5 साल में 2 लाख से अधिक निजी कंपनियां बंद, सरकार ने कर्मचारियों के पुनर्वास पर क्या कहा?

केंद्र सरकार द्वारा सोमवार को लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, पिछले पांच सालों में देश भर में दो लाख से ज्यादा निजी कंपनियां बंद हो गई हैं. यह आंकड़ा न केवल बाजार के उतार-चढ़ाव को बताता है, बल्कि सरकार की ओर से ‘शेल’ या निष्क्रिय कंपनियों के खिलाफ चलाए गए अभियान की ओर भी इशारा करता है.
लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कॉरपोरेट कार्य राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा की तरफ से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच सालों में 2,04,268 निजी कंपनियां बंद हुई हैं. ये कंपनियां विलय (Amalgamation), रूपांतरण (Conversion), विघटन (Dissolution) और कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत रिकॉर्ड से हटाए जाने के कारण बंद हुई हैं.
कब कितनी कंपनियां हुईं बंद
- 2024-25 में 20,365 निजी कंपनियां बंद हुईं.
- 2023-24 में 21,181
- 2022-23 में 83,452
- 2021-22 में 64,054
- 2020-21 में 15,216 निजी कंपनियां बंद हुईं.
कर्मचारियों के पुनर्वास पर सरकार का कदम
वहीं क्या बंद हुई कंपनियों के कर्मचारियों के पुनर्वास के लिए कोई कदम उठाए गए हैं, इस सवाल पर केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि सरकार के समक्ष ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है. सरकार की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक 2021-22 से शुरू पांच वित्तीय वर्षों में कुल 1,85,350 कंपनियों को आधिकारिक रिकॉर्ड से हटाया गया है.
8648 कंपनियां रिकॉर्ड से हटाई गईं
इनमें से केवल इस वित्त वर्ष में 16 जुलाई तक 8,648 कंपनियां रिकॉर्ड से हटाई जा चुकी हैं. कंपनियों अधिनियम, 2013 के अनुसार, यदि कोई कंपनी लंबे समय तक व्यापारिक गतिविधि नहीं करती है या कंपनी स्वयं नियामकीय नियमों को पूरा कर स्वैच्छिक रूप से रिकॉर्ड से हटने का विकल्प चुनती है, तो उसे आधिकारिक रिकॉर्ड से हटाया जा सकता है.




