जबलपुर में हुई संघ की बैठक, दत्तात्रेय होसबाले बोले – समाज की आत्मशक्ति बढ़ाना ही RSS का उद्देश्य

जबलपुर के कचनार सिटी में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक के अंतिम दिन पत्रकार वार्ता में सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने बैठक और संघ शताब्दी वर्ष के निमित्त विजयादशमी के उपलक्ष्य में देशभर में आयोजित कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी. दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि संघ शताब्दी वर्ष को लेकर संस्कारधानी जबलपुर में बैठक के आयोजन से संघ यात्रा का दस्तावेज दर्ज हो गया है. उन्होंने कहा कि विजयादशमी के मौके पर नागपुर सहित देशभर में कार्यक्रम संपन्न हुए. शताब्दी वर्ष पर धार्मिक, साहित्य, कला, उद्योग, और अन्य क्षेत्रों के गणमान्य लोगों ने अपनी शुभकामनाएं दी हैं.
विजयादशमी पर देशभर में कार्यक्रम आयोजित
दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि संघ की 100 सालों की यात्रा में लाखों स्वयंसेवकों के साथ ही समाज के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने सहयोग दिया, उन सभी के प्रति आभार व्यक्त करते हैं. विजयादशमी के अवसर पर देशभर में आयोजित कार्यक्रमों के आंकड़े संघ कार्य के फैलाव को दर्शाते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में 59,343 मंडलों में से 37,250 मंडलों में कार्यक्रम हुए, जिसमें आस-पास के मंडलों के स्वयंसेवक भी शामिल हुए, इस प्रकार 50,096 मंडलों का प्रतिनिधित्व रहा.
नगरीय क्षेत्रों में 44,686 बस्तियों में से 40,220 बस्तियों का प्रतिनिधित्व कार्यक्रमों में रहा. इसके अतिरिक्त 6700 विजयादशमी कार्यक्रम हुए. इस प्रकार कुल मिलाकर 62,555 विजयादशमी उत्सव हुए. विशेष यह कि 80 प्रतिशत कार्यक्रम विजयादशमी के दिन ही हुए, कुछ स्थानों पर स्थानीय कारणों के चलते बाद में या पहले कार्यक्रम हुए.
32 लाख से ज्यादा स्वयंसेवक गणवेश में रहे मौजूद
उन्होंने बताया कि देशभर में आयोजित इन कार्यक्रमों में 32,45,141 स्वयंसेवक गणवेश में उपस्थित रहे. पथ संचलन के कार्यक्रम सभी जगह नहीं हुए, कुछ स्थानों पर हुए. देश में 25,000 स्थानों पर पथ संचलन हुए, इनमें 25,45,800 स्वयंसेवक गणवेश में सहभागी हुए. देश का कोई भी भौगोलिक क्षेत्र अछूता नहीं रहा, इन कार्यक्रमों से यह फैलाव दिखता है. अंडमान में भी कार्यक्रम हुआ, लद्दाख, अरुणाचल, मेघालय व नागालैंड में भी हुआ है.
विजयादशमी के कार्यक्रमों में समाज के विभिन्न समुदाय, समूह की सहभागिता रही. नागपुर के कार्यक्रम में विदेश से भी अतिथियों की उपस्थिति रही. उन्होंने सरसंघचालक व अन्य अधिकारियों से नागपुर और दिल्ली में भेंट की. उन्होंने संघ को समझा भी और शुभकामनाएं भी दीं.
10 हजार नए स्थानों पर संघ कार्य प्रारंभ
पिछले वर्ष अक्टूबर में हुई बैठक के बाद से संघ कार्य की दृष्टि से एक साल में 10 हजार नए स्थानों पर संघ कार्य प्रारंभ हुआ है. वर्तमान में 55052 स्थानों पर 87398 शाखाएं लग रही हैं जो पिछले वर्ष से 15000 अधिक हैं. इसके अतिरिक्त साप्ताहिक मिलन 32362 हैं. यह दोनों मिलाकर कुल स्थान 87414 होती है. पिछले कुछ वर्षों में विशेष प्रयासों के कारण जनजाति क्षेत्र के साथ-साथ श्रमजीवी, कृषक, विद्यार्थी, व्यवसायी, अन्य क्षेत्रों में भी कार्य का विस्तार हुआ है.
शताब्दी वर्ष के आगामी कार्यक्रम
बैठक में शताब्दी वर्ष के आगामी कार्यक्रमों को लेकर भी चर्चा हुई. अभी तक समाज का अच्छा प्रतिसाद मिला है. संघ का कार्य समाज, राष्ट्र का कार्य है. आगे बस्ती/मंडल स्तर पर हिन्दू सम्मेलन करने वाले हैं. हिन्दू सम्मेलनों के माध्यम से मंडल, बस्ती स्तर तक पंच परिवर्तन से विषयों को लेकर पहुंचेगे, प्रयास रहेगा कि समाज के आचरण का विषय बने. इनमें साधु संत, सज्जन शक्ति, मातृ शक्ति, प्रमुख लोग विचार रखेंगे.
