हरियाणा

पंचकूला में नगर निगम की लापरवाही, अवैध कॉलोनियां और गंदा नाला बने मुसीबत, सड़कों पर कूड़े के ढेर

पंचकूला: पंचकूला शहर का नगर निगम सेक्टरों के सौंदर्यीकरण के लिए प्रयासरत होने के अनेक दावे करता है. इसके लिए पोकलेन मशीनों की खरीद हो, सड़कों का रखरखाव हो, पेचवर्क हो, पार्कों की देखभाल हो या स्वच्छता रैंकिंग में देश में नंबर-1 पर आने का दंभ भरना हो. लेकिन पंचकूला शहर का एक चेहरा ऐसा भी है, यदि कोई वहां से गुजरे तो यह सोचकर हैरानी में पड़ जाए कि क्या यही है वो पंचकूला जो स्वच्छता रैंकिंग में नंबर-1 पर आना चाहता है. यहां बात उस रोड और उसके किनारे से जा रहे उस गंदे नाले की है, जो चंडीगढ़ के मौलीजागरां बॉर्डर लेकिन पंचकूला की सीमा में वार्ड नंबर सात में मौजूद है.

हम भी हैं पंचकूला के मतदाता: ईटीवी (भारत) की टीम लोगों की समस्याओं को देखने और समझने के लिए राजीव कॉलोनी, इंदिरा कॉलोनी और गांव बुढ़नपुर पहुंची. जैसा सुना था, इस कॉलोनी में बिल्कुल वैसा ही देखने को मिला. टूटी सड़कें, सड़क के दोनों और गंदगी, कूड़ा-करकट के ढेर, गंदगी के बीच से लोगों को बचते-बचाते निकलते देखना, दूर-दूर तक फैली दुर्गंध और इन हालातों के बीच जीवन यापन करने को मजबूर लोग. यहां जानलेवा गंदे नाले पर कुछ कच्चे-पक्के मकान भी बने दिखाई दिए. पंचकूला में इन जगहों को देखकर ऐसा लगा जैसे यह कोई दूर-दराज का वह पिछड़ा क्षेत्र है, जिसकी ओर कभी किसी का ध्यान नहीं गया. जबकि पंचकूला विधानसभा चुनाव में जीतने वाले विधायक और नगर निगम के चुनाव में खड़े उम्मीदवार यहां बसे लोगों से वोट भी मांगने आते हैं.

हमें तो न पूरे होने वाले चुनावी वादे याद: ईटीवी भारत की टीम ने कॉलोनी के कुछ लोगों से बातचीत कर जाना कि सड़क के दोनों ओर कूड़ा-करकट के ढेर क्यों लगे हैं, गंदे नाले की सफाई कब से नहीं हुई और अन्य कारण क्या हैं. इन सवालों पर सभी ने एक जैसे जवाब दिए. लोगों ने कहा कि “कॉलोनी की समस्याओं की खोज-खबर लेने के लिए नेता और पार्षद केवल चुनावी मौसम में ही नजर आते हैं. चुनाव के दौरान वोट मांगने के समय नेता उनकी हर समस्या का निदान करने का वादा और दावा करते हैं. इसके लिए वे लोगों से उनके पक्ष में मतदान कर केवल एक जीत भर मांगते हैं. लेकिन चुनाव नतीजे आने के बाद न तो इन कॉलोनियों में जिताए गए स्थानीय विधायक दिखते हैं और न ही अन्य नेता. स्थानीय पार्षद गाहे-बगाहे शासन-प्रशासन को पत्र लिखकर इन समस्याओं की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हैं तो भी हालात जस के तस बने रहते हैं”.

तीन दशकों से झेल रहे हैं परेशानी: कॉलोनी में रहने वाले कमल ने बताया कि “उन्हें वहां रहते हुए करीब 32 साल का समय गुजर चुका है. लेकिन कभी समस्याएं खत्म नहीं हुई. बचपन और जवानी कॉलोनी में ही बीती, अब उनपर खुद परिवार का गुजर-बसर करने की जिम्मेदारी है. लेकिन कभी भी स्थानीय नेताओं ने यहां जीवनयापन कर रहे हजारों परिवारों की चिंता नहीं की. हालांकि, नेताओं ने जुबानी और कागजों में अनेक बार फंड पास होने की बात जरूरी कही. लेकिन वास्तव में ऐसा कभी होता नहीं दिखा कि पास हुए फंड को लोगों की समस्याएं दूर करने के लिए इस्तेमाल किया गया हो”. कॉलोनी की महिलाओं ने भी एक ही बात कही कि “सरकार और निगम द्वारा कभी व्यापक स्तर पर साफ सफाई का अभियान नहीं चलाया गया”.

गंदे नाले से जान का जोखिम: कॉलोनी के साथ लगते गंदे नाले में कई बच्चे बह चुके हैं. नाले में गंदगी के कारण मच्छरों से अनेक बीमारियों का खतरा बना रहता है. स्थानीय पार्षद भी नाले की सफाई के लिए लिख चुके हैं लेकिन अकसर फंड पास नहीं होने की समस्याएं दरपेश आती हैं.

मेयर ने कहा 94 करोड़ रुपये का टेंडर लगा: कालोनियों और गांव की समस्या के संबंध में पंचकूला के मेयर कुलभूषण गोयल से बातचीत की गई. उनसे उक्त सभी समस्याओं के निदान बारे सवाल किया गया, जिनके जवाब में उन्होंने कहा कि “कॉलोनी में साफ-सफाई का काम आज से ही शुरू करवा दिया गया है. जबकि कॉलोनी में जानलेवा नाला और उससे फैली गंदगी पर मेयर ने कहा कि इसकी जिम्मेदारी पीएमडीए की है और सरकार द्वारा इसके लिए 94 करोड़ रुपये का ऑनलाइन टेंडर खोला जा चुका है”. उन्होंने करीब महीने भर में टेंडर अलॉट कर नाला संबंधी कामकाज शुरू होने की उम्मीद जताई है.

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