राजनीति

राजस्थान में कम हो गई BJP विधायकों की संख्या, कंवर लाल मीणा की सदस्यता रद्द

राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के विधायक कंवरलाल मीणा की सदस्यता रद्द कर दी गई. कंवरलाल मीणा अंता सीट से विधायक थे. यह फैसला विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने महाधिवक्ता की रिपोर्ट आने के बाद लिया है. दूसरी इस मामले का पूरा श्रेय कांग्रेस खुद को दे रही है. कांग्रेस का दावा है कि उसके कारण ही भाजपा ने मीणा की सदस्यता रद्द की है.

मीणा पर सरकारी अधिकारियों को धमकाने, सरकारी काम में बाधा डालने और संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने का आरोप था. इसी आरोप के तहत मीणा को 14 दिसंबर 2020 को स्थानीय कोर्ट ने तीन साल की सजा सुनाई थी. इसके बाद वो हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक गए लेकिन राहत नहीं मिली. ट्रायल कोर्ट ने उन्हें 21 मई तक सरेंडर करने का आदेश जारी किया था.

कांग्रेस ने दिया खुद को क्रेडिट

राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सोशल मीडिया पर इस मामले की प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, ‘कांग्रेस पार्टी के भारी दबाव और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के द्वारा हाईकोर्ट में कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट की अर्जी पेश करने के बाद आखिरकार भाजपा के विधायक कंवर लाल की सदस्यता रद्द करनी पड़ी.’ इसके आगे कांग्रेस नेता ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में संविधान सर्वोपरि है. कांग्रेस पार्टी यह बात बार-बार आरएसएस-भाजपा के नेताओं को बताती रहेगी और उन्हें मजबूर करेगी कि संविधान के मुताबिक काम करें.

नेता प्रतिपक्ष ने किया ट्वीट

राजस्थान की नेता प्रतिपक्ष जूली ने भी इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए एक्स पर लिखा- ‘सत्यमेव जयते… लोकतंत्र और संविधान की मर्यादा की जीत’. जूली ने भी इस पूरे मामले का सारा श्रेय कांग्रेस को दिया. उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस पार्टी के संघर्ष का परिणाम है कि विधायक कंवरलाल की विधानसभा सदस्यता रद्द की गई.

‘बिना राजनीति किए लिया निष्पक्ष निर्णय’

देवनानी ने कहा कि ऐसे मामलों में राजनीति को देखते हुए नहीं बल्कि उससे ऊपर उठकर निष्पक्ष निर्णय लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि विधानसभा में पहले भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं लेकिन उनका निर्णय लेने में काफी समय लगा. लेकिन मैंने कम समय में निष्पक्ष निर्णय लेने का प्रयास लिया. उन्होंने बताया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 177 के तहत राज्य के महाधिवक्ता को विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने और राय देने का अधिकार प्राप्त है और उसी प्रक्रिया के तहत यह निर्णय लिया गया है. इससे पहले कांग्रेस ने भाजपा के ऊपर आरोप लगाया था कि कोर्ट का आदेश आते ही मीणा की सदस्यता रद्द कर देनी चाहिए थी, लेकिन भाजपा ने सजा सुनाने के 23 दिन बाद यह निर्णय लिया है.

क्या था मामला?

सन 2005 में दांगीपुरी- राजगढ़ में उपसरपंच चुनाव के बाद फिर से मतदान करने की मांग हो रही थी. इसी मांग के चलते ग्रामीणों ने रास्ता रोक दिया था. उसी में कंवरलाल मीणा भी शामिल थे. शिकायत मिलने के बाद उस समय एसडीएम रहे रामनिवास मेहता जैसे ही घटनास्थल पर पहुंचे, मीणा ने उनके कनपटी पर पिस्तौल तान दी थी और उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी. इसी मामले स्थानीय कोर्ट ने 2020 में माणी को 3 साल की सजा सुनाई थी. बीजेपी विधायक के बर्खास्तगी के बाद राजस्थान विधानसभा में एक बार फिर कुल सदस्यों की संख्या 200 से घटकर 199 रह गई है.

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