बच्चों के अधिकारों की रक्षा सर्वोपरि: सीजेएम पवन कुमार
बच्चों की सुरक्षा सभी की सामूहिक जिम्मेदारी

भिवानी, (ब्यूरो): जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, भिवानी के तत्वावधान में पोक्सो अधिनियम, 2012 तथा किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 व इसके आदर्श नियम, 2016 विषय पर आधारित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन स्थानीय एडीआर केंद्र के कॉन्फ्रेंस हॉल में किया गया। यह कार्यशाला जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के चेयरमैन एवं जिला एवं सत्र न्यायाधीश डी.आर. चालिया के मार्गदर्शन में तथा सीजेएम सह सचिव पवन कुमार की अध्यक्षता में संपन्न हुई। कार्यशाला में लीगल एड डिफेंस काउंसल के सदस्यों, नव नियुक्त पैनल अधिवक्ताओं, संबंधित विभागों के अधिकारियों, पुलिस प्रतिनिधियों, संरक्षण अधिकारियों तथा अधिकार मित्रों ने सक्रिय सहभागिता की। कार्यशाला को संबोधित करते हुए सीजेएम पवन कुमार ने कहा कि बाल यौन शोषण के मामलों में न्याय सुनिश्चित करने के लिए पोक्सो अधिनियम को कठोरता से लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बचपन को भय से मुक्त बनाना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। जब तक समाज, प्रशासन, न्यायिक प्रणाली और जनसामान्य मिलकर प्रयास नहीं करेंगे, तब तक बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जा सकती। उन्होंने किशोर न्याय अधिनियम की व्याख्या करते हुए बताया कि यह कानून न केवल विधि से संघर्ष में आए किशोरों की पुनर्वास व्यवस्था पर बल देता है, बल्कि देखभाल और संरक्षण की जरूरत वाले बच्चों के लिए भी कई प्रावधान करता है। लीगल एड डिफेंस काउंसल की डिप्टी चीफ अधिवक्ता बबली, काउंसल के सदस्य विनोद तंवर व बचपन बचाओ आंदोलन के हरियाणा राज्य समन्वयक पुनीत शर्मा ने सयुंक्त रूप से कहा कि पोक्सो अधिनियम को लागू करना केवल कानूनी प्रक्रिया नहीं, यह एक नैतिक जिम्मेदारी भी है। उन्होंने बच्चों के साथ होने वाले अपराधों की समय पर रिपोर्टिंग, साक्ष्य एकत्रित करने, बच्चे की काउंसलिंग व पुनर्वास की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने उपस्थित प्रतिभागियों को बताया कि किस प्रकार बाल अपराधों के मामलों में त्वरित कार्रवाई व संवेदनशील दृष्टिकोण आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि समाज में जागरूकता और पुलिस-प्रशासन की सक्रियता दोनों ही पोक्सो अधिनियम की सफलता की कुंजी हैं। कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों को पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन, केस स्टडीज़ और उदाहरणों के माध्यम से दोनों अधिनियमों की गहराई से जानकारी दी गई। उन्होने बताया कि पोक्सो अधिनियम के तहत बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों में त्वरित सुनवाई और गोपनीयता सुनिश्चित करना अनिवार्य है। वहीं किशोर न्याय अधिनियम यह सुनिश्चित करता है कि विधि से संघर्ष में आए किशोरों को सुधारात्मक अवसर मिलें और उन्हें मुख्यधारा में पुन: शामिल किया जा सके।अंत में सीजेएम पवन कुमार ने सभी सहभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएं केवल कानूनी जानकारी देने तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इन्हें समाज में व्यावहारिक परिवर्तन का माध्यम बनाना चाहिए।