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हरियाणा में पांच महीने में दूसरी बार बंटी जलेबी, जानिए क्यों….?

हरियाणा की डायरी, प्रस्तुति : चंद्रशेखर धरणी

आमतौर पर चुनाव में जीतने वाले दल की ओर से हर बार जीत की खुशी में लड्डू बांटने का काम किया जाता है। इसके उल्ट इस बार बीते अक्टूबर माह में हुई हरियाणा की भाजपा सरकार के गठन पर लड्डू की बजाए जलेबी बांटकर नए ट्रेंड की शुरूआत की गई। इसी ट्रेंड को बरकरार रखते हुए हरियाणा में पांच महीने के भीतर 8 फरवरी को फिर से भाजपा नेताओं की ओर से जलेबी बांटने का काम किया गया। अब सोचने वाली बात यह है कि 8 फरवरी को ना तो हरियाणा में कोई चुनाव हुआ और ना ही प्रदेश का कोई चुनावी परिणाम आया। ऐसे में फिर भाजपा नेताओं ने केवल पांच महीने के भीतर ही फिर से जलेबी बांटने का काम क्यों किया गया। दअरसल, 8 फरवरी को दिल्ली के विधानसभा का चुनावी परिणाम घोषित हुआ। उम्मीदों और एग्जिट पोल के अनुसार भाजपा ने करीब 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी की। इसमें हरियाणा के भाजपा नेताओं और मंत्रियों की भी अहम भूमिका रही। हरियाणा से सटी दिल्ली की 32 विधानसभा सीटों पर हरियाणा के नेताओं की प्रचार के लिए ड्यूटी लगाई गई थी। ऐसे जब दिल्ली के चुनावी परिणामों में भाजपा को बढ़त मिली तो सबसे पहले हरियाणा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ने जलेबी बांटकर कार्यकर्ताओं को मुंह मीठा करवाकर जश्न की शुरूआत की।

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फुल वाले बड़े साहब को मिली राहत
हरियाणा में फुल वाले दल के बड़े साहब पर हिमाचल प्रदेश में एक महिला के साथ गैंगरेप का आरोप लगने के बाद कईं प्रकार के सवाल उठने शुरू हो गए थे। इन सबके बीच हिमाचल पुलिस की ओर से उनसे पूछताछ करने के अलावा शिकायत देने वाली महिला से भी पूछताछ की गई। महिला की ओर से लगाए गए आरोपों की पुष्टि नहीं होने के अलावा महिला ने खुद का मेडिकल परीक्षण करने से भी इंकार कर दिया था। ऐसे में पुलिस के पास मामले में किसी भी प्रकार का सबूत जमा नहीं हो पाया था। इसी के चलते पुलिस ने मामला खारिज कर दिया। मामला खारिज होने से जहां हरियाणा में फुल वाले दल के बड़े साहब को राहत मिली। वहीं, उनके अध्यक्ष पद की कुर्सी पर मंडरा रहा साया भी दूर हो गया।
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‘गब्बर’ की नाराजगी सैकड़ों अफसरों पर पड़ी भारी !
