धर्म/अध्यात्म

श्रावण पूर्णिमा पर नया जनेऊ क्यों पहना जाता है? जानिए क्या है कारण

यज्ञोपवीत कहा जाने वाला जनेऊ, हिंदू धर्म में एक पवित्र धागा माना गया है जो पुरुषों द्वारा पहना जाता है. यह उपनयन संस्कार के दौरान पहना जाता है. धार्मिक दृष्टि से इसे एक महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है जो व्यक्ति के धार्मिक जीवन में प्रवेश करने का प्रतीक है. आमतौर पर जनेऊ संस्कार 8 से 16 साल की उम्र के बीच में किया जाता है. 9 अगस्त को आज सावन पूर्णिमा है और इस दिन ब्राह्मण समुदाय के पुरुष अपना पुराना जनेऊ बदलकर नया जनेऊ धारण करते हैं. कहते हैं कि यह परंपरा ऋषि-मुनियों के समय से चली आ रही है. आइए इसका कारण क्या है.

सावन पूर्णिमा पर बदलना है शुभ

धार्मिक मान्यता के अनुसार, जनेऊ को आमतौर पर श्रावण पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन के दिन बदलना शुभ होता है, लेकिन इसे किसी भी शुभ दिन और शुभ मुहूर्त में भी बदला जा सकता है. अगर जनेऊ का कोई धागा टूट जाए या 6 महीने से ज्यादा पुराना हो जाए, तो इसे बदल देना चाहिए.

रक्षाबंधन, सावन पूर्णिमा को मनाया जाता है और इसलिए इस दिन को ‘श्रावणी उपाकर्म’ के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक दृष्टि से यह वह दिन होता है, जब प्राचीन काल में ऋषि-मुनि अपने शिष्यों को वेदों के बारे में बताते थे और उन्हें नई जनेऊ धारण करवाते थे. कहते हैं कि तब से लेकर अभी तक इस परंपरा का पालन किया जाता है.

जनेऊ बदलने के कुछ नियम इस प्रकार हैं:-

श्रावण पूर्णिमा:- रक्षाबंधन का दिन जनेऊ बदलने के लिए सबसे शुभ माना जाता है.

शुभ मुहूर्त:- किसी भी शुभ दिन और शुभ मुहूर्त में आप जनेऊ बदल सकते हैं.

टूटा हुआ धागा:- अगर जनेऊ का कोई धागा टूट जाए, तो उसे बदल देना चाहिए.

6 महीने पुराना:- अगर जनेऊ 6 महीने से ज्यादा पुराना हो जाए, तो उसे बदल देना चाहिए.

अशुद्ध होने पर:- अगर जनेऊ किसी भी कारण से अशुद्ध हो जाए, तो उसे बदल देना चाहिए.

रात में न करें धारण:- नया जनेऊ रात्रि में धारण करना वर्जित है, सिवाय तब जब तत्काल बदलना जरूरी हो.

पुराने जनेऊ का क्या करें?

अगर गलती से टूट जाए या किसी भी कारण अपवित्र हो जाए तो स्नान के बाद गायत्री मंत्र या जनेऊ धारण करने का मंत्र बोलते हुए नया यज्ञोपवीत धारण कर पुराना जनेऊ उलटी दिशा में उतार देना चाहिए.

जनेऊ संस्कार मुहूर्त अगस्त 2025 (Janeu Sanskar Muhurat August 2025)

अगर आप सावन पूर्णिमा पर भी जनेऊ संस्कार न करा पाएं, तो अगस्त का महीना जनेऊ संस्कार के लिए शुभ तिथियों से भरा हुआ है. हिंदू पंचांग के अनुसार, अगस्त 2025 में जनेऊ संस्कार के लिए 9, 10, 11, 13, 24, 25, 27, और 28 तारीखें शुभ रहेंगी.

9 अगस्त, शनिवार को शाम 04:07 से शाम 06:11 बजे तक.

10 अगस्त, रविवार को सुबह 06:52 से दोपहर 01:45, दोपहर 04:03 से शाम 06:07 बजे तक.

11 अगस्त, सोमवार को सुबह 06:48 से सुबह 11:21 बजे तक.

13 अगस्त, बुधवार को सुबह 08:57 से शाम 03:52, शाम 05:56 से रात 07:38 बजे तक.

24 अगस्त, रविवार को दोपहर 12:50 से शाम 05:12 बजे तक.

25 अगस्त, सोमवार को सुबह 06:26 से सुबह 08:10, दोपहर 12:46 से शाम 06:51 बजे तक.

27 अगस्त, बुधवार को शाम 05:00 से शाम 06:43 बजे तक.

28 अगस्त, गुरुवार को सुबह 06:28 से दोपहर 12:34, दोपहर 02:53 से शाम 06:27 बजे तक.

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