चंडीगढ़ में छत से गिरने के बाद 12 साल कोमा में, गाजियाबाद के हरीश के लिए मां-बाप ने रखी मांग

यह कहानी हरीश राणा की है, जो बीते 12 वर्षों से बिस्तर पर पड़ा है. न वह बोल सकता है, न हिल-डुल सकता है. लगातार अचेत अवस्था में रहने के कारण उसकी जिंदगी एक बिस्तर तक सीमित हो गई है. साल 2013 में चंडीगढ़ में पढ़ाई के दौरान हरीश अपने पेइंग गेस्ट हॉस्टल की चौथी मंजिल से गिरा था. इस हादसे में सिर में गंभीर चोटें आईं, जिसके बाद से वह कभी होश में नहीं आ सका. लंबे समय तक बिस्तर पर पड़े रहने की वजह से शरीर पर गहरे घाव भी बन गए हैं. बेटे की इस पीड़ा को देखकर परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट से निष्क्रिय इच्छा-मृत्यु की अनुमति की मांग की है.
‘युवक को इस हाल में देखना पीड़ादायक’
न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने हरीश के मेडिकल हिस्ट्री से जुड़ी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को भी देखा है. रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए पीठ ने इसे दुखद करार दिया. अदालत ने कहा कि इस स्थिति में किसी व्यक्ति को वर्षों तक बनाए रखना बेहद पीड़ादायक है.
पीठ ने हरीश के अभिभावकों से 13 जनवरी को मुलाकात करने का समय तय किया और कहा, यह बहुत दुखद रिपोर्ट है. हम इस बच्चे को इस हालत में नहीं रख सकते. इससे पहले प्राथमिक मेडिकल बोर्ड ने भी जांच के बाद कहा था कि मरीज के ठीक होने की संभावना लगभग शून्य है.
क्या है निष्क्रिय इच्छा-मृत्यु?
गौरतलब है कि निष्क्रिय इच्छा-मृत्यु उस प्रक्रिया को कहा जाता है, जिसमें मरीज का जीवन बचाने के लिए लगाए गए जीवन रक्षक उपकरण हटाकर या इलाज रोककर उसे स्वाभाविक रूप से मृत्यु की ओर जाने दिया जाता है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2023 में जारी दिशानिर्देशों के अनुसार, अचेत अवस्था में किसी मरीज की जीवन रक्षक प्रणाली हटाने से पहले एक प्राथमिक और एक द्वितीयक मेडिकल बोर्ड की विशेषज्ञ राय लेना अनिवार्य है.
इसी क्रम में अदालत ने 26 नवंबर को नोएडा सेक्टर-39 स्थित जिला अस्पताल को एक प्राथमिक मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था. अदालत ने कहा था कि मरीज की हालत बेहद खराब है और प्राथमिक बोर्ड को यह रिपोर्ट देनी होगी कि क्या जीवन रक्षक उपचार रोका जा सकता है. यह पिछले दो वर्षों में दूसरी बार है जब हरीश के परिजनों ने अपने पुत्र के लिए निष्क्रिय इच्छा-मृत्यु का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.