हरियाणा की राजनीति में दबंग और ‘गब्बर’ जैसे नाम से पहचाने जाने वाले अनिल विज अपनी सरकार के गठन की शुरूआत में ही खुद को चुनाव हरवाने और जान से मारने की साजिश किए जाने के आरोप लगा चुके थे। सरकार गठन के 100 दिन पूरे होने पर भी जब उनकी शिकायत पर कोई एक्शन नहीं हुआ तो विज के मन की टीस बाहर आ गई। विज ने एक बार फिर से खुलकर अपने मन की बात सार्वजनिक तौर पर कही। विज की नाराजगी को देखते हुए सरकार तुरंत एक्शन में आई। सबसे पहले अंबाला के डीसी का तबादला किया गया। इसके बाद अंबाला की एक आईपीएस और एक एचसीएस अधिकारी का भी तबादला किया गया। विज की ओर से शिकायत निवारण समिति की बैठक में दिए जाने वाले आदेश पर एक्शन नहीं होने की बात कहे जाने पर अंबाला के अलावा विज की शिकायत पर सिरसा में भी तुरंत एक्शन होता नजर आया। सिरसा के डीसी ने विज की ओर से दी गई शिकायत की जांच करवाकर हैफेड के एक अधिकारी को चार्जशीट करने के बाद सस्पेंड करने की सिफारिश विभाग को भेजी गई। इतना ही नहीं विज की नाराजगी को देखते हुए भाजपा के प्रदेश प्रभारी खुद उनसे मुलाकात के लिए पहुंचे। इस दौरान विज कुछ शांत जरूर हुए, लेकिन अपने मन की बात वह शेयरों शायरी के जरिए जरूर कहते रहे।
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बड़े साहब को करना पड़ा डैमेज कंट्रोल
गब्बर के बयान के बाद हरियाणा की राजनीति में मचे भूचाल को लेकर जहां विपक्षी दल सरकार पर भारी पड़ने लगा था। वहीं, इससे बचाव के लिए खुद सूबे के बड़े साहब को मैदान में उतरना पड़ा। सूबे की सरकार के बड़े साहब ने मामले का डैमेज कंट्रोल करते हुए गब्बर को मार्ग दर्शक बताते हुए किसी भी प्रकार की नाराजगी नहीं होने की बात कही। हालांकि पार्टी के दूसरे नेता और मंत्री भी गब्बर को पार्टी के वरिष्ठ नेता और शुभचिंतक बता चुके थे। इन सबके बीच सूबे के बड़े साहब के साथ मीटिंग में मौजूद होने पर सबको लगा कि शायद अब गब्बर मान गया, लेकिन एक दिन बाद ही उनका एक शेयर गाते वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें उनके मन की व्यथा साफ झलक रही थी। राजनीतिक चौपाल में चर्चा है कि आखिर गब्बर कब और कैसे शांत होगा ?
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इब AI ते काम करेंगे म्हारे अधिकारी
टेक्नॉलाजी के लगातार बढ़ते इस्तेमाल को लेकर अब हरियाणा के सरकारी अधिकारी भी हाईटेक होने जा रहे हैं। सरकार की ओर से अब सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानि एआई की ट्रेनिंग देने की शुरूआत की जाएगी। इसे लेकर हरियाणा के मुख्य सचिव डॉ. विवेक जोशी ने भारत के क्षमता निर्माण आयोग के अध्यक्ष आदिल जैनुलभाई के साथ बैठक की थी। बैठक में सरकारी कर्मचारियों को ‘मिशन कर्मयोगी हरियाणा’ के तहत ट्रेनिंग दिए जाने पर चर्चा की गई थी। इसके लिए उन्होंने अधिकारियों को हिपा के सहयोग से पहले चरण में अतिरिक्त मुख्य सचिवों और निदेशक स्तर के अधिकारियों के लिए एआई प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए थे, जिससे पूरे राज्य के कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा सके।
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मनोहर के ‘नैन’ की हुई वापसी !
हरियाणा में सरकार के 100 दिन पूरे होते ही बड़े स्तर पर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले किए गए। इनमें 11 आईपीएस अधिकारी भी शामिल थे। इन अधिकारियों में आईपीएस पंकज नैन को फिर से सीएमओ में एंट्री देने का काम किया गया है। 2007 बैच के आईपीएस पंकज नैन को ऑन प्रमोशन सीएमओ का स्पेशल ऑफिसर नियुक्त किया गया। इससे पहले आईपीएस पंकज नैन तत्कालीन सीएम मनोहर लाल खट्टर के भी स्पेशल ऑफिसर रह चुके हैं। अब सीएम नायब सिंह सैनी के भी सीएमओ में नैन की एंट्री हो गई है। 2007 बैच के आईपीएस पंकज नैन अब डीआईजी से आईजी प्रमोट हो गए हैं। उन्हें सीएमओ में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का स्पेशल अफसर (कम्युनिटी एंड आउटरीच) लगाया गया है।
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फेरबदल के पीछे एक कारण यह भी !
