राजनीति

कांग्रेस का मिशन-2027: यूपी की बंजर जमीन और राहुल गांधी का एजेंडा, कितनी फिट बैठ रही अजय राय की टीम

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2027 में है, लेकिन सियासी बिसात अभी से ही बिछाई जाने लगी है. बीजेपी के बाद कांग्रेस ने भी यूपी में अपने जिला और महानगर अध्यक्षों के नाम का ऐलान कर दिया है. यूपी कांग्रेस कमेटी ने गुरुवार को 133 जिला और शहर अध्यक्षों के नामों की घोषणा कर 2027 चुनाव के लिए अपने सेनापति को उतार दिया है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि राहुल गांधी के सामाजिक न्याय के एजेंडे पर प्रदेश अध्यक्ष अजय राय की टीम कितनी फिट बैठती है. कांग्रेस के लिए बंजर बन चुकी यूपी की जमीन पर क्या सियासी फसल लहरा पाएंगे?

2024 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने दिसंबर में उत्तर प्रदेश में अपने सभी फ्रंटल संगठनों सहित जिला अध्यक्षों और शहर अध्यक्षों को भंग कर दिया था. इसके बाद 100 दिन में दोबारा से पार्टी संगठन बनाने की बात कही थी. इसके बाद से बी पार्टी अपने संगठन के पुनर्गठन की प्रक्रिया में लगी हुई थी. पार्टी राष्ट्रीय महासचिव संगठन केसी वेणुगोपाल की तरफ से गुरुवार खाम सभी नए जिला अध्यक्षों और शहर अध्यक्षों की सूची जारी की गई है. कांग्रेस के पुनर्गठन में प्रियंका गांधी के करीबी नेताओं का ख्याल रखा गया है तो राहुल गांधी के सामाजिक न्याय वाले एजेंडे को भी अमलीजामा पहनाने की कवायद की गई है.

राहुल गांधी के एजेंडे पर कांग्रेस का फोकस

यूपी की जिला और शहर अध्यक्ष के चयन में कांग्रेस ने राहुल गांधी के सामाजिक न्याय-पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय का पूरा ख्याल रखा गया है. कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के 75 जिलों के जिला अध्यक्ष और महानगर अध्यक्षों को मिलाकर कांग्रेस ने 133 पदाधिकारी घोषित किए हैं, जिसके जरिए नई सोशल इंजीनियरिंग बनाने की कोशिश की है. कांग्रेस के 133 जिला और शहर अध्यक्षों में 85 जिला-शहर अध्यक्ष ओबीसी, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय से हैं, जो 65 फीसदी के करीब है. कांग्रेस ने 49 सवर्ण जातियों से आने वाले नेताओं को नियुक्ति की है तो 20 दलित समुदाय से हैं.

कांग्रेस ने ब्राह्मण समाज का रखा ख्याल

कांग्रेस के बनाए नए जिला और शहर अध्यक्ष की फेहरिश्त देखें तो 49 सवर्ण जातियों से हैं, जिसमें सबसे ज्यादा ब्राह्मण समाज से हैं. 27 ब्राह्मण नेताओं को जिले और शहर की कमान कांग्रेस ने सौंपी है. कांग्रेस ने 19 फीसदी हिस्सेदारी ब्राह्मण समाज को दी है. इसके बाद दूसरा नंबर ठाकुर समुदाय का आता है, ठाकुर समुदाय से 12 जिला और शहर अध्यक्ष बनाए गए हैं. वैश्य समाज से पांच और दो कायस्थ समुदाय के नेताओं की नियुक्ति की है. इसके अलावा तीन भूमिहार समाज से शहर-जिला अध्यक्ष बनाए गए हैं. कांग्रेस ने 35 फीसदी हिस्सेदारी सवर्णों समाज के नेताओं की दी है, जिसमें ब्राह्मण 29 फीसदी, ठाकुर 9 फीसदी, वैश्य 3 फीसदी और अन्य सवर्ण करीब 3 फीसदी हैं.

गांधी परिवार के गढ़ और राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में पंकज तिवारी को दोबारा से जिला अध्यक्ष की कमान सौंपी गई है तो धीरज श्रीवास्तव को दोबारा से शहर अध्यक्ष बनाया गया है. कांग्रेस ने पहली बार इतनी कम संख्या में ब्राह्मण समाज से जिला-शहर अध्यक्ष बनाए गए हैं. अमेठी में जिला अध्यक्ष की कमान प्रदीप सिंघल को फिर सौंपी गई है जबिक शहर अध्यक्ष के नाम का ऐलान नहीं किया गया. रायबरेली में करीब तीन दशक से ब्राह्मण समाज से ही जिला अध्यक्ष बनते आ रहे हैं जबकि जिले में दलित और ओबीसी की संख्या काफी ज्यादा है.

