हरियाणा

भाई बहन के प्यार का प्रतीक है रक्षाबंधन का त्यौहार शीर्षक —

मीठी तो कर दे री मां कोथली या रिश्तों की मिठास में लिपटी परंपरा=रक्षाबंधन

रक्षा बंधन का त्योहार भारतीय त्योहारों में से एक प्राचीन त्योहार है। रक्षा-बंधन यानि – रक्षा का बंधन, एक ऐसा रक्षा सूत्र जो भाई को सभी संकटों से दूर रखता है। यह त्योहार भाई-बहन के बीच स्नेह और पवित्र रिश्ते का प्रतिक है। रक्षाबंधन एक सामाजिक, पौराणिक, धार्मिक और ऐतिहासिक भावना के धागे से बना एक ऐसा पावन बंधन है, जिसे रक्षाबंधन के नाम से केवल भारत में ही नहीं बल्कि नेपाल और मॉरेशिस में भी बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। राखी के त्योहार को हम संपूर्ण भारतवर्ष में सदियों से मनाते चले आ रहे हैं। आजकल इस त्योहार पर बहनें अपने भाई के घर राखी और मिठाइयाँ ले जाती हैं। भाई राखी बाँधने के पश्चात् अपनी बहन को दक्षिणा स्वरूप रुपए देते हैं या कुछ उपहार देते हैं।
रक्षाबंधन के दिन बहन के द्वारा भाई की कलाई पर बांधी गई राखी मात्र एक घागा नहीं होता, इसके पीछे भाई का अपनी बहन के प्रति अनुराग के भाव के साथ सुरक्षा का भी संकल्प होता है। बहन के भी अपने भाई के प्रति स्नेह-प्रेम और अपनत्व के भाव होते हैं। भाई-बहन से जुड़ा यह पर्व अपने आप में बहुत अनूठा है।
रक्षाबंधन एक पवित्र त्यौहार है, जो भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है। यह त्यौहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों के कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। भाई भी अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं।
बहुत पवित्र है कच्चे धागे से बंधे हुए भाई-बहन का रिश्ता
भाई-बहन का रिश्ता सबसे पवित्र और सुंदर रिश्तों में से एक है। यह रिश्ता बचपन से ही शुरू होता है और जीवन भर चलता है। भाई-बहन एक दूसरे के साथ खेलते हैं, लड़ते हैं, और एक दूसरे की रक्षा करते हैं। रक्षाबंधन का त्यौहार इस रिश्ते को और भी मजबूत बनाता है।
रक्षाबन्धन एक हिन्दू व जैन त्योहार है, जो प्रतिवर्ष श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। श्रावण (सावन) में मनाये जाने के कारण इसे श्रावणी (सावनी) या सलूनो भी कहते हैं। रक्षाबंधन पर बहनें भाइयों की दाहिनी कलाई एक पवित्र धागा यानि राखी बाँधती है और उनके अच्छे स्वास्थ्य और लम्बे जीवन की कामना करती है। वहीं दूसरी तरफ भाइयों द्वारा अपनी बहनों की हर हाल में रक्षा करने का संकल्प लिया जाता है। राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे, तथा सोने या चाँदी जैसी मँहगी वस्तु तक की हो सकती है। हालांकि रक्षाबंधन की व्यापकता इससे भी कहीं ज्यादा है। राखी बांधना सिर्फ भाई-बहन के बीच का कार्यकलाप नहीं रह गया है। राखी देश की रक्षा, पर्यावरण की रक्षा, हितों की रक्षा आदि के लिए भी बांधी जाने लगी है।
इसमें एक-दूसरे पर भरोसा, स्नेह, साथ परिपक्व होने की साझी गति और तमाम प्रतिस्पर्धाओं से गुजरकर, प्रतिद्वंदिताओं से परे का खास होता है। कुछ लोगों को जरूर लग सकता है कि प्रबंधन में बॉन्डिंग का पारंपरिक धागा अब जीवंत ही नहीं रहा। लेकिन ऐसा नहीं है। राखी का यह धागा अब भी भाई-बहन के प्रेम, एक-दूसरे के लिए भरोसे ,समर्पण का प्रतीक है। इस रिश्ते के केंद्र में मौजूद आज भी भाई और बहन का रिश्ता बेहद खुबसूरत, बेहद संवेदनशील और दुनिया के सभी रिश्तों से ज्यादा उदार, खुला हुआ और विविध आयामी है।
रक्षा रक्षाबंधन का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व
