इस मंदिर में लड्डू नहीं, चढ़ाया जाता है प्याज और दाल… तभी दूर होते हैं भक्तों के दुख-दर्द!

राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले में स्थित गोगामेड़ी मंदिर एक ऐसा अनोखा मंदिर है जहां प्रसाद के रूप में प्याज और दाल चढ़ाने की अनूठी परंपरा है. यह मंदिर लगभग 950 वर्ष पुराना है और लोकदेवता गोगाजी को समर्पित है. आमतौर पर प्याज को तामसिक भोजन माना जाता है और इसे किसी भी मंदिर में प्रसाद के तौर पर नहीं चढ़ाया जाता है. लेकिन गोगामेड़ी मंदिर में यह परंपरा सालों से चली आ रही है और यहां चढ़ावे के रूप में आए प्याज के ढेर साल भर लगे रहते हैं.यह मंदिर अपने विशेष चढ़ावे के कारण आज भी भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है.
क्यों खास है गोगामेड़ी मंदिर?
गोगामेड़ी को गोगाजी का धाम कहा जाता है. गोगाजी को जाहरवीर गोगाजी या गोगा वीर के नाम से भी जाना जाता है. इन्हें नागों के देवता माना जाता है और राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश सहित देशभर के लाखों लोग गोगाजी की पूजा-अर्चना करते हैं.अधिकांश हिंदू मंदिरों में प्याज और लहसुन जैसे तामसिक खाद्य पदार्थ वर्जित माने जाते हैं. लेकिन गोगामेड़ी मंदिर इसकी अपवाद है. यहां प्याज और दाल ही चढ़ावा माने जाते हैं. मंदिर प्रांगण में सालभर प्याज के ढेर लगे रहते हैं. खास बात यह है कि इन प्याज को बाद में बेचकर प्राप्त धनराशि से मंदिर में भंडारा और गौशाला का संचालन किया जाता है.
परंपरा और मान्यता
मान्यता के अनुसार गोगामेड़ी आने वाले श्रद्धालुओं को सबसे पहले गोरख गंगा में स्नान करना होता है. इसके बाद उसी पवित्र जल से बनी खीर का प्रसाद ग्रहण करना जरूरी है. फिर भक्त गोरख टीला पहुंचकर प्याज और दाल का प्रसाद अर्पित करते हैं. मंदिर में प्याज और दाल के साथ-साथ खील और बताशे चढ़ाने की भी परंपरा है. कहा जाता है कि यहां सच्चे मन से चढ़ाया गया प्याज गोगाजी को अर्पित करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और परिवार में सुख-समृद्धि आती है.
ऐतिहासिक महत्व
यह मंदिर न केवल अपनी अनूठी परंपरा के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह गोगाजी की वीरता और जनसेवा के प्रति आस्था का भी प्रतीक है. गोगामेड़ी मंदिर की स्थापना करीब 950 वर्ष पहले मानी जाती है. माना जाता है कि गोगाजी नागवंश के वीर योद्धा थे, जिन्होंने समाज और धर्म की रक्षा के लिए बलिदान दिया. इसी कारण उन्हें जाहरवीर की उपाधि दी गई. हर साल गोगामेड़ी मेले में लाखों श्रद्धालु देशभर से यहां दर्शन करने आते हैं.