धर्म/अध्यात्म

नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती पाठ: जानें सही विधि और नियम

नवरात्रि के पावन अवसर पर मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना का महत्व है. इस दौरान दुर्गा सप्तशती पाठ का विशेष फल प्राप्त होता है. इसे चंडी पाठ भी कहा जाता है, जो मार्कंडेय पुराण का एक अंश है. इसमें 13 अध्याय और 700 श्लोक शामिल हैं, जिनमें मां दुर्गा के विभिन्न रूप, उनकी महिमा और दुष्ट शक्तियों पर विजय का वर्णन है. मान्यता है कि नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का नियमपूर्वक पाठ करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

दुर्गा सप्तशती पाठ का महत्व

  • यह पाठ जीवन से नकारात्मक ऊर्जा, भय और दुखों को दूर करता है.
  • व्यापार, करियर और पारिवारिक जीवन में आने वाली बाधाओं को समाप्त करता है.
  • भक्त को मानसिक शांति, आत्मविश्वास और शक्ति प्रदान करता है.
  • नवरात्रि में पाठ करने से मां दुर्गा शीघ्र प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं.

दुर्गा सप्तशती पाठ की तैयारी

  • पाठ शुरू करने से पहले घर या पूजा स्थल को शुद्ध करें.
  • स्नान कर स्वच्छ और preferably लाल या पीले वस्त्र पहनें.
  • मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें.
  • कलश स्थापना करके मां दुर्गा के समक्ष दीपक और धूप जलाएं.
  • फूल, फल और नैवेद्य अर्पित करें.

दुर्गा सप्तशती पाठ विधि

संकल्प सबसे पहले पूजा का संकल्प लें कि आप श्रद्धा से मां की आराधना करेंगे.

श्रीगणेश वंदना किसी भी कार्य की शुरुआत गणेश वंदना से करें.

देवी आवाहन मां दुर्गा का ध्यान कर ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र का जाप करें.

पूर्णाहुति पाठ पूरा होने पर देवी के मंत्रों और आरती के साथ हवन कर पूर्णाहुति दें.

दुर्गा सप्तशती पाठ के नियम

  • पाठ हमेशा शुद्ध मन और श्रद्धा से करें.
  • पाठ करने से पहले हाथ धोकर आसन पर बैठें.
  • पाठ के समय ऊंची आवाज में न बोलें, मध्यम स्वर में और एकाग्रता के साथ पढ़ें.
  • गलत उच्चारण से बचें, यदि संभव हो तो किसी ज्ञानी ब्राह्मण से करवाएं.
  • सप्तशती पाठ करते समय नकारात्मक विचार और अपवित्र आचरण से दूर रहें.
  • पाठ का समापन आरती और प्रसाद वितरण से अवश्य करें.

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