छत्तीसगढ़ कोल ब्लॉक आवंटन घोटाले में पूर्व कोयला सचिव को राहत, कोर्ट ने किया बरी

छत्तीसगढ़ कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला केस में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता और पूर्व सिविल सेवक केएस क्रोफा और तीन अन्य को बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड पर कोई भी सामग्री नहीं है जो यह साबित करे कि आरोपी सार्वजनिक सेवकों ने जनहित के खिलाफ काम किया. सभी पर छत्तीसगढ़ में फतेहपुर ईस्ट कोयला ब्लॉक मेसर्स आर.के.एम. पावरजेन प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी को कोयला आवंटित में कथित अनियमितताओं के आरोप थे.
राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश (पीसी एक्ट) धीरज मोर ने फैसला सुनाया कि एचसी गुप्ता, केएस क्रोफा, साथ ही डॉ. अंडाल अरुमुगम और टीएम सिंगारवेल, आरकेएम पावरजेन प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारियों, जिस कंपनी को छत्तीसगढ़ में फतेहपुर ईस्ट कोल ब्लॉक आवंटित किया गया था, के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी या जालसाजी के आवश्यक तत्व नहीं पाए गए.
कोर्ट ने आरोपियों को किया बरी
कोर्ट ने आरोपियों को आरोप-मुक्त करते हुए आदेश दिया कि उपर्युक्त विस्तृत चर्चा पर विचार करते हुए, सभी पांच आरोपी व्यक्ति मेसर्स आरकेएम. पावरजेन प्राइवेट लिमिटेड, डॉ. अंडाल अरुमुगम, टी.एम. सिंगारवेल, हरीश चंद्र गुप्ता और कुलजीत सिंह क्रोफा आरोप-पत्र में उनके विरुद्ध आरोपित संबंधित अपराधों के लिए आरोप-मुक्त किए जाने के हकदार हैं. इसके बाद कोर्ट ने उन सभी को आरोप-मुक्त किए जाने का आदेश दिया जाता है. इस प्रकार मामला सुनवाई के लिए नहीं गया, बल्कि आरोप-निर्धारण के चरण में ही बंद कर दिया गया.
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने दर्ज किया केस
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने आरकेएम पावरजेनप्राइवेट लिमिटेड, उसके निदेशकों और कोयला मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों (गुप्ता और क्रोफा) के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत कथित गलतबयानी, जाली दस्तावेजों के इस्तेमाल और कोयला ब्लॉक आवंटन प्रक्रिया में अनियमितताओं के आरोप लगाते हुए मुकदमा शुरू किया था.
आरकेएम पावरजेन पर आरोप
आरकेएम पावरजेन पर आरोप है कि उसने 2006 में कोयला ब्लॉक के लिए आवेदन किया था और अपनी संपत्ति काफ़ी ज़्यादा होने का दावा किया था. कंपनी ने कथित तौर पर भूमि अधिग्रहण के लिए जाली सहमति पत्र और अन्य झूठे दस्तावेज़ जमा किए, और कोयला मंत्रालय के अधिकारियों ने इन मुद्दों की अनदेखी की जिससे आवंटन आसान हो गया. CBI ने शुरुआत में 2017 में एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की, जिसमें निष्कर्ष निकाला गया कि आरकेएम पावरजेन, वैध प्रमुख प्रमोटरों वाली एक विशेष प्रयोजन कंपनी होने के नाते, अपनी समेकित निवल संपत्ति का दावा करने की हकदार थी और इस प्रकार कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए पात्र थी.
हालांकि, तत्कालीन विशेष न्यायाधीश ने इस जांच को अपर्याप्त पाया और आगे की जांच के निर्देश दिए.पूरक जांच में आरकेएम पावरजेन के आवेदनों में विसंगतियां पाई गईं. मामले पर विचार करने के बाद कोर्ट ने पाया कि कथित अपराध के लिए आरोपी लोक सेवकों और निजी आरोपियों के बीच विचारों के मेल का कोई आरोप नहीं है.
कोर्ट ने कही ये बात
कोर्ट ने आगे कहा कि इसके अलावा, फतेहपुर ईस्ट कोल ब्लॉक के आवंटन के लिए स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा आरोपी नंबर 1 कंपनी के पक्ष में की गई सिफारिश के लिए आरोपी लोक सेवकों द्वारा किसी भी तरह के लेन-देन या अनुचित लाभ प्राप्त करने का कोई आरोप नहीं है. इस बात का कोई सबूत नहीं है कि आरोपी लोक सेवकों को संबंधित समय पर आरोपी नंबर 1 कंपनी द्वारा स्क्रीनिंग कमेटी/कोयला मंत्रालय को दिए गए किसी कथित गलत बयान की जानकारी थी या उसने किसी जाली दस्तावेज़ को असली के रूप में इस्तेमाल किया था. इसलिए, कोर्ट ने मामले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया.