रक्षाबंधन की परंपरा की शुरुआत विभिन्न पौराणिक कथाओं से जुड़ी हुई है। एक प्रमुख कथा के अनुसार, देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु की कलाई पर राखी बांधकर उन्हें अपनी सुरक्षा का वचन दिया था। इसी प्रकार, महाभारत में द्रौपदी और भगवान कृष्ण के बीच राखी का आदान-प्रदान इस त्योहार की पवित्रता को दर्शाता है। द्रौपदी ने भगवान कृष्ण की कलाई पर राखी बांधकर उनकी रक्षा की प्रार्थना की थी, और संकट के समय कृष्ण ने उसकी सहायता की।
रक्षाबंधन के दिन का महत्व बहुत ही गहरा है। यह त्यौहार हमें भाई-बहन के प्यार और स्नेह की याद दिलाता है। यह हमें अपने परिवार और समाज के प्रति जिम्मेदारी का एहसास कराता है। यह त्यौहार हमें अपने रिश्तों को मजबूत बनाने और एक दूसरे की रक्षा करने के लिए प्रेरित करता है।
रक्षाबंधन का पारंपरिक महत्व बहुत गहरा है। यह त्यौहार हमें भाई-बहन के प्यार और स्नेह की याद दिलाता है। यह हमें अपने परिवार और समाज के प्रति जिम्मेदारी का एहसास कराता है। पारंपरिक रूप से, रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों के कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती है
रक्षाबंधन के दिन की रस्में
रक्षाबंधन के दिन की रस्में बहुत ही महत्वपूर्ण होती हैं। बहनें अपने भाइयों के कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। भाई भी अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं बहनें राखी के लिए विशेष रूप से तैयार होती हैं। विभिन्न डिज़ाइन और सामग्री वाली राखियाँ बाजार में उपलब्ध हैं। राखी को सजाने के लिए बहनें दीपक, चंदन, और मिठाइयाँ भी तैयार करती हैं। पूजा की थाली में दीपक, कुमकुम, और मिठाइयाँ होती हैं। बहनें पूजा के दौरान अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और तिलक करती हैं। इसके बाद, भाई अपनी बहन को उपहार देता है। इस दिन विशेष मिठाइयाँ और पकवान तैयार किए जाते हैं, जैसे गुलाब जामुन, पेड़े, और काजू कतली। ये खाद्य पदार्थ त्योहार की खुशी और उल्लास को बढ़ाते हैं।
भाई-बहन के प्यार का प्रतीक
वैसे तो भाई-बहन का रिश्ता बहुत खास होता है, जिस तरह से वह एक-दूसरे की चिंता करते है, उसकी कोई तुलना नहीं की जा सकती है। भाई-बहन के बीच का रिश्ता अतुलनीय है, वे चाहे छोटी-छोटी बातों पर एक-दूसरे से कितना भी लड़ाई-झगड़ा करें, लेकिन फिर भी वह एक-दूसरे के लिए कुछ भी करने से पीछे नहीं हटते। जैसे-जैसे वह बड़े होते जाते हैं जीवन के विभिन्न समयों पर यह रिश्ता और भी ज्यादा मजबूत होता जाता है। बड़े भाई अपनी बहनों की सुरक्षा के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, इसी तरह बड़ी बहनों द्वारा भी अपने छोटे भाइयों का मार्गदर्शन किया जाता है। भाई-बहन के इसी प्रेम के कारण यह विशेष पर्व मानाया जाता है, रक्षा बंधन का त्योहार हर भाई-बहन के लिए बहुत खास होता है। यह उनका एक-दूसरे के प्रति आपसी स्नेह, एकजुटता और विश्वास का प्रतीक है।
भाई पर बहन के सम्मान की जिम्मेदारी
बहन ने जब से अपनी आधुनिक जिंदगी का सफर शुरू या है, पुरुषों में हमेशा अपनी प्रकृति के मुताबिक महिलाओं पर जुल्म ढाए हैं। महिलाओं के प्रति पुरुषों के अपराध कभी घटे नहीं बल्कि हर दौर में पहले से ज्यादा बढ़ते ही रहे हैं। आज भी पूरी दुनिया में हर साल महिलाओं के विरुद्ध अपराध की जो करोड़ों वारदातें होती हैं, वे भी ही अंजाम देते हैं। ऐसे परिदृश्य में जब महिलाओं के वजूद के लिए पुरुष लगातार खतरा बने हौं, भाई-बहन के अनोखे रिश्ते को संचोधित रक्षाबंधन जैसा पर्व, इसी से बचाए रखने, उसकी सुरक्षा करने का संकल्प
