मध्यप्रदेश

दिवाली पर मां बनी फरिश्ता, बेटे को बचाने के लिए किया लीवर दान — बेटी जैसी त्रासदी दोहराने से रोका

दुनिया में मां की बराबरी कोई नहीं कर सकता. मां अपने बच्चे के लिए कुछ भी कर सकती है. चाहे उसके लिए उसने अपनी जिंदगी ही दांव पर क्यों न लगानी पड़ जाए. ठीक ऐसा ही एक मामला सामने आया है मध्य प्रदेश के सिवनी जिले से. यहां एक मां ने अपने 10 साल के बेटी की जांन बचा ली. बेटे का लीवर 80 प्रतिशत खराब हो चुका था. पहले बेटी की भी इसी बीमारी से मौत हुई थी. मां को ये बाद बेटी की मौत के बाद पता चली थी. उस वक्त तो वो कुछ न कर सकी. मगर इस बार बेटे को उसने अपना लीवर उपहार में देकर उसे नया जीवनदान दिया है.

मामला जमुनिया गांव का है. यहां तेजलाल सनोडिया अपने परिवार के साथ रहते हैं. वो एक किसान हैं. उनकी दो संतान एक बेटा और बेटी थी. बेटी की मौत 10 साल की उम्र में हो गई थी. तेजलाल ने बताया कि बेटी का पेट दर्द होता था. हमने बहुत इलाज करवाया, लेकिन दर्द ठीक नहीं हुआ. फिर एक दिन अचानक से उसकी मौत हो गई. बाद में पता चला कि बेटी का लीवर खराब हो गया था.

किसान ने बताया- 10 साल का बेटा शौर्य भी बीते दो साल से पेट दर्द से परेशान था. बेटी की तरह ही बेटे की बीमारी को देखते हुए उसे दिल्ली एम्स ले गए जहां जांच के बाद पता चला कि शौर्य का लीवर 80 प्रतिशत तक खराब हो गया है. किसी के बताने पर शौर्य को लेकर हैदराबाद के एक अस्पताल में पहुंचे. वहां डॉक्टरों ने खर्च 40 लाख रुपए बताया. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था. इसी बीच एक परिचित ने दिल्ली में नारायणा अस्पताल में जाने की सलाह दी. वहां 22 लाख रुपए तक प्रारंभिक खर्च की बात सामने आई.

मां ने कहा- मैं दूंगी अपना लीवर

शौर्य को लीवर दान करने के लिए मां गीता सनोडिया आगे आई. उन्होंने कहा- मैं अपने बेटे को अपना लीवर दूंगी. सौभाग्य से मां और बेटे का लीवर मैच हो गया. इसके बाद डॉक्टरों ने लीवर को सफल ट्रांसप्लांट किया. शौर्य का लीवर ट्रांसप्लांट तो हो गया है, लेकिन अभी उसके इलाज में काफी खर्च आएगा. परिजनों का कहना है कि अगर जनप्रतिनिधि, समाजसेवी आगे आएंगे तो उनके बच्चे की स्थिति और बेहतर हो जाएगी. पिता तेजपाल ने बताया कि 15 लाख रुपये उन्होंने उधार लिए हैं और 2 लाख रिपये जनसहयोग से जमा हो गए थे.

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