वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने एक आवेदक की ओर से कहा, उन्हें चुनाव आयोग को बदनाम करना बंद करना चाहिए. सार्वजनिक मीडिया में वो वोट चोरी वगैरह कहते हैं, उन्हें ऐसा करना बंद करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट निगरानी कर रहा है, समानांतर नहीं हो सकता. जो पक्ष ये आरोप लगा रहे हैं, उनकी सुनवाई नहीं होनी चाहिए. हंसारिया ने अन्य राज्यों में भी एसआईआर शुरू करने का अनुरोध किया. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि एक विशेष राज्य में जहां एसआईआर शुरू किया गया था, हमने निगरानी की है. बाकी राज्य, यह चुनाव आयोग का अधिकार क्षेत्र है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सभी के पास वोटर लिस्ट का मसौदा है. अंतिम सूची भी प्रकाशित हो चुकी है. इसलिए तुलनात्मक विश्लेषण से आवश्यक आंकड़े पेश किए जा सकते हैं. जस्टिस बागची ने चुनाव आयोग का पक्ष रखने के लिए पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी से कहा, अदालती आदेशों के परिणामस्वरूप चुनावी प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता और पहुंच बढ़ी है.
मसौदा सूची की संख्या में इजाफा हुआ है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, चूंकि अंतिम सूची में मतदाताओं की संख्या से ऐसा लगता है कि मसौदा सूची की संख्या में इजाफा हुआ है, इसलिए किसी भी भ्रम से बचने के लिए अतिरिक्त मतदाताओं की पहचान का खुलासा होना चाहिए. जस्टिस बागची ने कहा, हमसे सहमत होंगे कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और पहुंच में सुधार हुआ है. मगर, आप किसी को लिस्ट से हटा रहे हैं तो कृपया नियम 21 और एसओपी का पालन करें.