वास्तविकता को चुनौती देने का एक सांकेतिक तरीका है। रक्षाबंधन के लिए जो भाई अपनी बहन की प्रतीकात्मक सुरक्षा ही है, करने की जिम्मेदारी लेता है, वह भी तो एक पुरुष जो एक महिला यानी अपनी बहन को हर तरह के अपराधों करता है, तो यह संकल्प भले व्यावहारिक कम लगता हो, लेकिन संवेदना के रूप में इसका आज भी उतना ही महत्व है, जितना तब रहा होगा, जब पहली बार किसी भाई ने अपनी बहन के मान, सम्मान की सुरक्षा की जिम्मेदारी रक्षा के एक धागे के एवज में ली होगी।
भावनात्मक रूप से मजबूत है राखी का धागा
रक्षाबंधन का यह पर्व अपनी इसी ऐतिहासिक और सैद्धांतिक संवेदना के लिए बहुत खास है। सगे भाई-बहन ही नहीं बल्कि इस रिश्ते के दायरे में मुंहबोली बहनें भी आती हैं, जिनकी सुरक्षा का नैतिक दायित्व उनके धर्म भाई लेते हैं, जो पुरुष हैं और उसी पुरुष प्रजाति का हिस्सा हैं, जो आज भी महिलाओं के विरुद्ध अपराध के केंद्र में हैं। रक्षाबंधन के पर्व से जो ऐतिहासिक और पौराणिक कहानियां जुड़ी हुई हैं, उनका भी प्रतीक रूप में यही संदेश है कि यह मामूली सा-धागा भावनात्मक रूप से कितना मजबूत है।
रक्षाबंधन का पर्व अपने पूरे देश में मनाया जाता है। कई जगहों पर इसके नाम अलग हो जाते हैं। हर साल श्रवण मास की पूर्णिमा के दिन यह पर्व मनाया जाता है। पारंपरिक रूप से सावन वह महीना होता है, जब महिलाएं अपनी ससुराल से मायके आती हैं और एक तरह से वे दिन उनके खूब खुशी और उल्लास के दिन होते हैं। इसी सावन के महीने की पूर्णिमा को बहनें अपने भाइयों की कलाइयों पर राखी बांधती हैं। जिन बहनों की शादी हो चुकी होती है और अब वे ससुराल में रहती हैं, तो इस दिन ससुराल से आकर मायके में भाई के हाथ में राखी बांधती हैं या भाई खुद ही उनके पास चला जाता है, इस खास रिश्ते को पूरा करता है।
इंसानी समाज की धरोहर है राखी का पर्व
रक्षाबंधन का त्योहार बहन और भाई के खास जज्बातों से जुड़ा है। इस त्योहार का आज भी यही संदर्भ और यही संकेत है कि हर महिला का कोई ना कोई भाई उसे दुनियाभर की परेशानियों से बचाने के लिए खड़ा है। यह इस पर्व की बहुत बड़ी और बहुत मानवीय विशेषता है। यह पर्व दुनियाभर के पुरुषों को संदेश देता है कि पुरुषों का दायित्व महिलाओं की सुरक्षा है और महिलाओं का एक रिश्ता पुरुषों के साथ स्नेह, गरिमा और अटूट अपनेपन का है। इसलिए यह पर्व जीवन जीने के तमाम तौर तरीकों के बदल जाने के बाद भी आज भी इंसानी समाज की धरोहर है
आधुनिक समय में रक्षाबंधन
समकालीन समय में, रक्षाबंधन की परंपरा ने कई बदलाव देखे हैं। अब राखियों के विभिन्न डिज़ाइन और शैलियाँ उपलब्ध हैं, जो इस त्योहार को और भी रंगीन और आकर्षक बनाती हैं। इसके अलावा, डिजिटल युग में, कई लोग ऑनलाइन भी राखी भेजते हैं और वीडियो कॉल के माध्यम से अपने रिश्तेदारों से जुड़ते हैं। इस प्रकार, रक्षाबंधन का स्वरूप आधुनिक समय के अनुरूप विकसित हो रहा है, लेकिन इसका मूल सार और महत्व अपरिवर्तित बना हुआ है।आजकल रक्षाबंधन का त्यौहार वैश्विक स्तर पर मनाया जाता है। लोग अपने भाइयों और बहनों को ऑनलाइन राखी भेजते हैं और वीडियो कॉल पर उन्हें बधाई देते हैं। यह त्यौहार अब सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में मनाया जाता है।
रक्षाबंधन एक ऐसा त्योहार है जो भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता और महत्व को उजागर करता है। यह परंपरा, पौराणिक कथाओं से लेकर आधुनिक जीवन तक, हमें रिश्तों की गरिमा और उनके संरक्षण की याद दिलाती है। यह त्योहार एक साथ मिलकर मनाने और एक-दूसरे के प्रति स्नेह और सम्मान प्रकट करने का अवसर प्रदान करता है। रक्षाबंधन के माध्यम से हम न केवल अपने पारिवारिक रिश्तों को मजबूत करते हैं, बल्कि समाज में भी एकता और भाईचारे की भावना को प्रोत्साहित करते हैं।
अमरजीत कौर, गांव किरोड़ी, हिसार ( हरियाणा)

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