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पौराणिक एवं धार्मिक मान्यताओं का प्रतीक कपालमोचन स्थल, भगवान शिव पर लगा ब्रह्म कपाली का दोष इसी सरोवर में स्नान से हुआ था दूर

मान्यता है गाय व बछड़े पर लगा था ब्रह्म हत्या का दोष

न्यूज़ डेस्क हरियाणा । यमुनानगर । हि.स. । हर वर्ष के कार्तिक माह में पूर्णिमा के अवसर पर पांच दिन तक लगने वाला उत्तर भारत का प्रसिद्ध एवं ऐतिहासिक कपाल मोचन मेला गुरुवार से शुरू हो गया। कपाल मोचन तीर्थ स्थल अपने आप में प्राचीन इतिहास समेटे हुए हैं। पुराणों के अनुसार कपाल मोचन तीर्थ तीनों लोकों के पाप से मुक्ति दिलाने वाला स्थल है। मान्यता है कि इसके पवित्र सरोवरों में स्नान करने से ब्रह्म हत्या जैसे पाप का भी निवारण हो जाता है।

आदिकाल में कार्तिक पूर्णिमा की अर्द्धरात्रि के समय ही भगवान शिव पर लगे ब्रह्म कपाली का दोष इसी कपाल मोचन के सरोवर में स्नान करने से दूर हुआ था। प्राचीन कथा के अनुसार सिंधु वन का यह स्थान ऋषि मुनियों की यज्ञस्थली रहा है। इस भूभाग पर पंच तीर्थ कपालेश्वर महादेव तथा चंदडेश्वर महादेव स्थित है। इसमें कपालेश्वर तीर्थ प्रमुख रूप से केंद्र बिंदु है।

कहा जाता है कि राजा परीक्षित के शासनकाल में कलयुग के आगमन पर यहां ऋषि मुनियों ने एक महायज्ञ का आयोजन किया था। यज्ञ में आहुति डालने के लिए भगवान ब्रह्मा, विष्णु, शिव को बुलाया गया था। पुराणों के अनुसार भगवान शिव पर ब्रह्म हत्या का दोष लगा था। जिससे माता पार्वती को बहुत दुख हुआ। इस दोष को दूर करने के लिए शिव भगवान ने माता पार्वती के साथ चारों धाम और 84 तीर्थ का भ्रमण किया। परंतु फिर भी वह दोष दूर नहीं हुआ। शिव भगवान यहां पार्वती के साथ पहुंचे और माता पार्वती के कहने पर इस सरोवर में स्नान करने पर उनकी ब्रह्म हत्या का दोष दूर हो गया।

ऐसी मान्यता है कि शिव भगवान के दर्शन के पश्चात गाय व बछड़ा दोनों की मुक्ति पाकर बैकुंठ धाम चले गए। भगवान वेदव्यास की भी यह कर्म भूमि रही है। इसके साथ-साथ यहां नजदीक और कई पौराणिक व धार्मिक स्थल है। जिनका पुराणों में जिक्र मिलता है।

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