केंद्र में पावरफुल मंत्री फिर हरियाणा चुनाव में इन नेताओं के पोस्टर से क्यों गायब हैं खट्टर?
1. राजनीतिक रिश्ते बेहतर नहीं- कुलदीप बिश्नोई और राव इंद्रजीत सिंह से मनोहर लाल खट्टर के राजनीतिक रिश्ते बेहतर नहीं माने जाते हैं. लोकसभा चुनाव के दौरान हिसार में खट्टर के एक बयान ने बिश्नोई परिवार से उनकी दूरी को और ज्यादा बढ़ा दी. दरअसल, चुनाव प्रचार के दौरान खट्टर ने एक पुराने किस्से के जरिए कुलदीप के पिता भजनलाल के खिलाफ निशाना साधा था.
चुनाव में हार के बाद कुलदीप ने खट्टर पर हमला बोला था और हार के लिए पूर्व सीएम को ही जिम्मेदार ठहराया था. राव इंद्रजीत से भी खट्टर के रिश्ते सामान्य नहीं थे. खट्टर के मुख्यमंत्री रहते इंद्रजीत ने कई बार सार्वजनिक मंचों से ही उनके खिलाफ बयान दिया था.
2. खट्टर के खिलाफ एंटी इनकंबैंसी- पोस्टर पर खट्टर की तस्वीर न होने की एक वजह उनके खिलाफ एंटी इनकंबैंसी को भी बताया जा रहा है. इन्हीं एंटी इनकंबैंसी की वजह से मार्च 2024 में बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया था.
इसके बावजूद लोकसभा चुनाव में हरियाणा की 10 में से 5 सीटों पर बीजेपी बुरी तरह हार गई. लोकसभा के बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने खट्टर सरकार के कई पुराने फैसले को पलट दिए. इनमें सरपंचों के अधिकार और फैमिली कार्ड से जुड़े नियम प्रमुख थे.
कहा जा रहा है कि एंटी इनकंबैंसी की वजह से ही कई उम्मीदवार अपने पोस्टर पर खट्टर की तस्वीर नहीं रखना चाहते हैं.
3. खट्टर का सियासी प्रभाव भी वजह- मुख्यमंत्री रहने से पहले मनोहर लाल खट्टर किसी बड़े पद पर नहीं रहे. ना ही हरियाणा की राजनीति में खट्टर का कोई बड़ा सियासी जनाधार रहा है. जिन नेताओं के पोस्टर पर खट्टर की तस्वीर नहीं है, उन नेताओं का अपना सियासी जनाधार है.
मसलन, भव्य बिश्नोई आदमपुर से चुनाव लड़ रहे हैं. यह सीट उनके परिवार का गढ़ माना जाता है. भव्य के माता-पिता के साथ-साथ उनके दादा भी इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं. दिलचस्प बात है कि बिश्नोई परिवार इस सीट से 3 पार्टी के सिबंल पर चुनाव जीत चुके हैं.
इसी तरह का मामला आरती का है. आरती के पिता राव इंद्रजीत सिंह खुद बड़े नेता हैं. अहीरवाल बेल्ट में उनका अपना बड़ा जनाधार है. इस बेल्ट में इंद्रजीत के मुकाबले खट्टर की पकड़ काफी कमजोर है.