PDA फार्मूला पर कांग्रेस का फोकस

कांग्रेस ने जिला और शहर अध्यक्ष के चयन में पीडीए फार्मूले यानि पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय का ख्याल रखा है. कांग्रेस ने 85 जिला-शहर अध्यक्ष इन्हीं तीनों समुदाय से बनाए हैं, जो 65 फीसदी के करीब है. कांग्रेस ने 48 ओबीसी समाज से जिला और शहर अध्यक्ष बनाए हैं, जिसमें 33 हिंदू ओबीसी, 15 मुस्लिम ओबीसी समुदाय के नेताओं को कमान सौंपी गई है. हालांकि, मुस्लिम समुदाय से कुल 32 सदस्यों की नियुक्ति की गई है, जिसमें 17 जनरल जाति के मुस्लिम और 15 ओबीसी मुस्लिम हैं. इसके अलावा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से 20 जिला अध्यक्ष बनाए गए हैं, जिनमें 19 दलित और एक आदिवासी समुदाय से हैं.

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने जिस तरह से संगठन में दलित, ओबीसी और अल्पसंख्यक को 65 फीसदी हिस्सेदारी दी है, उससे एक बात साफ है कि राहुल गांधी के सामाजिक न्याय वाले एजेंडे को संगठन में अमलीजामा पहनाने की कवायद की गई है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी पीडीए के एजेंडे पर ही अपनी सियासी बिसात बिछा रहे हैं तो बीजेपी ने भी अपने संगठन में दलित और ओबीसी को खास तवज्जे दी है. ऐसे में कांग्रेस ने भी दलित और ओबीसी के साथ मुस्लिम समीकरण का दांव चला है. लोकसभा चुनाव में सपा को पीडीए फॉर्मूले से जबरदस्त सफलता मिली थी और कांग्रेस भी गठबंधन का हिस्सा थी. ऐसे में अब कांग्रेस 2027 के विधानसभा चुनाव के पहले पीडीए फार्मूले से यूपी में अपनी खोई जमीन तलाशने की कोशिश में है.

कांग्रेस संगठन पर प्रियंका गांधी की छाप

उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में हर के बाद कांग्रेस पार्टी ने प्रियंका गांधी को राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाकर भेजा था. पर उनके नेतृत्व में 2022 के चुनाव में कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में मिली करारी हार के बाद यह माना जा रहा था कि प्रदेश में अब उनके और उनके लोगों को जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी. पर कांग्रेस की ओर से जारी 133 जिला व शहर अध्यक्षों की सूची में प्रियंका गांधी की चली है. इस सूची में ज्यादातर जिला अध्यक्षों और शहर अध्यक्षों के तौर पर प्रियंका गांधी की टीम में के लोगों को जिम्मेदारी दी गई है.मथुरा शहर की जिम्मेदारी कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के प्रत्याशी रहे मुकेश धनगर को जिला अध्यक्ष बनाया है जबकि आगरा जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी लोकसभा प्रत्याशी रहे रामनाथ सिकरवार को दी गई है.

लखनऊ जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी रुद्र दमन सिंह बबलू को दी गई है. जबकि शहर अध्यक्ष पर कोई बदलाव नहीं किया गया है लखनऊ शहर अध्यक्ष डॉ शहजाद और अमित त्यागी को ही बनाया गया है. कानपुर नगर की बात करें तो महानगर की जिम्मेदारी पवन गुप्ता को सौंपी गई है जबकि कानपुर देहात की जिम्मेदारी अमित सिंह गौर को दी गई है. कांग्रेस की जिला अध्यक्षों और शहर अध्यक्षों की सूची में प्रदेश अध्यक्ष अजय राय और प्रभारी अविनाश पांडे के लोगों को तवज्जो ना के बराबर मिली है केवल बनारस आसपास के जिलों में ही अजय राय अपने अनुसार जिला अध्यक्ष नगर अध्यक्ष बनवाने में सफल हुए है.

कांग्रेस ने युवा नेताओं को दिया तवज्जो

कांग्रेस ने शहर और जिला अध्यक्ष की नियुक्त में युवा चेहरों को खास तवज्जे दी है. 133 शहर और जिला अध्यक्ष की फेहरिश्त देखें तो 84 नेताओं की उम्र 21 साल से 50 साल के बीच है. 21 से 40 साल के उम्र के 25 नेताओं को जिला-शहर अध्यक्ष बनाया गया है जबकि 41 साल से 50 साल के उम्र के 59 नेताओं को शहर व जिले की कमान सौंपी गई है. 51 से 60 साल के 40 नेताओं को संगठन में जिले की कमान सौंपी गई है जबकि 61 साल से ज्यादा उम्र के 7 नेता हैं, जिनमें 2 नेताओं की उम्र 70 साल से ज्यादा है. इस तरह कांग्रेस ने जिला और शहर अध्यक्ष बनाने में उम्र का खास ख्याल रखा है, औसतन उम्र 47 साल है. कांग्रेस ने 2027 के लिहाज से युवा टीम का गटन किया है.

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