हरियाणा

सत्संग इंसान का चरित्र बदलता है: कंवार साहेब

भिवानी, (ब्यूरो): सत्संग कीर्तन भजन करना या किसी बानी की व्याख्या करना नहीं है । सत्संग परमात्मा के नाम का गुणगान है।दुनियादारी में अनेकों कठिनाईया आती है लेकिन उन कठिनाईयो से पार पाकर भक्ति भाव को बरकरार रखना सत्संग से आता है।सत्संग आपको विवेक प्रदान करता है।यह सत्संग वचन परमसंत सतगुरु कँवर साहेब महाराज ने दिनोद गांव में स्थित राधास्वामी आश्रम में फऱमाई।हुजूर कँवर साहेब ने कहा कि दुनिया में कीर्तन भजन तप जप की अपनी महिमा है।सबका अपना लाभ भी है लेकिन सत्संग की बराबरी इनमें से कोई नहीं कर सकता।इसकी पुष्टि विश्वामित्र और वशिष्ठ मुनि का प्रसंग भी करता है।विश्वामित्र तप को बड़ा बता रहे थे जबकि वशिष्ठ मुनि सत्संग को।दोनों फैसले के लिए शेषनाग के पास गए।शेषनाग ने कहा की मैं पृथ्वी को थामे हुए हूँ आप में कोई इस पृथ्वी का भार कुछ देर के लिए ले लो मैं आपका फैसला कर दूँगा।सबसे पहले विश्वामित्र ने हामी भरी और पृथ्वी को उठाने लगे लेकिन पृथ्वी नहीं उठी। विश्वामित्र ने कहा कि मैं जीवन भर का तप समर्पित करता हूँ लेकिन पृथ्वी को धारण नहीं कर पाये।उसके बाद वशिष्ठ मुनि ने एक पल के सत्संग को समर्पित कर के पृथ्वी को धारण कर लिया।गुरु महाराज ने कहा कि सत्संग इंसान का चरित्र बदलता है क्यूंकि संग का बहुत बड़ा महत्व है।आपका संग तय करता है की आप क्या बनोगे।सत्संग आपको धीरज और धर्म से बाँधता है।उन्होंने कहा कि धीरज इंसान को अपने कर्तव्य से डिगने नहीं देता।धीरज और धर्म विपत्ति काल में ही परखे जाते हैं।श्री रामचंद्र ने धीरज और धर्म को कभी डिगने नहीं दिया यही कारण है कि आज भी दुनिया उन्हें पूजती है।हुजूर कँवर साहेब ने फऱमाया कि सत्संग इंसान को प्रमात्मा का रस प्रदान करता है।जब परमात्मा के नाम का रस आपको मिल जाता है तब दुनिया का कोई रस आपको डिगा नहीं सकता।

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