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सुप्रसिद्ध कथावाचक सद्भावना स्वामी डॉ. रमनीक कृष्ण जी महाराज ने CM नायब सैनी से की शिष्टाचार भेंट

चंडीगढ़: जगत सद्भावना संस्थान के अध्यक्ष सुप्रसिद्ध कथावाचक सद्भावना दूत पुराणाचार्य स्वामी डा रमनीक कृष्ण जी महाराज ने आज मुख्यमंत्री आवास पर जाकर  हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से शिष्टाचार भेंट की। महाराज जी ने बताया के वर्तमान की हरियाणा सरकार योग और अध्यात्म पर अति सराहनीय कार्य कर रही है। राष्ट्र के उत्थान में संस्कृत भाषा का संवर्धन एवं भाषा की व्यापकता अत्यधिक आवश्यक है, जिसके लिए पूर्व से ही हरियाणा सरकार गुरुकुलो की स्थापना एवं संवर्धन का कार्य कर रही है। इस कढ़ी में प्रदेश में और गुरुकूलो की स्थापना पर चर्चा हुई।  आने वाले दिनों में पंचकूला में होने वाली विशाल श्रीमद्भगवत कथा के लिए भी पूज्य महाराज जी ने मुख्यमंत्री को न्योता दिया जिसे उन्होंने स्वीकार किया।

सुप्रसिद्ध कथावाचक सद्भावना दूत पुराणाचार्य स्वामी डॉ. रमनीक कृष्ण जी महाराज ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन कुरुक्षेत्र में अर्जुन को भगवान कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था। तभी से मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी पर गीता जयंती मनाई जाती है। श्रीमद्भगवद्गीता दुनिया का सबसे श्रेष्ठ ग्रंथ है। इस ग्रंथ का पाठ करनेवाला व्यक्ति जीवन में कभी भी परेशान नहीं हो सकता है। श्रीमद्भगवद्गीता का अनुसरण करने वाले व्यक्ति को मृत्युके पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्म और कर्म को समझाते हुए उपदेश दिया था।

महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण के द्वारा जो उपदेश दिए गए उसे गीता कहा जाता है। गीता के उपदेश में जीवन जीने, धर्मका अनुसरण करनेऔर कर्मके महत्व को समझाया गया है। मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। मोक्षदा एकादशी पर भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने से और व्रत रखने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन उपवास करने की मान्यता है। गीता जयंती के दिन उपवास करने से मन पवित्र होता है और शरीर स्वस्थ रहता है। साथ ही समस्त पापों से भी छुटकारा मिलता है।

सुप्रसिद्ध कथावाचक सद्भावना दूत पुराणाचार्य स्वामी डा रमनीक कृष्ण जी महाराज ने कहा कि “महाभारत के युद्ध के समय जब अर्जुन अपने सगे-सबंधियों को देखकर युद्ध करने से मना कर देते हैं, तो श्री कृष्ण समय रोककर उन्हें उपदेश देते हैं और उन्हें उनके कर्म व धर्म से अवगत कराते हैं। श्री कृष्ण के इन्हीं उपदेशों को ‘भगवत गीता’ में संकलित किया गया है। गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। भारतीय परम्परा के अनुसार गीता का स्थान वही है जो उपनिषद् और धर्मसूत्रों का है। उपनिषदों को अगर गाय कहा जाए, तो गीता को उसका दुग्ध कहा गया है। गीता में ज्ञानयोग, कर्म योग, भक्ति योग, राजयोग, एकेश्वरवाद जैसे कई विषयों की बहुत ही विस्तृत रूप से चर्चा की गई है।

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