अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर अपने अधिकारों हेतु मिड-डे मील महिलाओं ने भरी हुंकार
शहर में प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम उपायुक्त को सौंपा ज्ञापन

भिवानी, (ब्यूरो): अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर मिड-डे मील कार्यकर्ता यूनियन हरियाणा संबंधित एआईयूटीयूसी एवं स्कीम वर्कर्स फेडरेशन आफ इण्डिया ने यहां उपायुक्त कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया और उपायुक्त की मार्फत मुख्यमंत्री के नाम अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा। इससे पहले मिड-डे मील कार्यकर्ता नेहरू पार्क में इक_ा हुईं और सभा की। सभा को संबोधित करते हुए यूनियन की राज्य स्तरीय नेता राजबाला ने कहा कि मिड-डे मील कार्यकर्ता निहायत गरीब, बेसहीरा और विधवा महिलाएं हैं। सरकारी स्कीम के तहत सरकारी स्कूलों में सेवाएं प्रदान करने वाली रसोइया-सह-सहायकों को बेहद कड़ी मेहनत करने पर भी केवल 7 हजार रुपये प्रति माह मानदेय मिलता है, वह भी नियमित रूप से समय पर नहीं मिलता है। वे इसी आजीविका पर निर्भर हैं। ज्यादातर के पास आय का और कोई साधन नहीं है। इन्हें वर्ष में 12 महीने की बजाय 10 माह का ही मानदेय मिलता है जबकि अन्य कर्मचारियों को 12 महीने का वेतन दिया जाता है। गर्मी व सर्दी की छुट्टियों के पैसे काट लिये जाते हैं। इससे इन रसोइया-सह-सहायकों को भारी परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। बच्चों की स्कूल-कॉलेज की फीस, बीमारी में इलाज, बिजली बिल और घर के अन्य खर्चे चलाने मुश्किल हो जाते हैं। सरकार कोई सुध नहीं लेती है। मिड-डे मील कर्मियों के प्रति सरकार ने घोर संवेदनहीन और उदासीन रवैया अपनाया हुआ है। इतनी कम मानदेय राशि में इस बढ़ती महंगाई में घर का गुजारा होना बहुत ही मुश्किल है। सरकार 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों व सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को लागू नहीं कर रही है, जिनके मुताबिक आज न्यूनतम वेतन कम से कम 26हजार रुपये महीना होना चाहिए और स्कीम वर्करों को कर्मचारी/श्रमिक का दर्जा देना चाहिए। गुजारेलायक मेहनताना नहीं, तो कम से कम खुद सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन जितना मानदेय तो देना ही चाहिए। मिड-डे मील कर्मी हाजिरी रजिस्टर, मासिक बंधे वेतन, महंगाई के हिसाब से इसमें सालाना बढ़ोतरी, जीवन बीमा, पीएफ, ग्रेच्युटी, पेन्शन, सवेतन अवकाश, ईएसआई, बीमार पडऩे पर इलाज इत्यादि सामाजिक सुरक्षा उपायों व हितलाभों से भी वंचित हैं और हर जगह शोषण-उत्पीडऩ की शिकार हैं। मिड-डे मील कुक-कम-हैल्पर दो दशक से अधिक समय से हैं पर नियमित नहीं किया गया है, यहाँ तक कि उन्हें घोषित न्यूनतम वेतन भी नहीं मिलता है और रिटायरमेंट पर भी एक पैसा नहीं मिलता है। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि मिड-डे मील कुक-कम-हैल्परों को नियमित सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाये, कम से कम प्रांत में लागू न्यूनतम वेतन तो अवश्य दिया जाये, मिड-डे मील कर्मियों को मानदेय हर माह की 7 तारीख तक दिया जाये, साल में 10 माह की बजाय पूरे 12 महीने का मानदेय दिया जाए, गर्मी व सर्दी की छुट्टियों के पैसे न काटे जायें, स्कूल समायोजन पर कुक-कम-हैल्परों का भी समायोजन किया जाये, ड्रेस की राशि 2हजार रुपये दी जाये और ड्रेस के रुपयों का भुगतान शीघ्र किया जाये, कुक-कम-हैल्परों की रिटायरमेंट की उम्र 65 वर्ष की जाये, रिटायरमेट पर 5 लाख रुपये की एकमुश्त आर्थिक राशि प्रदान की जाये, कुक-कम-हैल्पर से डड्ढूटी से बाहर के काम न लिये जायें और सम्मानजनक व्यवहार किया जाये, 15 बच्चों पर एक कुक-कम-हैल्पर लगायी जाये, सालाना 20 दिन का अवकाश लागू किया जाये। उन्होंने कहा कि अपनी मांगों को हासिल करने के लिए आंदोलन ही एकमात्र रास्ता है। प्रदर्शन में यूनियन की जिला प्रधान मीरा देवी, चरखी दादरी जिला सचिव बिमला, कांता, संगीता, मनोज, ओमपति, इत्यादि कई मिड डे मील कार्यकर्ता-नेता शामिल थीं।