हरियाणा में एक साथ 100 से अधिक अधिकारियों के तबादले किए जाने के बाद चौपाल पर कईं तरह की चर्चाएं शुरू हो गई। इनमें जहां गब्बर की नाराजगी को एक वजह मानते हुए इसे डैमेज कंट्रोल माना गया। वहीं, चुनावी परिणाम के बाद भाजपा नेताओं और मुख्यमंत्री की ओर से दिए गए बयान को भी एक कारण माना जा रहा है। बता दें कि 8 अक्टूबर 2024 को विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आने के बाद कई भाजपा उम्मीदवारों ने अधिकारियों पर उन्हें हराने का आरोप लगाया था। उस समय सूबे के बड़े साहब यानि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी खुद अधिकारियों को चेतावनी भी दी थी। सरकार बनने के 100 दिन पूरे होने पर भी किसी अधिकारी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया। इसे लेकर कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने भी सवाल खड़े किए थे। अब एक साथ भारी संख्या में फेरबदल कर सरकार ने एक तीर से कईं निशाने साधने का काम किया है। बता दें कि हरियाणा सरकार की ओर से प्रशासनिक सेवा के 12 आईएएस और 67 एचसीएस अधिकारियों के अलावा पुलिस सेवा के 11 आईपीएस और 13 एचसीएस अधिकारियों को मिलाकर कुल 103 अधिकारियों का तबादला किया है।
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…जब मंत्री ने खुद चलाई कचरे से भरी ट्रैक्टर-ट्राली
एक कहावत है कि दूसरों को किसी काम की नसीहत देने से पहले व्यक्ति को खुद उस काम को करना चाहिए। हरियाणा के मंत्री भी इसी नसीहत को अमलीजामा पहनाते हुए जनता और अधिकारियों को कुछ कहने से पहले खुद उस पर अमल करते हैं। फिर चाहे बिजली महकम मिलने के बाद आधी रात को अपना खुद का बिजली का बिल भरने वाले अनिल विज हो या फिर खेल मंत्री गौरव गौतम। दअरसल, खेल राज्यमंत्री गौरव गौतम ने पलवल में स्वच्छता अभियान की शुरूआत की थी। इस दौरान उन्होंने खुद कचरे को ट्रैक्टर-ट्राली में इकट्ठा करवाया। इसके बाद वह खुद कचरे से भरी ट्रैक्टर-ट्राली को वहां से चलाकर ले गए।
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पहले सरस्वती पूजा, फिर पदग्रहण
राजनीति में अधिकांश नेता अपना कोई भी काम करने से पहले शुभ मुहूर्त का इंतजार करने के साथ अपने अराध्य की पूजा के बाद ही उसकी शुरूआत करते हैं। ऐसे में हरियाणा के मुख्यमंत्री के मीडिया सचिव का दायित्व मिलने के बाद से प्रवीण अत्रे ने भी अभी तक अपना पदभार ग्रहण नहीं किया है। अत्रे का कहना है कि वह पहले पिहोवा में सरस्वती मां की पूजा अर्चना करेंगे, उसके बाद ही अपना पदभार ग्रहण करेंगे। वैसे भी मीडिया जगत के लोगों को सरस्वती पुत्र कहा जाता है। ऐसे में अत्रे पहले मां की पूजा करेंगे और उसके बाद ही अपना पदभार ग्रहण करेंगे, क्योंकि मुख्यमंत्री के मीडिया सचिव का पद भी पत्रकार जगत से जुड़ा हुआ ही है।
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माननियों को मिलेगी ट्रेनिंग
हरियाणा में विधानसभा सत्र के दौरान किसी भी प्रकार की गड़बड़ ना हो और हर विधायक नियम और दायरे में रहकर अपने इलाके की आवाज को उठा सके इसके लिए प्रदेश के माननियों को भी बजट सत्र से पहले ट्रेनिंग दी जाएगी। विधानसभा अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण की ओर से इसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। इस बार विधानसभा में 40 ऐसे सदस्य हैं, जो पहली बार चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं। इसलिए विधानसभा की ओर से इन्हें ट्रेनिंग देने की योजना बनाई है। बजट सत्र से पूर्व ही 14 और 15 फरवरी को हरियाणा के विधायकों के लिए दो दिवसीय ट्रेनिंग कैंप का आयोजन किया जाएगा। इसके जरिए सभी विधायकों को काफी कुछ सीखने को मिलेगा। विधायकों से पहले विधानसभा के अधिकारियों और कर्मचारियों को भी ट्रेनिंग देने का काम किया जा चुका है, जिसका सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को लाभ हासिल हुआ है। उसी प्रकार से विधायकों को भी इस ट्रेनिंग से फायदा मिलेगा।
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सड़कों का जाल बिछाने वाले स्पाइडरमैन पीएम !
