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इस्तीफा देने वाले PM को फिर सौंपी कमान, मैक्रों का चौंकाने वाला कदम

फ्रांस में राजनीतिक तनाव अब अपने चरम पर है. राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अपने ही सहयोगी, 39 साल के सेंट्रिस्ट नेता सेबास्टियन लेकोर्नू को फिर से प्रधानमंत्री बना दिया है. जबकि लेकोर्नू ने कुछ दिन पहले ही इस्तीफा दे दिया था.

लेकोर्नू ने कहा कि उन्होंने यह जिम्मेदारी कर्तव्य की भावना से स्वीकार की है और अब उनका फोकस देश के बजट को समय पर पास कराने और आम लोगों की रोजमर्रा की समस्याओं को हल करने पर रहेगा. उन्होंने जोर दिया कि हमें इस राजनीतिक संकट को खत्म करना होगा जो फ्रांसवासियों को परेशान कर रहा है और देश की छवि और हितों को नुकसान पहुंचा रहा है.

मैक्रों का चौंकाने वाला कदम

मैक्रों का यह कदम बेहद असामान्य माना जा रहा है. उनकी सेंट्रिस्ट पार्टी के सांसद शैनन सेबान ने इसे देश में स्थिरता बनाए रखने के लिए जरूरी बताया. वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री एलिज़ाबेथ बोर्न का कहना है कि यह कदम फ्रांस के लिए किसी समझौते की नींव रख सकता है. लेकिन विपक्ष इस फैसले से खुश नहीं है. मारिन ले पेन की दक्षिणपंथी नेशनल रैली के अध्यक्ष जॉर्डन बार्डेला ने इसे मजाक और लोकतंत्र का अपमान बताया. वहीं सोशलिस्ट और ग्रीन पार्टी के नेता भी हैरान और नाराज नजर आए.

क्यों देना पड़ा था इस्तीफा?

दरअसल, लेकोर्नू ने सिर्फ 14 घंटे में इस्तीफा दे दिया था, और वो पहली कैबिनेट बैठक या संसद में अपना पहला भाषण भी नहीं दे पाए थे. इस्तीफा उनके उस फैसले के खिलाफ विरोध के चलते आया, जिसमें उन्होंने सरकार में अलग राजनीतिक विचारों को जगह देने से इनकार कर दिया था. इससे पहले उनके पूर्ववर्ती फ्रांसोआ बायरो भी बजट कटौती के प्रस्ताव पर विवाद के चलते पद छोड़ चुके थे.

लेकॉर्नू इससे पहले फ्रांस के रक्षा मंत्री रह चुके हैं और उन्हें मिलिट्री खर्च बढ़ाने के लिए जाना जाता है. पिछले एक साल में यह तीसरी बार है जब फ्रांस में प्रधानमंत्री बदले गए हैं. कारण यही है कि फ्रांसीसी संसद तीन हिस्सों-बाएं, दक्षिण और सेंट्रिस्ट में बंटी हुई है और किसी के पास स्पष्ट बहुमत नहीं है.

क्या हैं चुनौतियां?

अब लेकोर्नू पर दबाव है कि वो नए चेहरे और विचारों के साथ एक स्थिर सरकार बनाए. उनके सामने सबसे बड़ा काम अगले साल का बजट पास कराना है, लेकिन राजनीतिक दलों के आपसी झगड़े और सरकार की अस्थिरता इसे आसान नहीं बनाते. इस बीच मैक्रों की लोकप्रियता ऐतिहासिक रूप से कम हो गई है.

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