खरना के प्रसाद रसिया बनाने का सही तरीका, सीखें ताकि दूध न फटे

नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत आज के दिन से हो रही है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से इसकी शुरुआत होती है। महिलाएं इस दिन घर की साफ-सफाई के साथ खास तरह के भोजन को बनाती है। जिसमे चना की दाल, लौकी-कद्दू की सब्जी, अरवा चावल बनता है। जिसे सब प्रसाद में खाते हैं। वहीं छठ पर्व का अगला दिन खरना बोला जाता है। जब महिलाएं प्रसाद में बने रसिया को खाती हैं और 36 घंटे के व्रत को शुरू करती हैं। खरना में बनने वाले प्रसाद रसिया यानी चावल और गुड़ की खीर को बनाते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। नहीं तो खीर बनाते वक्त दूध फट सकता है। पहली बार अगर चावल और गुड़ की खीर बना रही हैं तो इन बातों को जरूर ध्यान में रखें।
चावल और गुड़ की खीर बनाते वक्त सावधानी
छठ पूजा के दूसरे दिन खरना बनाते वक्त साफ-सफाई का खास ध्यान रखा जाता है।
- साफ बर्तनों में पहले दूध को उबाला जाता है।
- फिर अरवा चावल को अच्छी तरह से धोकर साफ करते हैं और दूध में डालकर धीमी आंच पर पकाते हैं।
- इस खीर को मिट्टी के चूल्हे पर बनाने की परंपरा है। जिससे खरना की शुद्धता बनी रहे। लेकिन मॉडर्न घरों में मिट्टी का चूल्हा ना होने पर इसे गोबर के उपले पर भी बना सकते हैं। गाय के गोबर के उपले पर बनी खीर भी पवित्र मानी जाती है।
- दूध में चावल के पूरी तरह पक जाने के बाद इसे आंच से नीचे उतारकर ठंडा कर लिया जाता है। ठंडा हो जाने के बाद इसमे गुड़ डालते हैं। उबलते और गर्म दूध में गुड़ डालने पर दूध के फट जाने का डर रहता है। इसलिए गुड़ की खीर बनाते वक्त ये सावधानी जरूरी है।
- एक बार चावल और दूध के ठंडा हो जाने के बाद उसमे गुड़ डालकर मिक्स करते हैं और साथ में थोड़ा सा घी भी डालते हैं। जिससे स्वाद और महक बढ़ जाए।
- रसिया को परफेक्ट गाढ़ा बनाने के लिए चावल और दूध को अच्छी तरह पकाना जरूरी होता है। जिससे कि दोनों मिलकर एकसार हो जाएं।
-साथ ही गुड़ की मदद से इसमे सुनहरा रंग देखने को मिलता है। जो मनमोहक लगता है। इस हल्के और पौष्टिक खीर को खाकर महिलाएं आगे के 36 घंटों के निर्जला व्रत का अनुष्ठान करती हैं।




