उत्तर प्रदेश

‘रात में जिला जज से मिल लो…’ महिला जज की पीड़ा,मैं भारत की सभी कामकाजी महिलाओं से कहना चाहती हूं, ‘यौन उत्पीड़न के साथ जीना सीख लें। यह हमारे जीवन का सच है’

न्यूज़ डेस्क उत्तरप्रदेश। बांदा। संवाददाता। उत्तर प्रदेश के बांदा  Banda Uttarpardesh  जिले में तैनात ने एक महिला जज ने मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ Chief Justice India D.Y. Chandrachud को खत लिखकर एक जिला न्यायाधीश Distt. Judge पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। साथ ही महिला जज Lady Judge ने सीजेआई CJI  से सम्मानजनक ढंग से अपना जीवन खत्म Suicide करने की अनुमति मांगी।

खत के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मामला का संज्ञान लेते हुए सीजेआई CJI Justice D.Y. Chandrachud ने इलाहाबाद हाईकोर्ट Allahabad High Court प्रशासन से स्टेटस रिपोर्ट मांगी। सूत्रों के अनुसार, सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ CJI D.Y. Chandrachud ने बृहस्पतिवार देर रात सुप्रीम कोर्ट के महासचिव अतुल एम कुरहेकर को इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रशासन से स्टेटस रिपोर्ट मांगने को कहा।

कुरहेकर ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र लिखकर महिला जज Lady Judge की सारी शिकायतों की जानकारी मांगी है। साथ ही शिकायत से निपटने वाली आंतरिक शिकायत समिति के समक्ष कार्यवाही की स्थिति के बारे में पूछा है। सूत्रों का कहना है कि हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने भी सार्वजनिक पत्र का संज्ञान लिया है।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 13 दिसंबर को महिला जज Lady Judge की याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट का कहना था कि आंतरिक समिति इस मामले को देख रही है, लिहाजा इसमें दखल देने का कोई कारण नजर नहीं आता। आठ सेकंड के अंदर अपनी याचिका खारिज होने से दुखी महिला जज Lady Judge ने सीजेआई के नाम दो पेज का खत लिखा।

इसमें लिखा कि उन्होंने आत्महत्या Suicide करने की कोशिश की, लेकिन उनका पहला प्रयास असफल रहा। सीजेआई को ‘सबसे बड़े अभिभावक’ के रूप में संबोधित करते उन्होंने अपना जीवन समाप्त Suicide करने की अनुमति मांगी, और उन्होंने लिखा कि मेरे जीवन का कोई उद्देश्य नहीं बचा है।

महिला जज Lady Judge ने आरोप लगाया कि बाराबंकी में तैनाती के दौरान एक विशेष जिला न्यायाधीश और उनके सहयोगियों ने मेरा शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न Physical and Mental Harassment किया। मुझे रात में जिला जज Distt. Judge से मिलने के लिए कहा गया। मैंने 2022 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और प्रशासनिक न्यायाधीश (हाईकोर्ट के न्यायाधीश) से शिकायत की लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

किसी ने भी मुझसे यह पूछने की जहमत नहीं उठाई कि क्या हुआ, आप परेशान क्यों हैं? उन्होंने लिखा कि वह केवल निष्पक्ष जांच चाहती थीं और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर उन्होंने इस महीने सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दायर की थी, उसे बुधवार को आठ सेकंड के अंदर खारिज कर दिया गया।

‘मेरे साथ बिल्कुल कूड़े जैसा व्यवहार किया गया है। मैं किसी कीड़े जैसी महसूस कर रही हूं और मैं दूसरों को न्याय दिलाना चाहती थी। मैं कितनी भोली हूं! मैं भारत की सभी कामकाजी महिलाओं से कहना चाहती हूं, यौन उत्पीड़न के साथ जीना सीख लें। यह हमारे जीवन का सच है।.

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