हरियाणा

त्याग तप परिश्रम के बिना भक्ति नहीं हो सकती: कंवर हुजूर महाराज

हिसार,(ब्यूरो): वर्तमान कलिकाल में सत्संग सबसे आवश्यक कार्य है क्योंकि सत्संग चिंतन और मनन करवाता है।सत्संग जियो और जीने दो का सूत्र सुझाता है।सत्संग मनसा वाचा कर्मणा की शुद्धता का पाठ पढ़ाता है।सत्संग पहले स्वयं के सुधरने पर बल देता है ताकि आप औरों को प्रेरित कर सकें।सत्संग वह ईंधन है जो पहले आपको प्रकाशित करता है ताकि आपकी ज्योति दूसरे बुझे हुए दियों को प्रकाशित कर सके।यह सत्संग वचन परमसंत सतगुरु कंवर साहेब ने बरवाला के हाँसी रोड पर स्थित राधास्वामी आश्रम में फरमाए। हुजूर कंवर साहेब महाराज ने फरमाया कि सत्संग आठ साल के बच्चे से लेकर साठ साल के बुजुर्ग के लिए सबसे उत्तम औषधि है जो हर व्याधि का इलाज है।गुरु महाराज ने कहा कि धन का संचय शुद्ध जीवन जीने के लिए होना चाहिए जो जरूरत के समय उपयोग में लाया जा सके।यदि संचित धन आपको बुराइयों की तरफ और व्यसनों की और अग्रसर करता है तो उस धन से बुरा कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि त्याग तप परिश्रम के बिना भक्ति नहीं हो सकती।

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