चमत्कार! न पाइपलाइन, न ही जलस्रोत… हनुमान जी के चरणों तक पाताल से आता है पानी

उत्तर प्रदेश के झांसी के सीपरी बाजार क्षेत्र में एक पाताली हनुमान मंदिर स्थित है, जो सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था और रहस्य का जीवंत प्रतीक है जमीन से लगभग 7 फीट नीचे बने इस मंदिर में हर साल एक ऐसा चमत्कार होता है, जो विज्ञान को भी चुनौती देता है. मंदिर की दीवारों और ज़मीन से रहस्यमयी जल खुद प्रकट होने लगता है.
पुजारी लल्लन महाराज के मुताबिक यह जल कहीं से लाया नहीं जाता और न ही मंदिर में कोई पाइपलाइन या जलस्रोत है. उनका दावा है कि यह पावन जल खुद पाताल लोक से आता है और हनुमान जी इसी जल में विराजमान होकर 7 महीने तक तपस्या करते हैं.
ये जल हनुमान जी के पहले चरणों तक, फिर जंघाओं तक और अंत में कमर तक धीरे-धीरे चढ़ता है. इसी दौरान भक्त मंदिर के गर्भगृह में बैठकर सुंदरकांड का पाठ करते हैं. हर मंगलवार और शनिवार को यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. श्रद्धालु इस जल को आस्था का अमृत मानते हैं और इसे आरती का हिस्सा बनाकर अपने घरों में ले जाते हैं.
सुबह 7 से 7:30 बजे के बीच हनुमान जी के मुस्कुराते चेहरे के दर्शन भी मंदिर के गर्भगृह में होते हैं, जिसे भक्त एक दिव्य चमत्कार मानते हैं. खंडहरनुमा स्थिति से दोबारा जीवित हुआ यह मंदिर अब झांसी ही नहीं, पूरे बुंदेलखंड की आस्था का केंद्र बन चुका है.
हर साल हजारों श्रद्धालु इस मंदिर में सिर्फ इस रहस्य को अपनी आंखों से देखने आते हैं. आज जबकि विज्ञान हर रहस्य की परतें खोलने का दावा करता है. पाताली हनुमान मंदिर एक ऐसा स्थान है, जो यह दर्शाता है कि आस्था की गहराई विज्ञान की सीमाओं से आगे हो सकती है.
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