‘सैलरी नहीं मिल रही थी, फिर भी काम जारी…’ SIR कर्मचारी की MP में सातवीं मौत, परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप

मध्य प्रदेश में जारी एसआईआर यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) ने एक ओर जहां प्रशासनिक सख्ती को बढ़ाया है. वहीं, दूसरी ओर बीएलओ कर्मचारियों पर काम का अत्यधिक दबाव और लगातार बढ़ते हादसों ने पूरे सिस्टम को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है. कटनी जिले से मिली एक हृदयविदारक घटना ने पूरे सिस्टम को झकझोर दिया है. बताया जा रहा है कि SIR के दौरान चल रहे अत्यधिक काम के तनाव और बीते तीन महीनों से वेतन न मिलने के कारण ग्राम रोजगार सहायक रूपेंद्र सिंह ने अपनी जान दे दी. यह राज्य में बीएलओ से जुड़ी मौत का सातवां मामला बताया जा रहा है.
ढीमरखेड़ा थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली गोपालपुर पंचायत में रूपेंद्र सिंह का शव घर के पीछे खेत में एक पेड़ से लटका हुआ मिला. सुबह ग्रामीणों ने शव देखा तो पूरे इलाके में सनसनी फैल गई. घटना की जानकारी मिलते ही परिवार, ग्रामीण और सहकर्मी मौके पर जमा हो गए. रूपेंद्र गोपालपुर पंचायत में रोजगार सहायक के रूप में कार्यरत थे और बूथ क्रमांक 275 में बीएलओ अनिल कुमार दहिया के साथ सहायक के काम पर काम कर रहे थे. परिवारजन और स्थानीय कर्मचारियों का कहना है कि उसे लंबे समय से वेतन नहीं मिल रहा था और इस बीच एसआईआर कार्य के चलते उस पर दबाव लगातार बढ़ता जा रहा था. परिजनों के अनुसार वो कई दिनों से अवसाद में थे और घरवालों से भी कम बातचीत कर रहे थे.
‘मृतक के परिवार को मिलें 5 लाख रुपये’
घटना के बाद पंचायत और रोजगार सहायक संघ के सदस्यों ने जिला पंचायत सीईओ के माध्यम से शासन को एक ज्ञापन सौंपा. इसमें मृतक के परिवार को पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने और परिवार के एक सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने की मांग रखी गई है. कर्मचारियों का कहना है कि लगातार बढ़ते कार्यभार और वेतन संबंधी अनियमितता के कारण क्षेत्र में ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं, जिस पर सरकार को तत्काल संज्ञान लेना चाहिए. उनका दावा है कि आर्थिक तंगी और सरकारी कार्यभार के बोझ ने रूपेंद्र को मानसिक रूप से तोड़ दिया था.
इससे पहले हो चुकी हैं 6 मौतें
लेकिन इसी बीच राज्य में बीएलओ की लगातार हो रही मौतों ने व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर किया है. इससे पहले छह बीएलओ अपनी ड्यूटी के दौरान दम तोड़ चुके हैं. शहडोल के सोहागपुर में बीएलओ मनीराम नापित मतदाता फॉर्म संग्रह के दौरान अचानक तबीयत बिगड़ने से चल बसे. नर्मदापुरम के पिपरिया में शिक्षक और बीएलओ सुजान सिंह रघुवंशी सर्वे से लौटते समय ट्रेन हादसे का शिकार हुए और बाद में उनकी मृत्यु हो गई. मंडीदीप में ऑनलाइन बैठक के तुरंत बाद बीएलओ रमाकांत पांडे बेहोश हुए और अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गई.
झाबुआ में बीएलओ भुवन सिंह को हाल ही में लापरवाही में निलंबित किया गया था, जिसके बाद सदमे और तनाव के कारण उन्हें हार्ट अटैक आया और मौत हो गई. दमोह और बालाघाट जिलों में भी दो बीएलओ लगातार दबाव और भागदौड़ के कारण बीमार पड़े और इलाज के दौरान चल बसे. राजधानी भोपाल में भी दो बीएलओ कीर्ति कौशल और मोहम्मद लईक ड्यूटी के दौरान हार्ट अटैक का शिकार हुए और फिलहाल अस्पताल में भर्ती हैं. रीवा, भिंड सहित कई जिलों से हार्ट अटैक और ब्रेन हेमरेज के मामलों की रिपोर्टें सामने आ रही हैं. कर्मचारियों का आरोप है कि बीमारी तथा थकान के बावजूद भी उनसे काम पूरा करने का दबाव डाला जा रहा है.
मामले में क्या बोले एएसपी?
परिजन आरोप लगा रहे हैं कि यदि समय पर वेतन मिल जाता और उस पर कार्य का इतना दबाव न होता, तो शायद रूपेंद्र आज जीवित होते. ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को जमीनी स्तर पर तैनात कर्मचारियों की समस्याओं को गंभीरता से सुनना चाहिए क्योंकि कई बार उन्हें बिना संसाधन, बिना स्टाफ और बिना समय सीमा बढ़ाए अत्यधिक काम सौंप दिया जाता है. एएसपी ने बताया कि मृतक रूपेंद्र पिछले तीन दिनों से घर से गायब था. उन्होंने कहा कि प्राथमिक जानकारी में उसकी शराब के सेवन की लत की बात सामने आई है. पुलिस के पास वेतन न मिलने या काम के ज्यादा बोझ को लेकर कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं थी.
फिलहाल, पुलिस सभी पहलुओं पर जांच कर रही है ताकि आत्महत्या के पीछे की वास्तविक वजह स्पष्ट हो सके. घटना के बाद स्थानीय लोगों में प्रशासन के प्रति नाराजगी दिखाई दे रही है और पुलिस की जांच जारी है. परिवार और ग्रामीण प्रशासन से न्याय की मांग कर रहे हैं. आने वाली जांच रिपोर्ट ही यह तय करेगी कि रूपेंद्र की मौत के पीछे असल वजह क्या थी, लेकिन यह घटना एक बार फिर बताती है कि जमीनी स्तर पर तैनात कर्मचारियों पर बढ़ता दबाव किस हद तक घातक होता जा रहा है.