हरियाणा में भाजपा की सरकार के 100 दिन पूरे होने पर जहां पार्टी की ओर से प्रदेश में किए गए कार्यों का बखान किया जा रहा है। वहीं, सूबे के मुखिया यानि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनवाते समय एक कार्य़क्रम में देश के प्रधानमंत्री को स्पाइडरमैन की संज्ञा देने का काम कर दिया। दअरसल, मुख्यमंत्री प्रदेश में भाजपा सरकार के दौरान हुए कामों को गिनवा रहे थे। उसी दौरान उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक स्पाइडरमैन हैं, जिन्होंने देश के साथ-साथ हरियाणा में भी विकास का जाल बिछाने का काम किया है। सड़कों के साथ ही अब हरियाणा में ट्रेनों का भी जाल बिछेगा। रेलवे की कई ऐसी योजनाएं हैं, जो अभी पूरी होने वाली हैं। इससे रेलवे के क्षेत्र में सूबे में अच्छा विकास होगा। इससे पूरे हरियाणा में रेलवे का जाल बिछेगा।
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बस अब लाइसेंस का इंतजार
हवाई जहाज के जरिए लंबी दूरी का सफर तय करने के लिए दिल्ली या फिर चंडीगढ़ जाने वाले हरियाणा के लोगों को अब कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जल्द ही अंबाला एयरपोर्ट से जहाजों के आवागमन का सिलसिला शुरू होगा। अंबाला कैंट के डोमेस्टिक एयरपोर्ट को एनओसी मिल चुकी है। अब उम्मीद है कि जल्द ही इसका लाइसेंस जारी हो जाएगा, जिसके बाद यहां से उड़ान शुरू हो सकेगी। बता दें कि हरियाणा के बाबा कहलाए जाने वाले अनिल विज ने इस एयरपोर्ट के निर्माण को लेकर काफी भागदौड़ की है। उनकी मेहनत का ही फल है, जो अब जल्द ही यहां से हवाई जहाड़ उड़ते दिखाई देंगे।
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हम नहीं सुधरेंगे की तर्ज पर कांग्रेसी !
आपसी गुटबाजी के कारण हरियाणा में हाथ आती सत्ता गंवा चुकी कांग्रेस के नेता शायद अभी भी सुधरने के मूड में नहीं है। आपसी फुट का ही परिणाम है कि पांच महीने के करीब का एक लंबा अरस गुजर जाने के बाद भी पार्टी हरियाणा में अपने नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं कर पाई है। अब हरियाणा में निकाय चुनाव का भी बिगुल बज चुका है। ऐसे में विधानसभा चुनाव से सबक लेते हुए कांग्रेस को एकजुट होकर मैदान में उतरना चाहिए था, लेकिन अभी भी पार्टी के दिग्गज नेता एक होते नजर नहीं आ रहे हैं। यहीं कारण है कि निकाय चुनाव को लेकर बुलाई गई बैठक में जहां पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा समर्थक तमाम दिग्गज नेता पहुंचे थे। वहीं, उनके विरोधी कहे जाने वाले लोकसभा सांसद कुमारी सैलजा और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला इस बैठक में नहीं पहुंचे। खैर ये तो कांग्रेस का अपना पार्टी का अंदरूनी मामला है, लेकिन चौपाल पर चर्चा है कि यदि निकाय चुनाव में भी पार्टी नेता का ऐसा ही हाल रहा तो हरियाणा की राजनीति में धीरे-धीरे कांग्रेस रसातल की ओर जाना शुरू हो सकती है !

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