धर्म/अध्यात्म

शबरी जयंती के दिन पूजा में जरूर पढ़ें ये कथा, श्रीराम के आशीर्वाद से पूरे होंगे सभी काम!

हिंदू धर्म में शबरी जयंती का विशेष महत्व है. शबरी भगवान राम की बहुत बड़ी भक्त थीं. माता शबरी के जन्मोत्सव के रूप में हर साल फाल्गुन माह की सप्तमी तिथि शबरी जयंती के रूप में मनाई जाती है. इस दिन भगवान राम और माता शबरी की पूजा की जाती है. इस दिन व्रत का भी विधान है. इस दिन व्रत और पूजन करने से जीवन के दुख दूर होते हैं. इस दिन पूजा के समय माता शबरी की कथा अवश्य पढ़नी चाहिए. इस दिन पूजा के समय कथा पढ़ने से भगवान राम का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके आशीर्वाद से सारे काम पूरे हो जाते हैं.

शबरी जयंती|Shabari Jayanti 2025 Date

हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि 19 फरवरी यानी आज सुबह 7 बजकर 32 मिनट पर आरंभ हो चुकी है. वहीं इस तिथि का समापन 20 फरवरी को सुबह 9 बजकर 58 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, इस साल 20 फरवरी यानी कल शबरी जयंती मनाई जाएगी. कल ही इसका व्रत भी रखा जाएगा.

माता शबरी की कथा |Shabari Jayanti Katha

माता शबरी का असली नाम श्रमणा था. वो भीलों के राजा की बेटी थीं. उनके पिता ने भील राजकुमार से उनका विवाह तय किया था. साथ ही उनके पिता ने कहा था कि मेरी बेटी के विवाह वाले दिन सैकड़ों भैंस-बकरों की बली चढ़ाई जाएगी. इस बारे में जब माता शबरी को पता चला तो वो बहुत दुखी हुईं और सोचने लगीं कि जिस विवाह में निर्दोष पशुओं की बली चढ़ाई जाए उसे न करना ही अच्छा होगा. ये सोचते हुए ही वो रात में ही उठकर जंगल में चली गईं.

उन्होंने जगंल में पहुंचने के बाद वहां ऋषियों- मुनियों को तपस्या करते देखा. फिर उनके मन में खयाल आया कि मैनें तो नीच जाति में जन्म लिया है. मैं कैसे इन ऋषियों-मुनियों के साथ यहां जंगल में रह पाऊंगी. मेरा तो भक्ति का ज्ञान भी शुन्य है, लेकिन माता शबरी के मन में प्रभु राम के प्रति बहुत स्नेह था. इसी कारण उनमें भक्ति और ध्यान के सारे गुण आ गए. शुरू में माता शबरी जब ऋषियों-मुनियों को बाहर जाते देखतीं तो वो उनके रास्ते को साफ करतीं. रास्ते से कंकड़ पत्थर हटातीं. ऋषियों-मुनियों के यज्ञ और हवन के लिए जंगल से लकड़ियां चुनकर देतीं. माता शबरी के इन कामों के बारे में ऋषियों-मुनियों को नहीं पता था. वो ये काम ऋषियों-मुनियों से छिपाकर करती थीं.

माता शबरी की भक्ति देखकर मंगत ऋषि बहुत प्रसन्न हुए और उनपर कृपा की. समय के साथ जब मंगत ऋषि वृद्ध हो गए और मृत्यु की अवस्था में पहुंच गए तो माता शबरी बहुत व्याकुल हुईं. तब मंगत ऋषि ने उन्हें कहा कि तुम सिर्फ धैर्य पूर्वक भगवान राम की अराधना करो. वो प्रसन्न होकर तुम्हारी कुटिया में एक दिन अवश्य आएंगे. इतना कहकर ऋषि स्वर्ग लोग सिधार गए.

वहीं माता शबरी ऋषि मंगत के कहे अनुसार अपनी कुटिया में भगवान राम की अराधना करती रहीं. फिर सालों बाद भगवान राम माता शबरी की कुटियां में पधारे. माता भगवान को देखकर बहुत प्रसन्न हुईं. माता ने भगवान को चखकर बेर खिलाए, ताकि कोई खट्टा बेर भगवान के मुंह में न चला जाए. भगवान राम माता शबरी की भक्ति देखकर प्रसन्न हुए और उनको प्रभु की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति हुई.

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