सांग हमारी प्राचीन सभ्यता और संस्कारों का संगम है: हनुमान कौशिक

भिवानी , (ब्यूरो): गांव बौंद कलां में बाबा चंद्र दास धाम पर 15 फरवरी को आयोजित होने वाले मेले व भंडारे के उपलक्ष्य में आयोजित दो दिवसीय सांग महोत्सव को संबोधित करते हुए म्हारी संस्कृति म्हारा स्वाभिमान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हनुमान कौशिक ने कहा कि सांग हमारी प्राचीन सभ्यता, संस्कृति, संगीत और संस्कारों का समावेश है। सांग एक ऐसी विधा है जो समाज को जगाने और जोड़ने का काम करता है। चिरकाल से सांग मनोरंजन के साथ-साथ राजाओं-महाराजाओं के किस्से कहानी पर आधारित सांग के माध्यम से ऐतिहासिक बातों से रूबरू कराना उसी को सांग कहते हैं। हरियाणवी गायन शैली की ऐसी 40 विधा हैं जिनके माध्यम से आम जनमानस में आपसी प्रेम-भाईचारा बढ़ता है। क्योंकि कुछ सांग प्रेम महोबत का संदेश देते हैं वहीं कुछ सांग देशभक्ति और मर्यादा पर चलने का संदेश भी देते हैं। हनुमान कौशिक ने कहा कि मेरा मानना है कि हमें अपनी प्राचीन सभ्यता, संस्कृति और संस्कारों से सुसज्जित संसार की संरचना का आज भी प्रभाव नजर आता है। देश की आजादी के समय गीतकारों, संगीतकारों ने अपनी लेखनी से देशभक्ति का ऐसा माहौल तैयार किया। वीरों और वीरांगनाओं ने देश के लिए खुद को और अपनी संतानों को देश के लिए बलिदान देने की भावना पैदा की। हनुमान कौशिक ने आज के युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि अपनी संस्कृति को ना भुलें। पाश्चात्य संस्कृति और नशे की तरफ न जाकर समय रहते अपने जीवन को संवारने के लिए अधिक से अधिक अपने पूर्वजों के सानिध्य में रहें। इस अवसर पर सांगी बाबू दान सिंह चौहान चावंढी राजस्थान, राजेश तूफान, विक्की राजस्थान, नरेश बागपत, कैलाश मुजफ्फरनगर, मा. राजू कंजावला, मा. जीता, कृष्ण, सोनू खरक पूनिया, पप्पू, युशुफ खान पटौदी आदि कलाकारों समेत अनेक ग्रामीण उपस्थित रहे।