सामाजिक सद्भाव बैठकों का आयोजन
अनुमान है कि 45000 ग्रामीण और 35000 नगरीय स्थानों पर सम्मेलन आयोजित होंगे. खंड, नगर स्तर पर सामाजिक सद्भाव बैठकों का आयोजन होगा, जिला स्तर पर प्रमुख जन नागरिक गोष्ठियों का आयोजन होगा. अधिकाधिक लोगों को राष्ट्र कार्य में जोड़ना है. सभी लोग शाखा में आ जाएं, ऐसी अपेक्षा नहीं है. पर, अपने-अपने क्षेत्र में समाज की एकता, समाज की समरसता, राष्ट्र की उन्नति के भाव से कार्य करें.
उन्होंने कहा कि शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों का उद्देश्य संगठन की शक्ति बढ़ाना नहीं, समाज की आत्मशक्ति को बढ़ाना है. समाज में जागृति हो. सरकार्यवाह ने बताया कि कार्यकारी मंडल में तीन वक्तव्य जारी किए गए हैं.
धर्म, संस्कृति और समाज की एकता के लिए दी जान
24 नवंबर को सिक्ख पंथ के नवम् गुरू श्री गुरु तेगबहादुर जी की शहादत को 350 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं. यहां बैठक में गौरव समर्पण किया है. आगामी समय में देशभर में होने वाले कार्यकर्मों में कार्यकर्ता भाग भी लेंगे, और कई जगह आयोजन में भी सहभागी होंगे. गुरू तेगबहादुर ने धर्म, संस्कृति और समाज की एकता की रक्षा के लिए प्राण अर्पण किया. वह अपने समाज, धर्म, संस्कृति के रक्षा के लिए कटिबद्ध रहे, यह आज पीढ़ी को बताना है.
भगवान बिरसा मुंडा को किया याद
भगवान बिरसा मुंडा जनजाति क्षेत्र के जननायक, जिन्होंने भारत भूमि के लिए कार्य किया वह सभी के लिए आदर योग्य हैं. बिरसा मुंडा केवल अंग्रेजों के खिलाफ लड़े, ऐसा नहीं है. उन्होंने धर्मांतरण के खिलाफ, जनजातीय क्षेत्र के विकास के लिए भी विचार रखा. उनके प्रति हम श्रद्धा अर्पित करते हैं. और उनकी 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में सारे समाज को सहभागी होना चाहिए. संघ ने बिरसा मुंडा को प्रातः स्मरणीय माना है.
भारत की पहचान व संस्कृति को समझना आवश्यक
वंदेमातरम राष्ट्रगीत के 150 वर्ष हो रहे हैं. 1975 में राष्ट्रगीत के 100 वर्ष पूर्ण होने पर देशभर में समितियां बनाई थीं. लेकिन दुर्भाग्य से आपातकाल लगने के कारण इस कार्य को स्थगित करना पड़ा. स्वतंत्रता संग्राम में जिसे गीत के रूप में गाया था, 1975 में फिर से स्वतंत्रता संग्राम करने के दिए आ गए थे. वर्तमान पीढ़ी को इसकी रोचक कहानी बतानी चाहिए, वंदेमातरम् केवल गीत नहीं है, भारत की आत्मा का मंत्र है. भारत की पहचान व संस्कृति को समझना आवश्यक है.
जल्दी ही मणिपुर में अच्छे दिन आएंगे
झारखंड और छत्तीसगढ़ में नक्सली गतिविधियों में परिवर्तन दिख रहा है. नक्सली शस्त्रों को त्याग कर समाज के मुख्य धारा में आ रहे हैं. मणिपुर के विषय पर उन्होंने कहा कि वहां की सरकार अभी कार्य में नहीं है, किंतु जल्दी ही वहां अच्छे दिन आएंगे. संघ कार्यकर्ताओं ने पिछले दो वर्षों में संकट की परिस्थिति में धरातल पर कार्य किया. वहां पर परस्पर विश्वास का निर्माण करने की दृष्टि से कई बातें हुई हैं.
नशे के कारण पिछड़ रहा युवा
बैठक में भारत के युवाओं के प्रति चिंता व्यक्त की गई. आज का युवा एक ओर भारत के विकास में तकनीक और अपने कौशल के साथ आगे बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर नशे के कारण वह पिछड़ रहा है. हमारे शैक्षिक संस्थानों स्कूलों महाविद्यालयों जैसे क्षेत्रों में ड्रग्स का विक्रय हो रहा है, जिसे रोकने के लिए सरकार के साथ-साथ समाज, धार्मिक संस्थाओं, समाज के कार्यकर्ताओं आदि को सक्रिय होना पड़ेगा. इसमें कुटुंब प्रबोधन की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है.




