विवाह में तीन बार मांग में सिंदूर भरने की परंपरा: जानिए इसका धार्मिक महत्व

भारत में हिंदू धर्म की महिलाएं विशेष तौर पर अपनी मांग में सिंदूर लगाती हैं. ये सिंदूर विवाह के समय सबसे पहले दूल्हा अपनी दुल्हन की मांग में अंगूठी से भरता है. मान्यता है कि सिंदूर लगाने से पति की आयु लंबी होती है. साथ ही सिंदूर विवाहित महिला की निशानी माना जाता है. सिंदूर लगाने की पंरपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. माता सीता भी अपनी मांग में सिंदूर भरती थीं.
विवाह के समय मांग में तीन बार सिंदूर भरा जाता है. सिंदूरदान हिंदू विवाह की सबसे महत्वपूर्ण रस्म होती है. इसके पीछे धार्मिक कारण बताए जाते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि विवाह के समय मांग में तीन बार सिंदूर क्यों भरा जाता है? साथ ही जानते हैं इसके पीछे के धार्मिक कारण.
सिंदूर लगाने का धार्मिक कारण
पंडितों के अनुसार, विवाह के समय मांग तीन बार भरी जाती है. पहली बार सिंदूर भरने का संबंध धन की देवी माता लक्ष्मी से बताया जाता है. माना जाता है. इससे नवविवाहित जोड़े का जीवन खुशयों से भरा रहता है. दूसरी बार सिंदूर भरने का संबंध माता सरस्वती से बताया जाता है. इससे ज्ञान, विद्या और वाणी अच्छी होती है. ये बताता है कि विवाहित जीवन में ज्ञान और समझदारी बहुत जरूरी है.
नाक पर सिंदूर जरूर गिरना चाहिए
तीसरी बार सिंदूर भरने का संबंध माता पार्वती से बताया गया है. यह विवाहित जोड़े को शक्ति देता है और बुरी शक्तियों से बचाता है, ताकि उनके जीवन में किसी तरह की समस्या न आए. जब दूल्हा दुल्हन की मांग में सिंदूर भरता है, तो नाक पर सिंदूर जरूर गिरना चाहिए, क्योंकि नाक पर सिंदूर गिरना शुभता का प्रतीक कहा जाता है.
साथ ही दुल्हन को एक साल तक वही सिंदूर लगाना चाहिए, जो विवाह के समय उसकी मांग में भरा जाता है. इससे दूल्हा-दुल्हन के बीच प्रेम बना रहता है.




