जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे मंगलवार 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे. तमाम राजनीतिक दलों के साथ ही सूबे की आवाम को भी रिजल्ट का बेसब्री से इंतजार है. इस बीच इंजीनियर राशिद की अवामी इतिहाद पार्टी (एआईपी) के मुख्य प्रवक्ता इनाम उन नबी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को लेकर एक पोस्ट शेयर किया है.
प्रवक्ता इनाम उन नबी ने कहा है कि सरकार गठन में देरी का आह्वान किसी के हाथ में नहीं खेल रहा है, बल्कि सरकार गठन से पहले गरिमा, लोकतंत्र और जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य की बहाली की मांग है. उन्होंने कहा कि पूर्ण राज्य का दर्जा मिले बगैर सरकार न बनाएं उमर. प्रवक्ता ने कहा कि आपकी (उमर) निगरानी में और कांग्रेस की शालीनता के तहत इसे अन्यायपूर्ण ढंग से छीन लिया गया.
एआईपी प्रवक्ता का उमर अब्दुल्ला पर हमला
इसके आगे पोस्ट में उन्होंने ये भी लिखा कि जब आप (उमर) शासन की बात करते हैं, तो 1975 में दिल्ली में आपकी पार्टी के सहयोग और 1987 के धांधली चुनावों को न भूलें, जिसने आज की उथल-पुथल के लिए मंच तैयार किया है. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में जम्मू-कश्मीर को सिद्धांतों पर बनी सरकार की जरूरत है, न कि लोगों की गरिमा की कीमत पर सत्ता के लिए उत्सुक सरकार की जरूरत है. एआईपी प्रवक्ता ने कहा कि उनकी पार्टी राज्य की बहाली के लिए एक संयुक्त मोर्चे की मांग करती है. उन्होंने कहा कि सीटों के लिए दौड़ने के बजाय आपकी पार्टी को इसका समर्थन करना चाहिए.
इंजीनियर राशिद ने उमर अब्दुल्ला को दी थी शिकस्त
उमर अब्दुल्ला लगातार तुनाव प्रचार के दौरान इंजीनियर राशिद और उनक पार्टी पार्टी पर हमलावर रहे हैं. उन्होंने राशिद को बीजेपी का सहयोगी बताया था. उन्होंने एक रैली के दौरान कहा था कि राशिद कोस जमानत कश्मीर की आवाम से वोट लेने के लिए मिली है न कि उनकी सेवा करने के लिए. इंजीनियर राशिद ने लोकसभा चुनाव में बारामूला सीट से चुनाव लड़ा था, इस चुनाव में उन्होंने उमर अब्दुल्ला को शिकस्त दी थी.
3 चरणों में हुआ था मतदान
बात विधानसभा चुनाव की करें तो सूबे में तीन चरणों में मतदान हुआ था. 10 साल बाद हुए चुनाव को लेकर लोगों में गजब का उत्साह देखा गया. कई जगहों पर रिकॉर्ड वोटिंग हुई. सूबे में नेशनल कॉन्फ्रेंस कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है. वहीं बीजेपी और पीडीपी अकेली चुनावी मैदान में उतरी हैं. धारा 370 हटने के बाद ये पहला मौका है जब केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव हुआ है. ये चुनाव बीजेपी के लिए काफी अहम है.