लघु चिडिय़ाघर में शेरनी गीता ने तीन नन्हें शावकों को दिया जन्म
शेरनी गीता और उसके तीनों शावक पूरी तरह स्वस्थ, रखा गया सीसीटीवी तथा चिकित्सकीय देखरेख में
पवन शर्मा
भिवानी (ब्यूरो): ऐसे दौर में जब जंगलों में शेरों की दहाड़ कम होती जा रही है, वही हालही में भिवानी के चौधरी सुरेंद्र सिंह मेमोरियल लघु चिडिय़ाघर में शेरनी गीता ने अपने बाड़े में तीन नन्हें शावकों को जन्म दिया है। यह खबर सिर्फ भिवानी के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए उम्मीद की तरह आई है। गीता इससे पहले भी दो साल पहले शेरा और सिंघम नाम के दो शावकों को जन्म दे चुकी है। अब ये दोनों व्यस्क हो चुके हैं। शेरों की नई पीढ़ी आगे बढ़ रही है। इसके साथ ही सर्दियों के मौसम को देखते हुए चिडिय़ाघर में जानवरों व पक्षियों के लिए व्यवस्था की है। जिसके तहत ठंड से बचाने के लिए पराली तथा सीधी हवा से बचने के लिए शैड तथा बांस के चिक लगाए गए हैं, ताकि ठंडी हवा सीधी पक्षियों तक ना पहुंच पाए।
बता दे कि 2014 में बाघ ब्रांडिस की मौत के बाद भिवानी के चौ. सुरेंद्र सिंह मेमोरियल लघु चिडिय़ाघर छह वर्षों तक शेर या बाघ से खाली रहा। फिर लॉकडाउन के बीच उम्मीदें लेकर आए वे तीन शावक और अब वही गीता, जो तब महज एक बच्ची थी, पांच साल में मां की पहचान पा चुकी है। बीते दिनों गीता पर इंदौर से लाए गए शेर शिवा ने हमला भी किया था, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई थी। उस दर्द और डर से उभरकर अब गीता नए जीवन की वाहक बनी है। दिसंबर 2020 में जब रोहतक से तीन शावक गीता, सुधा और अर्जुन यहां लाए गए थे, तब किसी ने नहीं सोचा था कि कुछ ही वर्षों में यह जगह शेरों का सुरक्षित आश्रय बन जाएगी। बाद में इंदौर से आया सिंबा, गीता का साथी बना। दोनों की जोड़ी ने इस बाड़े को जीवंत कर दिया। अब जब तीन नए शावक जन्मे हैं तो यह न सिर्फ एक जैविक सफलता है, बल्कि एक संवेदनात्मक कहानी भी, भरोसे, देखभाल और प्राकृतिक सामंजस्य की।
भिवानी के चौ. सुरेंद्र सिंह मेमोरियल लघु चिडिय़ाघर प्रशासन ने गीता और उसके शावकों को फिलहाल विशेष निगरानी में रखा है। शावक कुछ महीनों तक मां के साथ अलग पिंजरे में रहेंगे, ताकि वे सुरक्षित रहें और धीरे-धीरे दुनिया से परिचित हो सकें। वन्य प्राणी विभाग के इंस्पेक्टर देवेंद्र हुड्डा ने कहा कि शेरनी गीता और उसके तीनों शावक पूरी तरह स्वस्थ हैं। उन पर सीसीटीवी कैमरे से नजर रखी जा रही है तथा डॉक्टर की निगरानी में रखा गया है तथा पूरा चिडिय़ाघर का स्टाफ उन पर ध्यान रखे हुए है। उन्होंने कहा कि चार-पांच महीने बाद लोग इन्हें बाड़े में खेलते देख सकेंगे।




