प्रेमानंद महाराज ने समझाया—कब और कैसे मिलता है नाम-जप का फल

सनातन धर्म में कर्म और पूनर्जन्म का सिद्धांत बहुत विशेष और महत्वपूर्ण माना जाता है. सनातन मान्यताओं के अनुसार, इंसान को उसके कर्म का फल जन्म-जन्मांतर तक भोगना पड़ता है. इंसान के कर्म का प्रभाव किसी एक जन्म तक सीमित नहीं रहता, बल्कि कर्म जन्म की दिशा भी बनाता है. सनातन धर्म में बताया गया है कि इंसान के पिछले जन्म के अच्छे कर्मों का शुभ फल इस जन्म में प्राप्त होता है.
वहीं प्रेमानंद महाराज सदा इस बात पर जोर दिया करते हैं कि नाम जपने से अच्छे कर्मों प्राप्त होते हैं. अपने प्रवचनों में प्रेमानंद महाराज अच्छे कर्मों और भगवत के मार्ग पर चलने के लिए विशेष जोर देते हैं. ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल आता है कि वो जो भी अच्छे कर्म इस जन्म में कर रहे हैं, उनका फल उनको इसी जन्म में प्राप्त होगा.
नाम जपने का फल अगले जन्म में मिलेगा?
एक महिला ने प्रेमानंद महाराज से सवाल किया कि क्या नाम जपने का फल अगले जन्म में मिलेगा? प्रेमानंद महाराज ने कहा कि बात अगले जन्म की है. नाम जपने से दुख को सहन करने की क्षमता मिलती है. साथ ही पहले किए गए पाप कर्म भी नाम जपने से समाप्त हो जाते हैं. नाम जपने से अच्छे कर्म और भगवान की प्राप्ति होती है. महाराज ने कहा कि प्रारब्ध को मिटाना कठिन है. दुखों को भोगना पड़ता है.
जन्म-मरण के चक्र से मिलती है मुक्ति- प्रेमानंद महाराज
जो कर्म प्रारब्ध नहीं बनते वो कई कई जन्मों से संचित होते रहते हैं. नाम जपने से ऐसे कर्म भस्म हो जाते हैं. सिर्फ नाम जपने में ऐसी शक्ति है, जो पिछले सारे पापों को नष्ट कर देती है. नाम जपने से आगे की गलतियां भी मिटती हैं और जन्म-मरण के चक्र से व्यक्ति मुक्त हो जाता है. प्रेमानंद महाराज ने कहा कि नाम जप करने से हर परेशानी दूर हो जाती है. अगर नाम नहीं जपोगे तो इस संसार से मिट जाओगे.




